राज्यसहकारिता

ये कैसा ई-फाइलिंग सिस्टम! आठ दिन जेल में बिता कर आये सरकारी अफसर का एक माह बाद भी निलम्बन नही

जयपुर, 25 अप्रेल (मुखपत्र)। भ्रष्टाचार के मामले में सजायाफ्ता एक अफसर के सामने राज्य सरकार का ई-फाइलिंग सिस्टम भी बौना पड़ गया है। राजस्थान सहकारिता सेवा के उप रजिस्ट्रार कैडर के अधिकारी बजरंग लाल झारोटिया को भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) की विशेष अदालत द्वारा 22 मार्च 2023 को सजा सुनाये गयी, वह 9 दिन तक जेल की सलाखों के पीछे रहा, लेकिन ई-फाइलिंग के प्रोपेगंडा के बावजूद, राज्य सरकार आज दिनांक तक, उसे निलम्बित नहीं कर पायी है।

उदयपुर सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, उदयपुर में प्रबंध निदेशक के पद पर रहते हुए, एसीबी ने 20 अक्टूबर 2006 को झारोटिया को 38 हजार रुपये की रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया था। इस मामले में 2008 में एसीबी कोर्ट में चालान पेश हुआ था। डेढ़ दशक की लम्बी सुनवाई के पश्चात, उदयपुर एसीबी की विशेष अदालत ने, 22 मार्च 2023 को बजरंग लाल को दोषी मानते हुए, चार साल जेल और 20 हजार रुपये जुर्माना की सुजा सुनाई।

सक्षम अथोरिटी ने रिपोर्ट भेजी, लेकिन कार्यवाही शून्य

सजा सुनाये जाने के तुरंत बाद, पुलिस ने बजरंग लाल को गिरफ्तार कर लिया और उसे उदयपुर जेल में जमा करवा दिया गया। झारोटिया की अपील पर, आठ दिन बाद 29 मार्च 2023 को जोधपुर हाईकोर्ट ने एसीबी अदालत के दण्डादेश को निलम्बित कर, झारोटिया की जमानत अर्जी स्वीकार कर ली। नौंवे दिन झारोटिया जेल से बाहर आया। इस दौरान, बैंक के अध्यक्ष मदन गोपाल चौधरी एडवोकेट, अजमेर सीसीबी की प्रबंध निदेशक रेणु एस. अग्रवाल और जोनल एडिशनल रजिस्ट्रार, अजमेर पूनम भार्गव ने पूरे प्रकरण की रिपोर्ट बनाकर, राज्य सरकार और सहकारिता विभाग को सूचनार्थ भिजवाते हुए, आगामी कार्यवाही हेतु निवेदन किया। बैंक अध्यक्ष चौधरी ने एक पत्र अलग से सहकारिता रजिस्ट्रार व सहकारिता मंत्री को पत्र लिखकर, कानून और सीसीए रूल्स का हवाला देते हुए झारोटिया को निलम्बित करने की मांग की, परन्तु ई-फाइलिंग के अति प्रचारित युग में भी राज्य सरकार के सक्षम अधिकारियों को, बजरंग लाल का निलम्बन आदेश जारी करने की फुर्सत नहीं मिली।

जेल से छूटते ही ज्वाइन करने पहुंच गया

जब झारोटिया को इस मामले में चार साल की सजा सुनाई गयी, तब वह अजमेर सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड में अधिशासी अधिकारी के पद पर कार्यरत था और उसके पास बैंक के प्रबंध निदेशक पद का अतिरिक्त कार्यभार भी था। बजरंग लाल के जेल जाने के बाद, सरकार ने प्रबंध निदेशक के पद का अतिरिक्त कार्यभार, अतिरिक्त रजिस्ट्रार रेणु एस. अग्रवाल को सौंप दिया, लेकिन झारोटिया के मामले में सरकार की कलम की स्यायी सूख गयी। यही कारण रहा कि जमानत मिलने के बाद, 1 अप्रेल 2023 को झारोटिया ने बैंक पहुंचकर अधिशासी अधिकारी के पद पर ज्वाइन करने की कोशिश की, लेकिन इसमें उसे सफलता नहीं मिली। चूंकि सरकार ने आज तक, उसे निलम्बित नहीं किया है, इसलिए अब वो कानूनी प्रक्रिया का सहारा लेकर अधिशासी अधिकारी के पद पर ज्वाइन करने की तैयारी में है।

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