सहकारिता

राज्य सरकार सभी सहकारी संस्थाओं के चुनाव करवाकर सहकारिता का लोकतांत्रिक स्वरूप बहाल करे – आमेरा

निर्वाचित जनप्रतिनिधि सहकारी बैंकों के आर्थिक पुनरुद्धार में प्रभावी भूमिका निभायें की जरुरत- आमेरा

जयपुर, 25 अक्टूबर (मुखपत्र)। ऑल इण्डिया को-आपरेटिव बैंक एम्प्लाइज फेडरेशन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, ऑल राजस्थान को-आपरेटिव बैंक एम्पलाइज यूनियन और ऑल राजस्थान को-आपरेटिव बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन के प्रान्तीय महासचिव सूरजभान सिंह आमेरा ने प्रदेश के सहकारी आंदोलन को प्रभावी बनाये जाने के लिए समय पर समस्त सहकारी संस्थाओं का चुनाव करवाये जाने की मांग की है।

 

ईशरराम डूडी

एक बयान में सहकार नेता आमेरा ने ईशरराम डूडी को चूरू प्राथमिक सहकारी भूमि विकास बैंक के पुन: निर्विरोध अध्यक्ष निर्वाचित किए जाने पर बधाई व शुभकामनाएँ दी। आमेरा ने चूरू पीएलडीबी में क़ानूनी मशक्कत के उपरांत पुन: लोकतांत्रिक स्वरूप बहाल होने पर ख़ुशी ज़ाहिर करते हुए कहा कि भूमि विकास बैंकों के सभी निर्वाचित बोर्ड के सहकारी जन प्रतिनिधियों से राज्य में दीर्घकालीन सहकारी साख आंदोलन में भूमि विकास बैंकों की आर्थिक पुनरुद्धार कार्य योजना से उनकी आर्थिक मजबूती के लिए सरकार में मज़बूत पैरवी करने व प्रभावी भूमिका निभाने की ज़रूरत है।

सहकार नेता ने राज्य सरकार एवं सहकारी निर्वाचन प्राधिकरण से प्रदेश के सभी सहकारी बैंकों व सहकारी संस्थाओं में पैक्स से अपैक्स तक चुनाव करवाकर लोकतांत्रिक स्वरूप बहाल करने की माँग की है। उन्होंने बताया कि राज्य में सहकारी आंदोलन की मज़बूती, सहकारी संस्थाओं का विकास, सहकारिता की मज़बूत पैरवी, सहकार नेतृत्व का सतत विकास व सहकारिता को जन-आंदोलन बनाकर सहकारिता से समृद्धि के लिए राज्य की सभी सहकारी संस्थाओं में चुनाव करवाकर निर्वाचित बोर्ड कायम किए जाने की सख्त आवश्यकता है।

नियमित रूप से चुनाव नहीं होने से कमजोर हुआ सहकारी आंदोलन

आमेरा ने बताया कि सहकारिता में प्रजातांत्रिक प्रबंधकीय व्यवस्था संस्थाओं की मूल आत्मा होती है। सहकारिता को जन भागीदारी से, जन आधारित जनांदोलन बनाने के लिए सहकारी संस्थाओं में चरणबद्ध समय पर चुनाव होना बहुत ज़रूरी है। आज राजस्थान का सहकारी आंदोलन एवं सहकारी नेतृत्व पड़ोसी राज्यों – गुजरात, महाराष्ट्र, केरल, तमिलनाडु व आन्ध्रप्रदेश जैसे सहकारी समृद्ध राज्यों से पिछडऩे का मूल कारण राज्य में सहकारिता के सतत चुनाव नहीं होना भी है। सरकारीकरण, लालफीताशाही में प्रदेश की सहकारी संस्थाएँ यथा तिलम संघ, स्पिनफेड, आवासन संघ, कॉटन कॉम्प्लेक्स आदि आर्थिक रूप से कमजोर होकर लगातार अवसायन में चली गई या जा रही हैं। राज्य में प्राथमिक सहकारी समितियों, मार्केटिंग सोसाइटियों, उपभोक्ता भण्डारों, सहकारी भूमि विकास बैंकों व केंद्रीय सहकारी बैंकों की आर्थिक स्थिति, प्रबंधकीय हालत विचारणीय व चिंता का विषय बनी हुई है। सहकारी संस्थाओं की आर्थिक सुदृढ़ता, पारदर्शी प्रबंधकीय सुशासन व जनतांत्रिक व्यवस्था के लिए चुनाव करवाया जाना ज़रूरी है।

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