ई-ऑडिट की प्रगति पर सहकारिता रजिस्ट्रार ने जताया असंतोष
पैक्स कम्प्यूटराइजेशन प्रोजेक्ट में लापरवाही बरतने वाले अफसरों पर गिरेगी गाज
सिस्टम इंटीग्रेटर को तकनीकी स्टाफ की संख्या बढाने के लिए निर्देशित किया
जयपुर, 23 जुलाई (मुखपत्र)। सहकारिता विभाग की प्रमुख शासन सचिव एवं रजिस्ट्रार, सहकारी समितियां श्रीमती मंजू राजपाल ने कहा कि सहकारी समितियां की ऑनलाइन ऑडिट होने से उनके कामकाज में पारदर्शिता आएगी, जिससे आमजन का उन पर विश्वास बढ़ेगा। उन्होंने ई-ऑडिट की अब तक की प्रगति पर असंतोष व्यक्तकरते हुए आगामी दिनों में अधिक सक्रियता के साथ काम कर समयबद्ध रूप से कार्य सम्पन्न करने के अधिकारियों को निर्देश दिए। वे बुधवार को नेहरू सहकार भवन में वीसी के माध्यम से पैक्स कम्प्यूटराइजेशन प्रोजेक्ट की प्रगति की समीक्षा कर रही थीं।
उन्होंने कहा कि कुछ केन्द्रीय सहकारी बैंकों के स्तर पर इस दिशा में अच्छा कार्य हो रहा है, लेकिन कई सीसीबी को निर्धारित लक्ष्य अर्जित करने के लिए अधिक प्रयास करने की आवश्यकता है। उन्होंने मुख्यालय स्तर से इसकी नियमित मॉनिटरिंग करने तथा कमजोर प्रदर्शन वाले जिलों पर विशेष रूप से फोकस करने के निर्देश दिए।
जहां समस्या, वहां विभागीय ऑडिटर से ई-ऑडिट करवायें
प्रमुख शासन सचिव ने गो-लाइव, डे एंड, डायनामिक डे एंड, हैण्ड होल्डिंग एवं ई-पैक्स के बीच के अंतर को दूर करने के निर्देश देते हुए कहा कि जिन पैक्स, ऑडिटर अथवा केन्द्रीय सहकारी बैंकों के स्तर पर इस कार्य में निरन्तर लापरवाही बरती जा रही है, उनके विरुद्ध कार्यवाही की जाए। उन्होंने निर्देश दिए कि जहां भी ई-ऑडिट के कार्य में समस्या आ रही है, वहां विभागीय ऑडिटर नियुक्तकिया जाकर प्रक्रिया सम्पन्न करवाई जाए।
सिस्टम इंटीग्रेटर की खिंचाई
प्रमुख शासन सचिव ने पैक्स कम्प्यूटराइजेशन कार्य के लिए नियोजित सिस्टम इंटीग्रेटर को भी अधिक सक्रिय होकर कार्य करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि जिन जिलों में अधिक गैप्स हैं, वहां अधिक संख्या में कर्मचारी लगाये जाएं। कर्मचारी प्रशिक्षित एवं कार्यकुशल होने चाहिए। उन्होंने कहा कि जिन जिलों में पर्याप्त संख्या में स्टाफ है, वहां अच्छी प्रगति सामने आ रही है, इसलिए अन्य जिलों में भी इसी प्रकार के प्रयास किए जाएं। उन्होंने समस्याओं को दूर करने के लिए पैक्स स्तर तक सम्पर्क एवं संवाद कायम रखने के निर्देश दिए।
निष्क्रिय समितियों के अवसायन की प्रगति की समीक्षा
श्रीमती राजपाल ने बैठक में निष्क्रिय समितियों के अवसायन की प्रगति की भी समीक्षा की। उन्होंने अलवर, भरतपुर, डीग, बीकानेर, धौलपुर, जयपुर, टोंक और कोटपूतली-बहरोड़ के उप रजिस्ट्रारों को आगामी 7 दिवस में पुनर्जीवन/अवसायन की प्रक्रिया पूर्ण करने के निर्देश दिए। उन्होंने इस संबंध में डेटा एनसीडी पोर्टल पर अपडेट करने तथा बकाया लेनदारियों की वसूली कर दायित्वों की पूर्ति के लिए भी निर्देशित किया।
बैठक में अपेक्स बैंक के प्रबंध निदेशक संजय पाठक, संयुक्त रजिस्ट्रार (नियम) अजय उपाध्याय, संयुक्त मुख्य अंकेक्षक शिवदयाल मीणा सहित अन्य अधिकारी उपस्थित रहे। जिला उप रजिस्ट्रार, केन्द्रीय सहकारी बैंकों के प्रबंध निदेशक एवं स्पेशल ऑडिटर वीसी के माध्यम से बैठक में शामिल हुए।
जयपुर, 23 जुलाई (मुखपत्र)। ग्राम सेवा सहकारी समितियां (पैक्स और लैम्पस) के माध्यम से जिला केंद्रीय सहकारी बैंक लिमिटेड (DCCB) से सहकारी फसली ऋण लेने वाले किसानों के लिये जीवन बीमा सुरक्षा योजना को लेकर 24 जुलाई 2025 को जयपुर में महत्वपूर्ण बैठक होने जा रही है। सहकारिता राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) गौतमकुमार दक की अध्यक्षता में होने जा रही इस बैठक में सहकार जीवन बीमा योजना को अपनाने अथवा इसके विकल्प के रूप में किसी योजना को अंगीकार करने पर मंथन होगा।
सहकारिता विभाग द्वारा ग्राम सेवा सहकारी समितियां के सदस्य किसानों को दिये जाने वाले अल्पकालीन फसली ऋण की सुरक्षा के लिए ऋणी किसानों का जीवन बीमा किया जाता है। इसके लिए प्रीमियम की राशि किसान को चुकानी होती है।
बीमा कम्पनी का चयन सहकारिता विभाग के निर्देशानुसार राजस्थान राज्य सहकारी बैंक लिमिटेड (अपेक्स बैंक) द्वारा किया जाता है। इस बीमा योजना का मूल उद्देश्य, किसान की मृत्यु की स्थिति में उसे दिये गये सहकारी ऋण की सुरक्षा करना और ऋणी के परिवार को आर्थिक भार से बचाना है। बीमाधारक किसान का निधन होने की दशा में, किसान द्वारा लिये गये फसली ऋण की राशि का बीमा कम्पनी द्वारा सम्बंधित बैंक को चुकारा किया जाता है।
दो आयु वर्गों में होता आया है जीवन बीमा
दरअसल, इस योजना के तहत किसानों का जीवन बीमा दो आयु वर्गों में किया जाता रहा है। एक आयु वर्ग में 18 वर्ष से 60 वर्ष तक तथा दूसरे आयु वर्ग में 60 वर्ष से 79 वर्ष तक के किसानों को शामिल किया जाता है। मार्च, 2025 को अपेक्स बैंक के स्तर पर सहकार जीवन बीमा सुरक्षा योजना के लिए टेंडर आमंत्रित किये गये थे, जिसमें प्रीमियम रेट 2024-25 की तुलना में काफी कम आयी थी।
18 से 60 वर्ष तक आयु वर्ग के लिए स्टार यूनियन डाई-इची लाइफ इन्श्योरेंस कम्पनी ने सबसे कम 5 रुपये 29 पैसे (जीएसटी सहित) की दर पर जबकि 60 वर्ष से अधिक से 79 वर्ष तक के आयु वर्ग के लिए एसबीआई लाइफ इन्श्योरेंस कम्पनी ने सबसे कम 21 रुपये 63 पैसे (जीएसटी सहित) की प्रीमियम दर पर बीमा किये जाने की सहमति दी गयी थी। इससे किसानों को बीमा कम्पनियों को लगभग 150 करोड़ रुपये चुकाने पड़ते, हालांकि यह राशि 2024-25 की तुलना में लगभग 40 करोड़ रुपये कम थी।
मंत्री के निर्देश पर निरस्त किया टेंडर
जीवन बीमा योजना में प्रीमियम की तुलना में काफी कम क्लेम के रिकार्ड को देखते हुए सहकारिता राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) गौतमकुमार दक ने टेंडर निरस्त करने के निर्देश दिये, जिसके बाद अपेक्स बैंक ने उपरोक्त टेंडर निरस्त कर दिये। उस समय श्री दक ने मुखपत्र से बातचीत करते हुए कहा कि हम किसानों के लिए सस्ता विकल्प उपलब्ध करायेंगे, जो बीमा के रूप में नहीं होकर, कृषक कल्याण कोष के रूप में हो सकता है। हालांकि, इसका उद्देश्य भी बैंक के ऋण की सुरक्षा करना है, ताकि मृत्यु की स्थिति में किसान के परिवार पर किसी प्रकार का आर्थिक भार नहीं पड़े।
सहकारी बैंकों के अध्यक्ष भी शामिल होंगे
सहकारिता मंत्री की अध्यक्षता में 24 जुलाई को प्रात: 11 बजे अपेक्स बैंक में होने वाली इस बैठक में सहकारिता विभाग के वरिष्ठ अधिकारी, नाबार्ड के मुख्य महाप्रबंधक, अपेक्स बैंक व राज्य सहकारी भूमि विकास बैंक के प्रबंध निदेशक, चार केंद्रीय सहकारी बैंकों के अध्यक्ष, पांच केंद्रीय सहकारी बैंकों के प्रबंध निदेशक, तीन ग्राम सेवा सहकारी समितियों के अध्यक्ष एवं व्यवस्थापक तथा तीन प्राथमिक सहकारी भूमि विकास बैंकों के अध्यक्ष एवं सचिव को आमंत्रित किया गया है।
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