समर्पित अवकाश के बदले नगद भुगतान का मामला, सहकारी अफसरों को मिला धन और बैंक कार्मिकों के हिस्से आया इंतजार
सहकार नेता सूरजभान सिंह आमेरा ने सहकारिता मंत्री, शासन सचिव और रजिस्ट्रार के समक्ष उठाया मुद्दा
जयपुर, 13 अगस्त (मुखपत्र)। सहकारिता विभाग की नीति और सहकारी बैंकों के प्रबंधन की मनमानी केे चलते, राजस्थान के सहकारी बैंकों के अधिकारी एवं कर्मचारी, 15 दिन के समर्पित अवकाश के बदले नगद भुगतान के लिए महीनों से बाट जोह रहे हैं जबकि इन्हीं बैंकों में प्रतिनियुक्ति पर कार्यरत सहकारी अफसरों ने अप्रैल -2024 में ही इस सुविधा का लाभ उठा लिया।
ऑल राजस्थान को-ऑपरेटिव बैंक एम्प्लॉइज यूनियन व ऑल राजस्थान को-ऑपरेटिव बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन के प्रान्तीय महासचिव सूरजभान सिंह आमेरा ने बताया कि राजस्थान राज्य सहकारी बैंक लिमिटेड जयपुर (RStCB), जिला केंद्रीय सहकारी बैंक लिमिटेड (DCCB), राजस्थान राज्य सहकारी भूमि विकास बैंक लिमिटेड (SLDB) एवं समस्त प्राथमिक सहकारी भूमि विकास बैंक लिमिटेड (PLDB) के कर्मचारियों व अधिकारियों को हर साल 15 दिवस के समर्पित अवकाश के बदले नगद भुगतान मिलता है। यह सुविधा वर्षों से जारी है और सरकारी कर्मचारियों को भी यह सुविधा देय है।
उन्होंने बताया कि वित्त वर्ष 2024-25 के लिए पात्र सहकारी बैंकों के लाभ में होने व अर्जित लाभ पर आयकर देने की मजबूत आर्थिक स्थिति के बावजूद अपैक्स बैंक, एसएलडीबी, डीसीसीबी व पीएलडीबी केकर्मचारियों व अधिकारियों को अप्रैल 2024 से किया जाने वाला समर्पित अवकाश नगद भुगतान अगस्त माह तक भी नहीं किया गया है, जिससे प्रदेश के सहकारी बैंक कर्मियों में सरकार के प्रति असंतोष व रोष व्याप्त है। उक्त भुगतान की देरी से बैंक कर्मियों के उपार्जित अवकाश लेप्स होने से भी दोहरा आर्थिक नुक़सान उठाना पड़ रहा है।
आमेरा ने बताया कि सहकारी बैंक कर्मियों के उपार्जित अवकाश सहित सभी अवकाश नियमानुसार बैंक नियोक्ता सक्षम अधिकारी द्वारा बैंक स्तर पर ही स्वीकृत किया जाते हैं तो नियमानुसार उस अवकाश के एवजी नगद वेतन भुगतान का अधिकार भी उसी नियोक्ता व अवकाश स्वीकृत अधिकारी को होता है तथा होना चाहिए। परन्तु, रजिस्ट्रार या शासन सचिव या वित्त विभाग स्तर से स्वीकृति की अनावश्यक, अव्यावहारिक, अनुचित व नियम विरुद्ध व्यवस्था थोप कर नियमानुसार देय वाजिब आर्थिक भुगतान को प्रक्रिया में उलझाकर सहकारी विभाग द्वारा सहकारी बैंक कर्मियों को आर्थिक रूप से प्रताडि़त व परेशान किया जा रहा है। इससे सहकारी विभाग द्वारा बैंक कर्मियों के वाजिब हक को विवादास्पद बना लम्बित रख राज्य भर में बैंक कर्मियों में सरकारी विरोधी वातावरण बनाया जा रहा है।
आमेरा ने बताया कि यह कैसी मनमानी, विरोधाभासी एवं भेदभावपूर्ण व्यवस्था है कि सहकारी बैंको में प्रतिनियुक्ति पर पदस्थापित सहकारी विभाग के सभी अधिकारियों ने तो उक्त सुविधा के पेटे अप्रैल 2024 में ही पूरा भुगतान उठा लिया है जबकि उसी बैंक के मूल सहकारी बैंक कार्मिक को नियमानुसार देय समर्पित अवकाश भुगतान अभी तक नहीं किया गया है।
सहकार नेता के अनुसार, यूनियन-एसोसिएशन द्वारा सहकारिता मंत्री गौतम कुमार दक, सहकारिता विभाग की शासन सचिव शुचि त्यागी व सहकारिता रजिस्ट्रार अर्चना सिंह को ज्ञापन देकर बैंक कर्मियों के नियमानुसार वाजिब लम्बित समर्पित अवकाश का नगद भुगतान किये जाने की मांग की गयी है।