सहकारिता सेवा के रिश्वतखोर अधिकारी को चार साल जेल की सजा
उदयपुर, 22 मार्च (मुखपत्र)। महिषासुर मर्दनी की उपासना का पर्व आरम्भ होते ही भ्रष्टाचार के महिषासुर बजरंग लाल झारोटिया के काले कारनामों का अध्याय समाप्त हो गया। उदयपुर की एसीबी कोर्ट ने भ्रष्टाचार के एक पुराने मामले में बुधवार को राजस्थान राज्य सहकारिता सेवा के उप रजिस्ट्रार बजरंग लाल को चार साल की सजा सुनाई और 20 हजार रुपये अर्थदंड लगाया। बजरंग लाल झारोटिया पुत्र लादूराम रेगर निवासी बघेरा अजमेर को अलग-अलग धारा में चार-चार की सजा सुनाई गयी। बजरंग लाल को एसीबी ने साल 2006 में उदयपुर सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड में प्रबंध निदेशक रहते हुए 38 हजार रुपये की रिश्वत लेते रैड-हैंडेड गिरफ्तार किया था। यह मामला 2008 से उदयपुर में एसीबी की स्पेशल कोर्ट में विचाराधीन था।
38 हजार रुपये की रिश्वत लेते हुआ था गिरफ्तार
यह प्रकरण, उदयपुर सीसीबी में अनुबंध के आधार पर, कम्प्यूटर का काम करने वाली फर्म की ओर से दर्ज कराया गया था, जिसमें झारोटिया पर, फर्म का बिल पास करने की एवज में 38 हजार रुपये की रिश्वत मांगने का आरोप था। एसीबी ने 20 अक्टूबर 2006 को झारोटिया को रिश्वत की यह रकम लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया था। बजरंग लाल पुत्र लादूराम रेगर निवासी बघेरा अजमेर, साल 2003-04 में सहकारिता सेवा में आया था और एसीबी प्रकरण व अन्य कई प्रकरणों के कारण, वर्ष 2013-14 से उसका प्रमोशन का लिफाफा बंद है।
अजमेर सीसीबी ही बन गया था कर्मस्थली
हाल के वर्षों में राजनीतिक अप्रोच के दम पर बजरंग लाल झारोटिया लगातार अजमेर सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक में पदस्थापित ही रहा है। वर्तमान में भी वह अजमेर सीसीबी में अधिशासी अधिकारी के पद पर कार्यरत था और उसके पास अजमेर सीसीबी के एमडी पद का अतिरिक्त कार्यभार था।
अजमेर सीसीबी में उसके भ्रष्टाचार, वित्तीय अनियमितता और नियमों के उल्लंघन के कई मामलों की जांच सहकारिता विभाग के पास विचाराधीन है। इसके बावजूद उसे अजमेर सीसीबी में ही पदस्थापित होने में कभी दिक्कत नहीं आयी।