राज्यसहकारिता

ग्राम सेवा सहकारी समितियों में करोड़ों रुपये के ऋण माफी घोटाले का आरोप, बैंक प्रबंधन ने जांच का आदेश दिया

श्रीगंगानगर, 28 फरवरी (मुखपत्र)। गंगानगर केंद्रीय सहकारी बैंक लिमिटेड की सादुलशहर शाखा के क्षेत्राधिकार की कई ग्राम सेवा सहकारी समितियों में ऋण माफी योजना के दौरान करोड़ों रुपये की वित्तीय अनियमितता सम्बंधी शिकायत प्राप्त होने पर, बैंक प्रबंधन द्वारा जांच का आदेश दिया गया है।

राजस्थान सम्पर्क पोर्टल से प्राप्त एक शिकायत के आधार पर गंगानगर केंद्रीय सहकारी बैंक लिमिटेड की सादुलशहर शाखा से सम्बद्ध 8 ग्राम सेवा सहकारी समितियों – करड़वाला, तख्तहजारा, अलीपुरा, खैरूवाला, मनियावाली, सादुलशहर, हाकमाबाद और गदरखेड़ा में, कांग्रेस सरकार के कार्यकाल के दौरान 2018-19 में हुई ऋण माफी योजना में घोटाले की प्रारम्भिक जांच के लिए जांच अधिकारी नियुक्त किये गये हैं। प्रत्येक जांच अधिकारी को दो-दो ग्राम सेवा सहकारी समितियां आवंटित कर, प्राइमरी जांच करने और परिवादी का पक्ष सुनने के पश्चात, एक माह में रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा गया है।

परिवादी अनुज कुमार ने जिन समितियों में ऋण माफी योजना में गड़बड़ी का आरोप लगाया है, उनमें से, वरिष्ठ प्रबंधक महेंद्र प्रताप ज्याणी को करड़वाला एवं तख्तहजारा की, वरिष्ठ प्रबंधक श्रीमती नीनू बाला को अलीपुरा एवं खैरूवाला की, वरिष्ठ प्रबंधक श्रीमती शिप्रा बहल को मनियावाली एवं सादुलशहर की तथा वरिष्ठ प्रबंधक महेश सिरोही को हाकमाबाद एवं गदरखेड़ा ग्राम सेवा सहकारी समिति की जांच सौंपी गयी है।

शिकायतकर्ता अनुज कुमार के अनुसार, उसके पास ऋण माफी योजना में करोड़ों रुपये के घोटाले के दस्तावेजी सुबूत हैं। अनुज का आरोप है कि वो पुख्ता सुबूतों के साथ अब तक 40 बार शिकायत पेश कर चुका है, लेकिन बैंक के पूर्ववर्ती अधिकारियों के आरोपियों से मिले होने के कारण आज तक जांच नहीं करवायी गयी और मामले को दबाये रखा गया। अनुज के अनुसार, उसी की शिकायत पर सादुलशहर क्षेत्र की खाट सजवार ग्राम सेवा सहकारी समिति में जांच करवायी गयी थी और 91 लाख रुपये का घोटाला उजागर हुआ था। अनुज का आरोप है कि किसानों के खाते में फर्जी लोन बढ़ा-चढ़ा कर दिखाया गया और विभिन्न समितियों के व्यवस्थापकों व तत्कालिन लोन सुपरवाइजर ने सांठगांठ कर अनेक खातों में 1.50 लाख रुपये तक की ऋणमाफी उठा ली गयी, जबकि उस समय बैंक की ओर से अधिकांश किसानों को अधिकतम 50 हजार रुपये का ही लोन दिया गया था।

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