खास खबरसहकारिता

एक और सहकारी सोसाइटी में करोड़ों रुपये का गबन, 6 साल से नहीं हुआ सोसाइटी का निरीक्षण

बड़ा सवाल – मुख्य आरोपियों में एक दिवंगत, दूसरा सेवानिवृत्त, कैसे होगी गबन की रकम की वसूली?

श्रीगंगानगर, 16 अक्टूबर (मुखपत्र)। राजस्थान की एक और सहकारी सोसाइटी में करोड़ों रुपये के गबन का मामला सामने आया है। इस सोसाइटी में अब तक 8 करोड़ रुपये के गबन की पुष्टि हो चुकी है। मिनी बैंक की सावधि जमाओं और बचत खातों में जमा राशि को सोसाइटी का स्टाफ दीमक की भांति चट कर गया।

मामला गंगानगर जिले का है। गंगानगर केंद्रीय सहकारी बैंक लिमिटेड की जैतसर शाखा अंतर्गत 2 जी.बी.(ए) ग्राम सेवा सहकारी समिति लिमिटेड, 3 जीबी में गबन का प्रकरण सामने आया है। गबन की सूचना, सोसाइटी के वर्तमान व्यवस्थापक बिशनपाल सिंह ने ही बैंक प्रबंधन को दी, जिसे गंभीरता से लेते हुए प्रबंध निदेशक संजय गर्ग ने तुरंत प्रभाव से राजस्थान सहकारी सोसाइटी अधिनियम की धारा 55 के अंतर्गत जांच का आदेश देते हुए, बैंक के मुख्य प्रबंधक विकास गर्ग को जांच अधिकारी नियुक्त किया है।

जांच अधिकारी द्वारा सोसाइटी से पूरा रिकार्ड कब्जे में लेकर जांच की गयी तो एक बारगी वे भी सन्न रह गये। मिनी बैंक की कुल 10 करोड़ रुपये की जमाओं में से 8 करोड़ रुपये का गबन मिला है। अधिकांश राशि एफडीआर और बचत खातों की है। कुछ परिवार ऐसे भी हैं जिनकी 40 लाख रुपये तक की जमाएं मिनी बैंक में हैं, लेकिन फिलहाल सोसाइटी में संचालित मिनी बैंक के केवल एक करोड़ रुपये ही केंद्रीय सहकारी बैंक में जमा हैं।

सोसाइटी के अंतिम तीन निरीक्षण, साल 2015-16, 2016-17 एवं 2017-18 में बैंक के एक ऋण पर्यवेक्षक द्वारा किये गये, जो अब दिवंगत हो चुके हैं। तब से आज तक यानी पिछले 6 साल से सोसाइटी का निरीक्षण नहीं हुआ है। बैंक हर साल निरीक्षण आवंटित करता है, जो कि शाखा प्रबंधक या अन्य स्टाफ द्वारा किये जाते हैं। ये जांच का विषय है कि निरीक्षण क्यों नहीं किये गये और निरीक्षण नहीं करने वालों के खिलाफ बैंक प्रबंधन ने आज तक कोई अनुशासनात्मक कार्यवाही क्यों नहीं की?

सोसाइटी के वैधानिक अंकेक्षण में भी भारी चूक उजागर हुई है। सोसाइटी की बैलेंस शीट में, ऋण वितरण की एवज में तीन करोड़ रुपये का ब्याज अनुदान राज्य सरकार से लेना बकाया बता रखा है, जबकि यह रकम कुछेक लाख रुपये ही होती है। बैंक प्रबंधन इसे आपराधिक चूक बता रहा है, जिसके लिये ऑडिट करने वाले सी.ए. की जवाबदेही भी तय की जा सकती है।

बैंक के प्रबंध निदेशक संजय गर्ग ने बताया कि गबन की सूचना 2 जीबीए ग्राम सेवा सहकारी समिति के व्यवस्थापक बिशनपाल सिंह द्वारा दी गयी थी, इसलिए 2015 से सितम्बर, 2024 तक के पीरियड की धारा 55 की जांच का आदेश दिया गया है। मुख्य प्रबंधक विकास गर्ग जांच कर रहे हैं। मामले की गंभीरता को देखते हुए, सोसाइटी मुख्यालय पर शिविर लगाकर, मिनी बैंक के जमाकर्ताओं से एफडीआर और बचत खातों में जमा राशि की जानकारी ली गयी है।

सूत्रों के अनुसार, इस प्रकरण में अब तक की जांच में निवर्तमान व्यवस्थापक सुमेर सिंह और निवर्तमान सहायक व्यवस्थापक ओमप्रकाश चुघ की मुख्य भूमिका सामने आयी है, क्योंकि यही दोनों मिनी बैंक का कामकाज देखते आ रहे थे। वर्तमान व्यवस्थापक बिशनपाल सिंह के पास साल 2015 से व्यवस्थापक का चार्ज है, इसलिए वह भी संदेह के घेरे में है। बिशनपाल सिंह, सुमेर सिंह का सगा भतीजा है, जिसे सुमेरसिंह ने 2007 में सहायक व्यवस्थापक के पद पर लगाया था। सुमेर सिंह, सेवानिवृत्ति के पश्चात 2020 तक, संविदा कार्मिक के रूप में सोसाइटी से जुड़ा रहा और इस अवधि में उसके केवल मिनी बैंक का काम किया। सुमेर सिंह का 2020 में निधन हो गया था, जबकि सहायक ओमप्रकाश चुघ, दिसम्बर 2023 में सेवानिवृत्त हो चुका है, हालांकि वह सेवानिवृत्ति के उपरांत दो माह तक यानी फरवरी, 2024 तक सोसाइटी से जुड़ा रहा और मिनी बैंक का कामकाज देखता रहा।

error: Content is protected !!