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स्क्रीनिंग मामले में दो सहकारी अफसरों पर चलेगा भ्रष्टाचार का मुकदमा, राज्य सरकार ने दी अनुसंधान की स्वीकृति

जयपुर, 12 नवम्बर (मुखपत्र)। राजस्थान सहकारिता सेवा के दो अधिकारियों के विरुद्ध भ्रष्टाचार/पद के दुरूपयोग के आरोप में मुकदमा चलाया जायेगा। राज्य सरकार ने दो सहकारी अफसरों के खिलाफ एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) द्वारा मुकदमा चलाये जाने की अनुमति प्रदान कर दी है। यह मामला ग्राम सेवा सहकारी समितियों (PACS) के व्यवस्थापकों की स्क्रीनिंग से जुड़ा है।

विश्वस्त सूत्रों के अनुसार, यह मामला साल 2022-23 में बीकानेर संभाग के एक केंद्रीय सहकारी बैंक लिमिटेड (DCCB) से जुड़ा है, जहां साल 2022-23 में लम्बे समय तक व्यवस्थापकों की स्क्रीनिंग की संक्षिप्त सूचियां जारी होती रही थी। भ्रष्टाचार निवारण (संशोधन) अधिनियम 2018 की धारा 17(ए) के तहत राजस्थान सहकारिता सेवा के जिन दो अफसरों के विरूद्ध अनुसंधान के लिए स्वीकृति जारी की गयी है, वे दोनों अब बीकानेर संभाग में पदस्थापित नहीं हैं।

फिलहाल दोनों अधिकारी, स्क्रीनिंग से सम्बंधित प्रकरण की जांच रिपोर्ट प्राप्त करने के लिये कार्यालय रजिस्ट्रार, सहकारी समितियां के चक्कर काट रहे हैं ताकि अभियोजन स्वीकृति को उच्च न्यायालय में चुनौती दी जा सके।

इन्हें प्राप्त हैं अभियोजन की स्वीकृति देने की शक्तियां

उल्लेखनीय है कि सहकारी संस्थाओं में किसी प्रकार की वित्तीय अनियमितता, भ्रष्टाचार एवं पद के दुरूपयोग के मामले में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 2018 की धारा 17(ए) के तहत अनुसंधान स्वीकृति एवं धारा 19 के तहत अभियोजन स्वीकृति जारी करने के लिए रजिस्ट्रार, सहकारी समितियां द्वारा दिनांक 07.11.2022 को एक परिपत्र जारी किया गया था। परिपत्र के अनुसार प्राथमिक सहकारी सोसाइटी के वेतनिक कार्मिक के विरूद्ध संचालक मंंडल/प्रशासक, निर्वाचित सदस्य के विरुद्ध खंडीय अतिरिक्त रजिस्ट्रार तथा प्रतिनियुक्ति पर कार्यरत राज्य कर्मचारी के विरुद्ध विभागाध्यक्ष या राज्य सरकार (जो भी नियोक्त हो) को अनुसंधान/अभियोजन स्वीकृति जारी किये जाने की शक्तियां प्राप्त हैं।

केंद्रीय सहकारी सोसाइटी के वेतनिक कार्मिक के विरूद्ध संचालक मंंडल/प्रशासक, निर्वाचित सदस्य के विरुद्ध रजिस्ट्रार, सहकारी समितियां तथा प्रतिनियुक्ति पर कार्यरत राज्य कर्मचारी के विरुद्ध विभागाध्यक्ष या राज्य सरकार (जो भी नियोक्त हो) को अनुसंधान/अभियोजन स्वीकृति जारी किये जाने की शक्तियां प्राप्त हैं। इसी प्रकार, शीर्ष सहकारी संस्थाओं में वेतनिक कार्मिक के विरुद्ध संचालक मंडल/प्रशासक, निर्वाचित सदस्य के विरुद्ध राज्य सरकार और प्रतिनियुक्ति पर कार्यरत राज्य कर्मचारी के विरुद्ध विभागाध्यक्ष या राज्य सरकार (जो भी नियोक्त हो) को अनुसंधान/अभियोजन स्वीकृति जारी किये जाने की शक्तियां प्राप्त हैं।

यदि अधिकृत व्यक्ति अभियोजन स्वीकृति जारी नहीं करे, तब…

प्राथमिक सोसाइटी के मामले में वेतनिक कर्मचारी के लिए खंडीय अतिरिक्त रजिस्ट्रार और निर्वाचित सदस्य एवं प्रतिनियुक्ति पर कार्यरत कार्मिक के लिए रजिस्ट्रार, सहकारी समितियां को, केंद्रीय सोसाइटी के मामले में वेतनिक कर्मचारी के लिए रजिस्ट्रार, सहकारी समितियां और निर्वाचित सदस्य एवं प्रतिनियुक्ति पर कार्यरत कार्मिक के लिए राज्य सरकार को तथा शीर्ष सहकारी संस्थाओं के मामले में वेतनिक कर्मचारी, निर्वाचित सदस्य एवं प्रतिनियुक्ति पर कार्यरत कार्मिक के लिए रजिस्ट्रार, सहकारी समितियां को अनुसंधान/अभियोजन स्वीकृति जारी करने की शक्तियां प्राप्त हैं।

 

 

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