खास खबरसहकारिता

सहकारी मिनी बैंक में 8 करोड़ 94 लाख रुपये के महाघोटाले की पुष्टि, 10 बैंक कार्मिक भी दोषी करार

श्रीगंगानगर, 19 नवम्बर (मुखपत्र)। गंगानगर केंद्रीय सहकारी बैंक लिमिटेड की जैतसर शाखा अंतर्गत 2 जीबी-ए ग्राम सेवा सहकारी समिति लि. द्वारा संचालित मिनी बैंक 3 जीबी-ए में हुए करोड़ों रुपये के गबन के मामले में सहकारी सोसाइटी के तीन व्यवस्थापकों-सहायक व्यवस्थापकों को वित्तीय अनियमितताओं को दोषी माना गया है, हालांकि घोटाले के वर्षों में रहे सोसाइटी अध्यक्षों को वित्तीय भार से मुक्त कर दिया गया है। प्रकरण में बैंक के 10 कार्मिकों को भी निरीक्षण कार्य में लापरवाही का दोषी माना गया है। मामले की अधिनियम अंतर्गत जांच बैंक के मुख्य प्रबंधक विकास गर्ग द्वारा की गयी थी। उन्होंने 11 नवम्बर को अपनी रिपोर्ट प्रबंध निदेशक को सौंप दी थी। प्रबंध निदेशक संजय गर्ग, अतिरिक्त रजिस्ट्रार ने सोमवार देर शाम जांच परिणाम जारी कर दिये।

राजस्थान सहकारी सोसाइटी अधिनियम, 2001 की धारा 55 की जांच रिपोर्ट में 2 जीबी-ए ग्राम सेवा सहकारी समिति लि., मिनी बैंक 3 जीबी-ए में वर्ष 2014-15 से 2023-24 तक गबन प्रमाणित माना गया है। समिति में मियादी जमाओं के विरुद्ध ऋण देते समय अमानतदारों से उनकी मूल मियादी जमा रसीद मिनी बैंक रिकार्ड में लियन (रहन) सुरक्षित नहीं रखी गयी। कुछ अमानतदारों के नाम से मियादी ऋण वितरण होना पाया गया है, जिनमें से बहुतों के नाम से मियादी जमा रसीद ही नहीं है और जिनकी मियादी जमा रसीद पायी गयी, वो मियादी राशि से बहुत कम पायी गयी। समिति में संचयी योजना के प्रावधानों का घोर उल्लंघन एवं अवहेलना करते हुए अमानतदारों के धन को जोखिम में डालने तथा अमातन में खयानत की गयी।

जांच अधिकारी द्वारा समिति मुख्यालय पर शिविरों का आयोजन कर, समिति अमानतदारों से उनकी जमाओं की जानकारी प्राप्त की गयी। कुल 444 अमानतदारों द्वारा 9 करोड़ 75 लाख 16 हजार 761 रुपये की जमा राशि के साक्ष्य प्रस्तुत किये गये। हालांकि, अभी भी बहुत से अमानतदार शिविरों में उपस्थित होकर अपनी अमानतों की जानकारी नहीं दे पाये हैं।

वर्ष दर वर्ष ऐसे हुआ घोटाला

2014-15 में 1 करोड़ 40 लाख 71 हजार 37 रुपये

2015-16 में 1 करोड़ 59 लाख 10 हजार 596 रुपये

2016-17 में 1 करोड़ 05 लाख 10 हजार 52 रुपये

2017-18 में 1 करोड़ 06 लाख 92 हजार 522 रुपये

2018-19 में 1 करोड़ 74 लाख 65 हजार 738 रुपये

2019-20 में 1 करोड़ 22 लाख 04 हजार 668 रुपये

2020-21 में 1 लाख 74 हजार 882 रुपये

2021-22 में 34 लाख 26 हजार 175 रुपये

2022-23 में 16 लाख 31 हजार 498 रुपये

2023-24 में 33 लाख 16 हजार 616 रुपये

कुल राशि – 8 करोड़ 94 लाख 1 हजार 784 रुपये

 

कौन-कौन दोषी

धारा 55(5) एवं (6) में जारी जांच परिणाम में 8 करोड़ 94 लाख 1 हजार 784 रुपये का गबन/दुरूपयोग प्रमाणित माना गया है। इसमें वर्ष 2014-15 एवं 2015-16 में हुए गबन के लिए तत्कालिन व्यवस्थापक सुमेर सिंह और सहायक व्यवस्थापक ओमप्रकाश चुघ को, वर्ष 2016-17 से 2020-21 तक के लिए निवर्तमान व्यवस्थापक एवं सेवानिवृत्ति उपरांत संविदा पर कार्यरत सुमेर सिंह, व्यवस्थापक बिशनपाल सिंह और सहायक व्यवस्थापक ओमप्रकाश चुघ को तथा वर्ष 2021-22 से 2023-24 तक की अवधि में हुए गबन के लिए व्यवस्थापक बिशनपाल सिंह और सहायक व्यवस्थापक ओमप्रकाश चुघ को दोषी माना गया है। सुमेर सिंह और बिशनपाल सिंह चाचा-भतीजा हैं। साल 2017 में सुमेर सिंह की सेवानिवृत्ति उपरांत बिशन पाल सिंह व्यवस्थापक बनाया गया। सुमेर सिंह का 2020 में निधन हो गया।

प्रस्तावित कार्यवाही :

1. उत्तरदायी कार्मिकों/उनके वारिसों से वर्षवार किए गये गबन/दुरूपयोग की राशि मय ब्याज अनुपातिक रूप से राजस्थान सहकारी सोसायटी अधिनियम 2001 की धारा 57 में प्रकरण दर्ज कर वसूली की कार्यवाही की जावे।

2. बिशनपाल सिंह, वर्तमान व्यवस्थापक एवं ओमप्रकाश चुघ, पूर्व सहायक व्यवस्थापक के विरूद्ध समिति धनराशि के गबन/दुरूपयोग तथा अमानत में ख्यानत किए जाने के कारण सम्बन्धित पुलिस थाना में आपराधिक प्रकरण दर्ज करवाया जाये।

3. बिशनपाल सिंह, समिति व्यवस्थापक के विरूद्ध प्रचलित सेवानियमान्तर्गत कठोर अनुशासनात्मक कार्यवाही की जावे।

अध्यक्षों को गबन का दोषी नहीं माना

जांच परिणाम के बिन्दू संख्या 4 में समिति अध्यक्षों, जिनके कार्यकाल में यह महाघोटाला हुआ, को किसी प्रकार के गबन/वित्तीय अनियमितता के लिये दोषी नहीं माना गया है। जांच परिणाम में समिति के पूर्व अध्यक्ष कुलदीप सिंह एवं वर्तमान अध्यक्ष परवेज सिंह के विरुद्ध समिति उपनियमों में विहित कर्तव्यों की पालना नहीं किए जाने के कारण अधिनियमान्तर्गत कार्यवाही करने के निर्देश दिये गये हैं।

बैंक के दोषी कार्मिक (निरीक्षण)

1. भगवानदास भूतना, सेवानिवृत्त सहायक अधिशासी अधिकारी – 2014-15 में निरीक्षण नहीं किया।

2. घड़सीराम, सेवानिवृत्त ऋण पर्यवेक्षक – 2015-16 में निरीक्षण नहीं किया।

3. उमाराम सहारण, सहायक अधिशासी अधिकारी – 2016-17 में निरीक्षण किया, लेकिन गबन/अनियमितता का उल्लेख नहीं। वर्ष 2019-20 में निरीक्षण नहीं किया।

4. मान सिंह (स्वर्गीय), ऋण पर्यवेक्षक – वर्ष 2017-18 एवं 2018-19 में निरीक्षण किया, किन्तु गबन/अनियमिता का उल्लेख नहीं।

5. हरकेश मीणा, चार साल से जैतसर शाखा प्रबंधक – वर्ष 2020-21 से 2023-24 तक निरीक्षण नहीं किया।

6. साहिल कुमार, 2022-23 में जैतसर शाखा प्रबंधक, निरीक्षण नहीं किया।

प्रस्तावित कार्यवाही – स्वर्गीय मान सिंह को छोडक़र, अन्य सेवानिवृत्त कार्मिकों एवं सेवारत कार्मिकों के विरुद्ध प्रचलित सेवानियमों के अंतर्गत कठोर अनुशासनात्मक कार्यवाही का निर्देश।

शाखा प्रबंधकों पर भी होगी कार्यवाही

जांच परिणाम में उपरोक्त अवधि के दौरान जैतसर शाखा प्र्रबंधक पद पर कार्यरत रहे, बैंक के पांच अधिकारियों – कुन्दनलाल स्वामी (वर्तमान में सूरतगढ़ शाखा प्रबंधक), जगराम मीणा (सेवानिवृत्त प्रबंधक), भगवान दास भूतना (सेवानिवृत्त सहायक अधिशासी अधिकारी), शक्ति सिंह देवड़ा (वर्तमान में अनूपगढ़ शाखा प्रबंधक) और हरकेश मीणा (वर्तमान में जैतसर शाखा प्रबंधक) के विरुद्ध भी प्रचलित सेवानियमों के अंतर्गत कठोर अनुशासनात्मक कार्यवाही करने का निर्देश दिया गया है। इन शाखा प्रबंधकों पर आरोप है कि इनके द्वारा संचयी योजना के प्रावधानों के अंतर्गत मिनी बैंक का निरीक्षण नहीं किया गया। संचयी योजना में हर माह मिनी बैंक का निरीक्षण किये जाने का प्रावधान है।

कई सी.ए. पर भी गिरेगी गाज

जांच परिणाम में 2 जीबीए ग्राम सेवा सहकारी समिति लि. का साल 2014-15 से 2022-23 तक ऑडिट करने वाले सीए/सीए फर्मों के विरुद्ध, अंकेक्षण कार्य में लापरवाही बरतने के कारण नियमानुसार कार्यवाही के लिए सहकारिता विभाग को प्रकरण प्रेषित करने की अनुशंसा की गयी है।

सवा तीन लाख रुपये का स्टॉक भी कम

जांच के दौरान समिति में 3 लाख 31 हजार 200 रुपये का स्टॉक कम पाया गया। जिसके लिये व्यवस्थापक बिशनपाल सिंह को दोषी माना गया है। जांच परिणाम में बिशन पाल के विरुद्ध राजस्थान सहकारी सोसाइटी एक्ट की धारा 57 में प्रकरण दर्ज करने और प्रचलित सेवा नियमों के तहत कार्यवाही करने का निर्देश दिया गया है।

 

 

error: Content is protected !!