विभिन्न राज्यों के सहकारी कानूनों का अध्ययन कर राजस्थान का नया कोऑपरेटिव कोड बनाया जा रहा – दक
जयपुर, 1 जनवरी (मुखपत्र)। देश के विभिन्न राज्यों में प्रचलित श्रेष्ठ सहकारी प्रेक्टिस को राजस्थान के नये को-ऑपरेटिव कोड में शामिल किया जायेगा। इस विषय पर गत दिवस जयपुर में सहकारिता राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) गौतम कुमार दक की अध्यक्षता में विशेष बैठक का आयोजन किया गया। बैठक में सहकारिता विभाग की प्रमुख शासन सचिव एवं रजिस्ट्रार, सहकारी समितियां, श्रीमती मंजू राजपाल, सभी खंडीय अतिरिक्त रजिस्ट्रार और प्रधान कार्यालय के समस्त अनुभागाधिकारी उपस्थित रहे।
सहकारिता राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री दक ने बताया कि प्रदेश में सहकारी संस्थाओं की कार्यप्रणाली में पारदर्शिता स्थापित करने एवं त्वरित कार्य निष्पादन के लिये नये सहकारी कोड में प्रावधान किये जायेंगे। उन्होंने कहा, ‘हमारा उद्देश्य प्रदेश में सहकारिता को सर्वसुलभ बनाते हुये इसके सहज एवं स्वत: विस्तार को सुनिश्चित करना है। प्रदेश का कोई भी नागरिक सहकारिता के माध्यम से मिलने वाले लाभ से वंचित नहीं रहना चाहिये, इसके लिये सहकारी कानून में समयबद्ध सीमा में सदस्यता प्रदान करने का प्रावधान किया जावे।’
छह राज्यों के सहकारी कानूनों का अध्ययन
सहकारिता विभाग के अधिकारियों सहित अभिभाषकों एवं जन प्रतिनिधियों के साथ अपेक्स बैंक में आयोजित ब्रेन स्टॉर्मिंग बैठक में सहकारिता मंत्री ने बताया कि महाराष्ट्र, केरल, तमिलनाडु, गुजरात, मध्यप्रदेश, दिल्ली आदि राज्यों के सहकारी कानूनों का अध्ययन कर सहकारिता प्रसार के लिये युक्तियुक्त प्रावधानों का राजस्थान के परिपेक्ष्य में उनका मसौदा तैयार किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि गृह निर्माण सहकारी समितियों और क्रेडिट सहकारी सोसायटियों की कार्यप्रणाली में पारदर्शिता स्थापित करने के लिये प्रावधानों पर विचार किया गया। इसके लिये सम्बंधित विभागों के प्रावधानों और सहकारिता की भूमिका के मध्य सामंजस्य स्थापित करते हुये कोऑपरेटिव कोड में अध्याय जोड़े जायेंगे।
श्री दक ने बताया कि नये को-ऑपरेटिव कोड में सहकारिता के मूल सिद्धान्तों को आधार बनाते हुये खुली एवं स्वैच्छिक सदस्यता, सदस्यों की आर्थिक सहभागिता, सदस्यों का लोकतांत्रिक नियंत्रण, सदस्यों एवं पदाधिकारियों को सहकारी शिक्षा एवं प्रशिक्षण तथा सहकारी संस्थाओं के मध्य सहकारिता को सुनिश्चित करने के लिये प्रावधानों को संशोधित एवं परिवर्धित करने के लिये अधिकारियों को निर्देशित किया गया है।
डीआर ऑफिस और डीसीसीबी में बनेंगे हेल्प डेस्क- रजिस्ट्रार
रजिस्ट्रार मंजू राजपाल ने कहा कि नये को-ऑपरेटिव कोड में हमारा फोकस कार्यनिष्पादन सीमा को न्यूनतम स्तर तक लाते हुये सदस्यों को त्वरित एवं न्याय संगत कार्यवाही को सुनिश्चित करना है। साथ ही, आमजन को सहकारी सुविधाओं और योजनाओं तक सुगम पहुंच सुनिश्चित करने के लिये सभी जिला इकाइयों एवं जिला केन्द्रीय सहकारी बैंकों में हेल्प डेस्क बनाई जायेंगी।
श्रीमती राजपाल ने कहा कि नये को-ऑपरेटिव कोड को इस प्रकार बनाया जा रहा है, जिसमें सहकारी संस्थाओं की स्वायत्तता को अक्षुण्ण बनी रहे और निर्वाचित पदाधिकारी संस्था की निर्णय प्रक्रिया में अधिकाधिक भाग लेकर एक सबके लिये, सब एक के लिये के मूलमंत्र के आधार पर कार्य कर सकें।