केंद्रीय सहकारिता मंत्री शुक्रवार को राष्ट्रीय सहकारी डेटाबेस का लोकार्पण करेंगे, जानिये क्या है को-ऑपरेटिव डेटाबेस और जनकल्याण के लिए यह कैसे उपयोगी सिद्ध होगा
नई दिल्ली, 7 मार्च। केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह 8 मार्च 2024 को नई दिल्ली में राष्ट्रीय सहकारी डेटाबेस (NCD) का लोकार्पण करेंगे। वे इस अवसर पर ‘राष्ट्रीय सहकारी डेटाबेस 2023 : एक रिपोर्ट’ का विमोचन भी करेंगे।
इसके तहत सहकारिता मंत्रालय ने भारत के विशाल सहकारी सेक्टर की महत्वपूर्ण सूचनाओं को एकत्र करने के लिए एक सुदृढ़ डेटाबेस की अनिवार्य आवश्यकता को पहचाना है। सहकारिता केंद्रित आर्थिक मॉडल को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य सरकारों, राष्ट्रीय संघों और हितधारकों की सहभागिता से राष्ट्रीय सहकारी डेटाबेस का विकास किया गया है।
लोकार्पण समारोह में करीब 1400 प्रतिभागी भाग लेंगे, जिनमें केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों के सचिव और अन्य वरिष्ठ अधिकारी, राज्यों के अपर मुख्य सचिव/प्रधान सचिव, सहकारी समितियों के पंजीयक, देशभर की सहकारी समितियां, अन्य सहकारी संघ/यूनियन आदि शामिल हैं। प्रतिभागियों को राष्ट्रीय सहकारी डेटाबेस (एनसीडी) के उपयोग व अनुप्रयोग तथा भारत के सहकारी भूदृश्य में सुधार की इसकी क्षमता के बारे में जानकारी देने और प्रबुद्ध करने के लिए पूर्वाह्न के सत्र में एक तकनीकी कार्यशाला भी आयोजित की जाएगी।
तीन चरण में एकत्र किया गया है देशभर से डेटा
राष्ट्रीय सहकारी डेटाबेस में सहकारी समितियों के डेटा को विभिन्न हितधारकों से चरणबद्ध तरीके से एकत्र किया गया है। पहले चरण में तीन क्षेत्रों यानी प्राथमिक कृषि ऋण समिति, डेयरी और मत्स्यिकी की लगभग 2.64 लाख प्राथमिक सहकारी समितियों की मैपिंग पूरी की गई। दूसरे चरण में विभिन्न राष्ट्रीय संघों, राज्य संघों, राज्य सहकारी बैंक (SCB), जिला केंद्रीय सहकारी बैंक (DCCB), शहरी सहकारी बैंक (UCB), राज्य सहकारी कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (SCARDB), प्राथमिक कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (PCARDB), सहकारी चीनी मिल, जिला यूनियन और बहुराज्य सहकारी समितियों (MSCS) के आंकड़े एकत्रित कर मैप किए गए। तीसरे चरण में अन्य बाकी क्षेत्रों में 5.3 लाख से अधिक प्राथमिक सहकारी समितियों के डेटा की राज्य (RCS) एवं संघ राज्य क्षेत्र (DRCS) कार्यालयों के माध्यम से मैपिंग की गई।
वेब आधारित डिजिटल डैशबोर्ड है सहकारी डेटाबेस
राष्ट्रीय सहकारी डेटाबेस एक वेब आधारित डिजिटल डैशबोर्ड है, जिसमें राष्ट्रीय/राज्य संघों सहित सहकारी समितियों के डेटा को एकत्र किया गया है। सहकारी समितियों के डेटा को राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों के नोडल अधिकारियों द्वारा आरसीएस/डीआरसीएस कार्यालयों में प्रविष्ट और सत्यापित किया गया है और संघों के डेटा विभिन्न राष्ट्रीय/राज्य संघों द्वारा प्रदान किए गए हैं। डेटाबेस ने विभिन्न सेक्टरों की लगभग 8 लाख सहकारी समितियों के साथ-साथ उनकी 29 करोड़ से भी अधिक की सामूहिक सदस्यता की सूचनाओं को एकत्र किया है। सहकारी समितियों से एकत्रित सूचनाएं उनके पंजीकृत नाम, तारीख, स्थान, सदस्यों की संख्या, क्षेत्र की सूचना, कार्यक्षेत्र, आर्थिक कार्यकलाप, वित्तीय लेनदेन के विवरण और ऑडिट की स्थिति आदि जैसे विभिन्न मानदंडों से संबंधित हैं।
समितियों के लिये क्यों उपयोगी है डेटाबेस
राष्ट्रीय सहकारी डेटाबेस केंद्रीय मंत्रालयों, राज्यों और सहकारी समितियों के बीच प्रभावशाली संवाद का एक महत्वपूर्ण उपकरण है, जिससे सहकारी क्षेत्र के सभी हितधारक लाभान्वित होंगे। यह डेटाबेस पंजीकृत समितियों का व्यापक सम्पर्क विवरण प्रदान करता है, जो सरकारी संस्थाओं और इन समितियों के बीच सुचारु संप्रेषण में सहायक है ।
राष्ट्रीय सहकारी डेटाबेस अनेक लाभ प्रदान करता है, जिससे सिंगल पॉएंट एक्सेस, कन्सोलिटेड एवं अपडेटेड डेटा, यूजर फ्रेंडली इंटरफेस, वर्टिकल और हॉरिज़ोंटल लिंकेज, प्रश्न-आधारित रिपोर्टेस और ग्राफ, प्रबंधन सूचना प्रणाली (एमआईएस) रिपोर्टेस, डेटा विश्लेषण और भौगोलिक मैपिंग आदि से सहकारी क्षेत्र की कुशलता और प्रभावशीलता बढाने में मदद मिलती है। इस पहल की सफलता प्रभावी सहयोग, सटीक डेटा संग्रह और क्षेत्रीय अंतराल की पहचान करने के लिए डेटाबेस के रणनीतिक उपयोग और तदनुसार रिक्त स्थान को भरने के लिए उपयुक्त नीति और सूचित निर्णय लेने पर निर्भर करती है। कुल मिलाकर राष्ट्रीय सहकारी डेटाबेस सहकारी क्षेत्र में पारदर्शिता और सहभागिता को बढ़ावा देता है।