दिलीप संघानी को 70वें जन्मदिन का तोहफा, दूसरी बार इफको के अध्यक्ष चुने गए
उत्तरप्रदेश के सहकारी नेता बलवीर सिंह उपाध्यक्ष बने
नई दिल्ली, 10 मई। गुजरात के सहकारी नेता दिलीप संघानी को लगातार दूसरी बार, भारत की सबसे बड़ी सहकारी उर्वरक संस्था इंडियन फार्मर फर्टिलाइजर को-ऑपरेटिव (इफको) का अध्यक्ष एवं बलबीर सिंह को उपाध्यक्ष चुना गया है। नई प्रबंध समिति के गठन के लिए नई दिल्ली में सम्पन्न हुए चुनाव में दिलीप संघानी को अध्यक्ष और उत्तरप्रदेश के बलवीर सिंह एक बार फिर उपाध्यक्ष चुना गया। साल 2021 में इफको अध्यक्ष बलविंद्र सिंह नकई के आकस्मिक निधन के पश्चात, 2022 में दिलीप संघानी को इफको का अध्यक्ष चुना गया था।
इफको, विश्व की 300 टॉप सहकारी संस्थाओं में नम्बर वन संस्था है। इफको के प्रबंध निदेशक डॉ. उदय शंकर अवस्थी ने कहा कि चुनाव निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से हुए। उन्होंने अध्यक्ष दिलीप संघाणी, उपाध्यक्ष बलवीर सिंह और निदेशक मंडल के सभी सदस्यों को समिति में उनके बहुमूल्य योगदान के लिए बधाई दी। अवस्थी ने चुनाव प्रक्रिया में सक्रिय सहभागिता हेतु सभी सहकारी समितियों और मतदाताओं के प्रति आभार व्यक्त किया।
पूर्व सांसद दिलीप संघाणी भी गुजरात की मोदी सरकार में सहकारिता समेत कई मंत्रालयों में मंत्री रहे और इफको के चैयरमैन होने के साथ-साथ गुजरात की सबसे बड़ी सहकारी संस्था गुजकोमासोल के अध्यक्ष भी हैं। संघानी का जन्म 12 मई 1954 को हुआ। वे गुजरात राज्य के भारतीय जनता पार्टी सरकार में पूर्व कैबिनेट मंत्री हैं। वह कृषि, सहकारिता पशुपालन, मत्स्य पालन, गौ-प्रजनन, जेल, उत्पाद शुल्क, कानून और न्याय, विधायी और संसदीय मामलों के मंत्री रह चुके हैं। वह गुजरात विधान सभा के सदस्य थे। वह पहले अमरेली से लोकसभा सदस्य भी रह चुके हैं।
बलवीर सिंह उत्तर प्रदेश भाजपा के वरिष्ठ नेता हैं और भाजपा सहकारिता प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक और शाहजहाँपुर के जिलाध्यक्ष भी रह चुके हैं। बलवीर सिंह ने 1991 में पहली बार उत्तर प्रदेश की सबसे बड़ी सहकारी संस्था पीसीएफ में भाजपा का खाता खोला था। 2017 में उत्तर प्रदेश में योगी सरकार बनने के बाद सहकारिता में भाजपा के लोगों को स्थापित करने का जिम्मा तत्कालीन संगठन मंत्री सुनील बंसल ने बलवीर सिंह को सौंपा था।
बलवीर सिंह ने इस काम को बखूबी निभाकर मुलायम सिंह यादव के परिवार तथा समाजवादी पार्टी के दशकों से चले आ रहे वर्चस्व को समाप्त कर सहकारिता में भाजपा का झंडा फहराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
इफको द्वारा पिछले दिनों नैनो उर्वरक तरल की खोज और पेटेंट को कृषि क्षेत्र में बड़ी क्रांति माना जा रहा है। दिलीप संघाणी और बलवीर सिंह के नेतृत्व में इफको द्वारा किये गए कार्यों का इनाम उन्हें दोबारा अध्यक्ष और उपाध्यक्ष बनाकर दिया गया है।
इससे पहले, संचालक मंडल के निदेशकों के 21 पदों के लिए 9 मई 2024 को नई दिल्ली स्थित इफको कारर्पोरेट कार्यालय सम्पन्न हुए चुनाव में जगदीप सिंह नकई, उमेश त्रिपाठी, प्रह्लाद सिंह, बलवीर सिंह, रामनिवास गढ़वाल, जयेशभाई वी. रदाडिय़ा, ऋषिराज सिंह सिसोदिया, विवेक बिपिनदादा कोल्हे, सिमाचल पाढ़ी, के. श्रीनिवास गौड़ा, एस. शक्तिकवेल, प्रेम चंद्र मुंशी, डॉ. वर्षा एल. कस्तूरकर, दिलीप संघाणी, सुधांश पंत, आलोक कुमार सिंह, जे. गणेशन, एमएन राजेंद्र कुमार, पीपी नागी रेड्डी, बाल्मिकी त्रिपाठी और मारा गंगा रेड्डी अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्र से निदेशक मंडल के तौर पर चुने गए।
गौरतलब है कि चेयरमैन और वाइस चेयरमैन के चुनाव से एक दिन पहले 21 सीटों में से सात सीटों पर चुनाव हुआ था। इनमें से पांच निदेशकों ने पहली बार बोर्ड में जगह बनाई है, जिनमें महाराष्ट्र से वर्षा कस्तूरकर एवं विवेक कोल्हे, मध्य प्रदेश से ऋषिराज सिसौदिया, तमिलनाडु से एस शक्तिवेल और राजस्थान से रामनिवास गढ़वाल शामिल हैं। गढवाल, इफको के निवृतमान अधिकारी राजेंद्र खर्रा गुट से आते हैं और नागौर जिले की खुडीकलां ग्राम सेवा सहकारी समिति का प्रतिनिधित्व करते हैं। राजस्थान से चार व्यक्तियों ने डायरेक्टर पद का चुनाव लड़ा था, जिसमें रामनिवास गढ़वाल सर्वाधिक 39 मत प्राप्त कर विजयी रहे। उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी कृपा राम चौधरी को 17, मदन गोपाल को 12 और ओमप्रकाश को 4 वोट मिले।
36000 सदस्यों की सहभागिता
चुनाव पोर्टल के लॉन्च के साथ ही इस साल मार्च में इफको की निर्वाचन प्रक्रिया आरम्भ हुई थी। इसमें 36000 से अधिक सदस्य सहकारी समितियों के साथ, इफको ने आम सभा सहित प्रतिनिधि महासभा के सदस्यों को चुनने का काम किया। यह जटिल प्रक्रिया दो महीने तक चली। इफको में नई चुनाव प्रणाली अपनाई गई, जिसने आवेदन जमा करने या नामांकन दाखिल करने के लिए दिल्ली में व्यक्तिगत उपस्थिति की आवश्यकता को समाप्त कर दिया गया था। इससे चुनाव आसान और पारदर्शी हो गया।