सहकारी समिति कर्मचारियों की एकता ने तीन दिन में जिला प्रशासन को झुकाया, समिति प्रबंधकों का निलम्बन आदेश निरस्त
जयपुर, 20 जुलाई (मुखपत्र)। एक ओर जहां राजस्थान के सहकारी समिति कार्मिक, ब्याजमुक्त फसली ऋण वितरण की एजव में ब्याज अनुदान नहीं मिलने से दो साल से वेतन को तरस रहे हैं और अपने हक के लिए एकजुट नहीं हो पा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर, दूसरे राज्य में सहकारी समिति कर्मचारियों की एकता ने जिला कलेक्टर को झुकने पर मजबूर कर दिया। मात्र तीन दिन की अनिश्चितकालीन हड़ताल से बैकफुट पर आये कलेक्टर ने कर्मचारियों की मांग को स्वीकार करते हुए अपना आदेश वापिस ले लिया।
यह मामला छत्तीसगढ़ के बेमेतरा जिला का है। बेमेतरा जिला में वर्ष 2023-2024 में धान की सरकारी खरीद के लिए तीन केंद्रों में धान के उठाव कार्य में धीमी गति के चलते धान खुले में पड़ा रहा, जिससे धान के वजन में कमी आ गयी। दस दिन पहले, कलेक्टर रणबीर शर्मा ने, धान में वजन में कमी के लिए तीन समिति प्रबंधकों और तीन डाटा एंट्री ऑपरेटर्स को दोषी मानते हुए उन्हें निलंबित कर दिया। इसके विरोध में सेवा सहकारी समिति संघ ने चेतावनी देने के उपरांत अनिश्चितकालीन हड़ताल की घोषणा करते हुए धरना शुरू कर दिया। जिले के समस्त 102 सेवा सहकारी समितियों के प्रबंधक और कर्मचारी अपने 2 सूत्री मांगपत्र को लेकर 3 दिन तक बेमियादी हड़ताल पर रहे। अंतत: शनिवार को कलेक्टर ने निलम्बन आदेश वापिस लेेने का फैसला किया।
कलेक्टर रणबीर शर्मा के निर्देश पर सहकारिता विभाग के अधिकारी धरनास्थल पहुंचे और निलम्बित समिति प्रबंधकों व ऑपरेटर्स को बहाल करने घोषणा की है। इस पर सेवा सहकारी समिति संघ के कर्मचारियों ने अनिश्चितकालीन हड़ताल खत्म कर दी और काम पर लौट आए।
हड़ताल के चलते हजारों किसानों का कृषि कार्य प्रभावित होने लगा था। किसानों को खेती करने के लिए सोसायटी से नगद राशि के साथ-साथ खाद नहीं मिल रही थी। राज्य सरकार की सभी योजनाओं का संचालन भी पूरी तरह से ठप हो गया था। इसलिए सहकारी समिति संघ के सामने जिला प्रशासन को झुकना पड़ा है।
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