अब सहकारी संस्थाओं में भी अध्यक्ष-उपाध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकेगा, नये कोऑपरेटिव कोड में प्रावधान
जयपुर, 15 फरवरी (मुखपत्र)। राजस्थान की सहकारी संस्थाओं में निर्वाचित पदाधिकारियों को प्राप्त कवच आने वाले कुछ दिनों में ध्वस्त होने वाला है। प्रदेश के सहकारिता आंदोलन के इतिहास में पहली बार, सहकारी संस्थाओं में निर्वाचित पदाधिकारियों (अध्यक्ष या उपाध्यक्ष या दोनों) के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाये जाने का प्रावधान जोड़ा जा रहा है। नये कोऑपेरटिव कोड में नगरीय निकायों और पंचायती राज संस्थाओं की भांति अब अध्यक्ष/उपाध्यक्ष के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव लाये का प्रावधान किया जा रहा है। अभी तक सहकारी संस्थाओं में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है।
जानकारों की मानें तो सहकारिता विभाग, सहकारी आंदोलन और सहकारिताओं को मजबूत प्रदान करने के साथ-साथ कार्यप्रणाली में पारदर्शिता के उद्देश्य से राजस्थान सरकार नया कोऑपरेटिव कोड लेकर आ रही है, जिसका मसौदा जारी कर दिया गया है। सहकारिता विभाग द्वारा नये कोऑपरेटिव कोड के प्रस्तावित प्रावधानों पर आमजन एवं अन्य सरकारी विभागों से सुझाव आमंत्रित किये गये हैं, ताकि यदि कहीं कोई कमी रह गयी है, तो उसे दूर किया जा सके।
प्रस्तावित राजस्थान सहकारी सोसाइटी एक्ट 2025 में सहकारी सोसाइटियों का प्रबंधन नामक अध्याय में एक नई धारा 28(ए) जोड़ा जाना प्रस्तावित है, जिसमें दो तिहाई सदस्यों के समर्थन से समिति के पदाधिकारी यानी अध्यक्ष या उपाध्यक्ष या दोनों को हटाये जाने का प्रावधान है। न्यूनतम एक तिहाई निर्वाचित सदस्यों के समर्थन से अविश्वास प्रस्ताव प्रस्तुत किया जा सकेगा। यह प्रस्ताव प्राथमिक सोसाइटियों के मामले में जोनल रजिस्ट्रार, केन्द्रीय सोसाइटी के मामले में रजिस्ट्रार, सहकारी समितियां, राजस्थान और किसी शीर्ष सहकारी संस्था (अपेक्स बॉडी) के मामले में राज्य सरकार को भेजा जाएगा। अविश्वास प्रस्ताव का पत्र प्राप्त होने की तिथि से 7 दिन के भीतर, संबंधित सक्षम ऑथोरिटी द्वारा अधिकृत अधिकारी समिति की विशेष बैठक बुलाएगा। ऐसी बैठक, बैठक की सूचना जारी होने की तिथि से 15 दिन के बाद की किसी तारीख को आयोजित की जाएगी। और ऐसी विशेष बैठक किसी भी कारण से स्थगित नहीं की जाएगी।
प्रस्तावित प्रावधान के अनुसार संचालक मंडल के निर्वाचित पदाधिकारी द्वारा पद ग्रहण करने के एक साल के बाद ही ऐसा अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकेगा। अविश्वास प्रस्ताव पारित होने पर संबंधित पदाधिकारी का पद रिक्त माना जायेगा। समिति का मुख्य कार्यकारी अधिकारी नियमों में निर्धारित सूचनाओं के साथ राज्य सहकारी निर्वाचन प्राधिकरण को इसकी सूचना देगा और राज्य सहकारी निर्वाचन प्राधिकरण नियमों और उपविधियों में निर्धारित तरीके से उस पद को भरने के लिए आवश्यक कदम उठाएगा। परंतु यदि अविश्वास प्रस्ताव अस्वीकृत हो जाता है, तो प्रस्ताव की ऐसी अस्वीकृति की तारीख से एक वर्ष की अवधि के भीतर समिति के समक्ष कोई नया अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जा सकेगा। यानी अविश्वास प्रस्ताव की यह तलवार एक साल बाद फिर से पदाधिकारी की गर्दन पर रखी जा सकेगी।
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