एसीबी की इन्क्वायरी मशीन में धुल गये सहकारी अफसर के भ्रष्टाचार के दाग
जयपुर, 11 नवम्बर (मुखपत्र) । आलू से सोना बनाने वाली राजनीतिक मशीन के बाद, आज राजस्थान में यदि किसी मशीन की सबसे अधिक चर्चा है, तो वो है एंटी क्रप्शन ब्यूरो (ACB) की इन्क्वायरी मशीन, जिसमें भ्रष्टाचार का कलंक धुलकर, ईमानदारी के झक सफेद दूध की भांति निखर आता है। सहकारी अफसर देशराज यादव के रिश्वत मामले में एसीबी की क्लीन चिट यही कहानी कह रही है। राज्य सहकारिता सेवा के सहायक रजिस्ट्रार कैडर के अधिकारी देशराज यादव को एसीबी ने सवा दो साल पहले 15 लाख रुपये की रिश्वत की मांग करने और अपने कार्यालय के सहकारी निरीक्षक अरुणप्रताप सिंह के माध्यम से पहली किश्त के रूप में 5 लाख रुपये की रिश्वत लेने के मामले में गिरफ्तार किया था। अब जांच में एसीबी ने यादव को क्लीन चिट दे दी है और केवल अरुण प्रताप सिंह को गुनाहगार माना है।
दैनिक भास्कर ने इस मामले में प्रकाशित समाचार में एसीबी की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाया है। दो साल चार माह पहले सहकारिता विभाग के उप रजिस्ट्रार देशराज यादव पर 15 लाख रुपए की रिश्वत मांगने का आरोप लगा। उस समय एसीबी ने सत्यापन कर यह माना था कि रिश्वत मांगी गई है और उसी आधार पर मामला दर्ज कर देशराज के साथ कोऑपरेटिव इंस्पेक्टर अरुण प्रताप सिंह को गिरफ्तार किया था। अब दो साल की जांच के बाद एसीबी खुद कह रही है देशराज यादव के खिलाफरिश्वत मांगने का कोई सबूत नहीं मिला। ऐसे में बड़ा सवाल यह है क्या एसीबी का सत्यापन मलत था, या जांच में कहीं कोई खेल खेला गया?
आमने-सामने बैठाकर पूछताछ के बाद किया था गिरफ्तार
जून 2023 में सिंधु नगर कोऑपरेटिव हाउसिंग सोसाइटी के प्रतिनिधि नीलकमल ने शिकायत दी कि उप रजिस्ट्रार,सहकारी समितियां, जयपुर (शहर) देशराज यादव ने उसके प्रकरण के निपटारे के लिए 15 लाख रुपए मांगे है। एसीबी ने शिकायत का सत्यापन कराया और टीम ने रिपोर्ट में लिखा कि देशराज ने अरुणप्रताप सिंह के माध्यम से रिश्वत मांगी। तख्तेशाही रोड पर तीनों की मुलाकात हुई और 15 लाख की डील तय हुई। पहली किश्त के रूप में 5 लाख रुपए पहले दिए गए। 11 जुलाई 2023 की बापूनगर जनता स्टोर पर एसीबी ने अरुणप्रताप को रंगे हाथों गिरफ्तार कर, 5 लाख रुपए बरामद किए। पूछताछ में अरुण ने कहा- ‘ये रुपये मैंने उप रजिस्ट्रार देशराज के लिए हैं. मैं तो सिर्फ कूरियर हूं।’ आमने-सामने बैठाकर पूछताछ के बाद दोनों को गिरफ्तार कर लिया। एसीबी ने 13 जुलाई 2023 को मामला दर्ज किया।
अजमेर एसीबी ने की जांच… और ले लिया यू-टर्न
शुरुआत में जांच जयपुर एसीबी के पास थी, बाद में इसे अजमेर एसीबी के एएसपी को सौंप दिया गया। दो साल चली जांच के बाद निष्कर्ष ने पूरे प्रकरण की दिशा ही बदल दी। रिपोर्ट में लिखा- देशराज के रिश्वत मांगने या स्वीकार करने का कोई प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष साक्ष्य नहीं। कॉल डिटेल में बातचीत नहीं मिली, परिवादी भी ठोस सबूत नहीं दे सका। नतीजा, उप रजिस्ट्रार देशराज को क्लीन चिट दे दी गई और एसीबी ने सहकारी निरीक्षक अरुण प्रताप के खिलाफ चालान पेश किया। अरुण ने दो साल पहले कहा था कि पैसे देशराज के लिए हैं। अब चालान में लिखा गया -अरुण ने खुद रिश्वत ली, देशराज का इससे कोई लेना-देना नहीं।
रिपोर्ट ने एसीबी की कार्यप्रणाली पर ही लगा दिया प्रश्नचिह्न
भास्कर की खबर के अनुसार, एसीबी की इस रिपोर्ट ने उसकी कार्यप्रणाली पर बड़ा प्रश्नचिह खड़ा कर दिया है। यदि सत्यापन गलत था, तो किसी सरकारी अधिकारी की प्रतिष्ठा और करियर को नुकसान पहुंचाने की जिम्मेदारी कौन लेगा और यदि सत्यापन सही था, तो फिर दो साल की जांच में साक्ष्य कहां और कैसे गायब हो गए?
यादव पर मेहरबान रही कांग्रेस सरकार
राजस्थान की पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार में देशराज यादव की हैसीयत की तूती बोलती थी। तत्कालिन सहकारिता मंत्री उदयलाल आंजना द्वारा 190 सहकारी अफसरों की वरिष्ठता को लांघकर सहायक रजिस्ट्रार देशराज यादव की उप रजिस्ट्रार, सहकारी समितियां, जयपुर (शहर) के पद पर ताजपोशी की गयी थी। देशराज यादव को अक्सर यह कहते हुए सुना जाता था कि ‘ऊपर भगवान, नीचे देशराज, बीच में कोई नहीं।’
गृह निर्माण सहकारी समितियां की बहुलता के कारण डी.आर. जयपुर (शहर) का पद, राजस्थान का सबसे महत्वपूर्ण एवं महंगे पदों में एक है। कुछ सप्ताह पूर्व, 14 अगस्त 2025 को इसी कार्यालय के एक अन्य सहकारी निरीक्षक नारायणलाल वर्मा को भी एसीबी ने 2 लाख 75 हजार रुपये की रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया था। इस मामले में वर्मा के साथ-साथ तात्कालिन उप रजिस्ट्रार, सहकारी समितियां, जयपुर (शहर) हरप्रीतकौर को भी निलम्बित कर दिया गया। दोनों फिलहाल निलम्बित हैं।
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