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ऐन टाइम पर क्यों अटक गयी सहकारिता सेवा के अधिकारियों की स्थानांतरण एवं पदस्थापन सूची?

जयपुर, 22 फरवरी (मुखपत्र)। ‘गुलों में रंग भरे बाद-ए-नौ-बहार चले, चले भी आओ कि गुलशन का कारोबार चले’… फैज अहमद फैज का ये शे’र सहकारिता विभाग की स्थानांतरण/पदस्थापन सूची पर एकदम खरा उतरता है, जिसके इंतजार में गुलशन (विभाग) का काम दो-तीन दिन से ठहर सा गया है। सब की जुबान पर एक ही चर्चा है कि कौन, कहां जा रहा है? प्रधान कार्यालय में कौन आ रहा है, बैंकों में किसको लगाया जा रहा है? जो वरिष्ठ अधिकारी होम सिकनेस में कमत्तर पदों पर काम कर रहे हैं, क्या उन्हें प्रधान कार्यालय में लगाया जायेगा? क्या वीआरएस के लिए आवेदन करने और वापिस लेने का खेल फिर शुरू होगा? आदि, आदि।

सबसे बड़ा सवाल ये है कि मंगलवार को किसी भी समय जारी होने वाली सहकारिता सेवा के अधिकारियों की स्थानांतरण एवं पदस्थापना सूची आखिर क्यों अटक गयी? एपीओ चल रहे सहकारिता सेवा के अधिकारियों को पिछले 8 से 10 माह से पदस्थापन का इंतजार है जबकि कई वित्तीय संस्थाएं अतिरिक्त चार्ज में चलायी जा रही हैं और प्रधान कार्यालय में ही कई अधिकारियों के पास एक से अधिक पदों का अतिरिक्त चार्ज है, ऐसे में पोस्टिंग क्यों नहीं दी जा रही?

तबादलों के प्रतिबंध हटने की अंतिम सीमा दो दिन बढाये जाने के बावजूद, सहकारिता विभाग के अधिकारियों और निरीक्षकों की स्थानांतरण/पदस्थापन सूची बुधवार को भी जारी नहीं हो पायी। चर्चा है कि सहकारिता सेवा के अधिकारियों की सूची को लेकर मंत्री और शासन सचिव के बीच, कुछ नामों को लेकर सहमति नहीं बन पाने के कारण, मंगलवार रात्रि को ऐन मौके पर सूची को जारी होने से रोक लिया गया। बताया जा रहा है कि मंत्री द्वारा अनुमोदित ट्रांसफर-पोस्टिंग की फाइनल लिस्ट में उस बात की झलक गायब थी, जिसे प्रदर्शित करने के लिए शासन सचिव, रजिस्ट्रार और ज्वाइंट सैक्रेटरी से एक सप्ताह से एक्सरसाइज करवायी जा रही थी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जयपुर दौरे पर दिये गये निर्देशानुसार, न्यूनतम स्थानांतरण की नीति के चलते पिछले एक सप्ताह से स्थानांतरण सूचियों पर काम चलता रहा। एक सीट पर तीन साल से अधिक ठहराव, एक जिले में ठहराव, कैडर के अनुरूप पदस्थापन, आरोपपत्र या शिकायत वाले अधिकारियों को सहकारी संस्थाओं से दूर रखने और फिट एंड प्रोपर क्राइटेरिया के अनुरूप, अधिकारियों की सूचियां तैयार की गयी। सहकारिता विभाग की शासन सचिव श्रीमती शुचि त्यागी के नेतृत्व में इन पैरामीटर पर खूब एक्सरसाइज की गयी और मंगलवार को 50 से 70 नाम के बीच की स्थानांतरण/पदस्थापन की सूची तैयार की गयी।

सहकारिता राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) गौतम कुमार दक की ओर से भी इस सूची को ग्रीन सिग्नल दे दिया गया और मंगलवार दोपहर लंच से पहले, ये सूची संयुक्त शासन सचिव के कार्यालय तक पहुंचा दी गयी, लेकिन फिर अचानक परिस्थितियों में अप्रत्याशित परिवर्तन आया और सूची को जारी होने से रोक लिया गया। कहा गया कि सहकारिता मंत्री, जो कि केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह के कार्यक्रम में उदयपुर गये हुए थे, वे उदयपुर से लौटने के पश्चात इस पर एक बार पुन: गौर करना चाहेंगे। उदयपुर से जयपुर लौटने के पश्चात, मंत्री, शासन सचिव और जेएस के बीच, तबादला सूची पर पुन: डिस्कशन हुआ और कुछ नामों में परिवर्तन के पश्चात, सूची को फाइनल रूप दिया गया, लेकिन बताते हैं कि इससे शासन सचिव असहमत दिखी। क्योंकि पिछले एक सप्ताह से जो एक्सरसाइज करवायी गयी थी, जिसके चलते रजिस्ट्रार कार्यालय और अपेक्स बैंक से लगातार सूचनाएं अपडेट करवायी गयी, स्थानांतरण सूची उस भावना के अनुरूप तैयार नहीं हो पायी। विश्वसनीय सूत्रों की मानें तो स्थानांतरण सूची को लेकर मुख्य सचिव को भी अपडेट किया गया।

संयोग से, या सहकारिता विभाग और चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग से स्थानांतरण नहीं हो पाने के कारण राज्य सरकार ने तबादलों पर रोक को 2 और दिन बढा दिया। अब आज यानी 22 फरवरी तक स्थानांतरण किये जा सकेंगे, परन्तु शासन सचिव शुचि त्यागी, नैफ्सकॉब की बैठक में शामिल होने के लिए बुधवार को बैंगलूरू रवाना हो गयी, और निर्धारित कार्यक्रम के अनुरूप वे गुरुवार देर शाम तक जयपुर लौट कर आयेंगी। उनकी अनुपस्थिति में स्थानांतरण सूची जाने किये जाने को लेकर भी संशय है।

निरीक्षकों की सूची का इंतजार

सहकारी निरीक्षकों की स्थानांतरण सूची को लेकर भी मंत्री के अनुमोदन का इंतजार किया जा रहा है। हालांकि, निरीक्षकों की स्थानांतरण/पदस्थापन सूची रजिस्ट्रार, सहकारी समितियां के स्तर पर तैयार कर, जारी की जाती हैं। सूत्रों की मानें तो स्थानांतरण एवं पदस्थापन के लिए निरीक्षकों पर भी वही पैरामीटर लागू किये जा सकते हैं, जो सहकारिता विभाग द्वारा सहकारिता सेवा केे अधिकारियों के लिए निर्धारित किये गये हैं।

 

 

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