सहकारी मसालों की खुश्बू से सराबोर होगी गुलाबीनगर की फिजा
9 मई से 18 मई तक आयोजित होगा राष्ट्रीय सहकार मसाला मेला
जयपुर, 28 अप्रेल (मुखपत्र)। गुलाबीनगर की फिजाओं में शुद्ध सहकारी मसालों की महक को घोलने वाला राष्ट्रीय सहकार मसाला मेला 2025, 9 मई से 18 मई तक जवाहर कला केंद्र के दक्षिण परिसर में आयोजित किया जायेगा। सहकारिता विभाग और राजस्थान राज्य सहकारी उपभोक्ता संघ लिमिटेड (कॉनफैड), जयपुर के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित किये जाने वाले मसाला मेला का जयपुरवासियों को बेसब्री से इंतजार रहता है। देशभर में राजस्थान ही एक मात्र ऐसा राज्य है, जहां सहकारिता विभाग द्वारा राष्ट्र स्तरीय मसाला मेला का आयोजन किया जाता है। यह मेला देशभर की सहकारी संस्थाओं के लिए एक बड़ा मंच है।
कॉनफेड के उपहार ब्रांड मसालों एवं राजस्थान की सहकारी संस्थाओं द्वारा उत्पादित शुद्ध एवं गुणवत्तायुक्त मसालों की जयपुर के घर-घर तक पहचान बनाने में राष्ट्रीय सहकार मसाला मेला की विशेष भूमिका है। साल 2025 को विश्वभर में इंटरनेशनल ईयर ऑफ कोऑपरेटिव के रूप में मनाया जा रहा है, इसलिए इस बार मेले का अंतरराष्ट्रीय स्वरूप देखने का मिल सकता है। मेले में इस बार श्रीअन्न (मोटा अनाज) पर विशेष फोकस रहेगा। राजस्थान के दक्षिणी जिलों – डूंगरपुर, बांसवाड़ा, जालौर और सिरोही में सांवा, कांगनी, कोदो, कुटकी जैसे मोटे अनाजों का उत्पादन होता है, जिनकी श्रीअन्न के रूप में वैश्विक पहचान है।
एयरकूल्ड डॉम में सजेगी मसालों की स्टॉल्स
मेले में पहले से अधिक राज्यों के शुद्ध और गुणवत्तायुक्त मसालों के साथ-साथ राजस्थान के स्वादिष्ट मसालों की एक ही छत के नीचे खरीदारी की जा सकेगी। लोगों को गर्मी से राहत दिलाने के लिए एडवांस्ड एयरकूल्ड डॉम में उत्पादों की स्टॉल्स लगायी जायेंगी। मसाला मेले के आयोजन से सम्बद्ध निविदाएं खोलने का क्रम आरंभ हो गया है। विभिन्न प्रकार की अन्य तैयारी को अन्तिम रूप दिया जा रहा है।

जयपुरवासियों को रहता है मसाला मेला का इंतजार
जयपुरवासियों को राष्ट्रीय सहकार मसाला मेला का बेसब्री से इंतजार रहता है। इस मेले में हजारों की संख्या में लोग सालभर के लिए मसालों की खरीद करते हैं। वर्ष 2024 में 19 से 28 मई तक आयोजित दस दिवसीय मसाला मेला में रिकार्ड 2 करोड़ 25 लाख रुपये का कारोबार हुआ था। मेले में राजस्थान के अलावा पंजाब, तमिलनाडु, केरल, गुजरात, बिहार, हरियाणा की सहकारी संस्थाएं भी अपने क्षेत्र के विशेष उत्पादों को बिक्री के लिए प्रदर्शित करती आयी हैं। इस बार राज्यों और उनके उत्पादों की संख्या में बढोतरी होने की संभावना है।
180 से अधिक मसाले एवं अन्य उत्पाद
मेला में उपभोक्ता संघ के अलावा राज्य के सहकारी उपभोक्ता होलसेल भंडार, प्राथमिक भंडार, क्रय विक्रय सहकारी समितियां, महिला सहकारी समितियां, सेल्फ हेल्प ग्रुप के उत्पाद भी मेले में उपलब्ध कराये जाते हैं। गत वर्ष मेला में मसालों के साथ-साथ अचार, पापड़, मुंगेड़ी, जैम, मुरब्बा, शर्बत, ठण्डाई, कैर-सांगरी, कुमटी, बबूल फली/ गूंदा, अमचूर सहित लगभग 180 उत्पाद उपलब्ध कराये गये थे।
राजस्थान में होती है विशेष प्रकार के मसालों की खेती
उल्लेखनीय है कि राज्य में 16 प्रकार के मसालों की विशेष खेती होती है, जिनमें मैथी, सौंफ, आजवाइन, जीरा, धनिया, लाल मिर्च, लहसुन, राई, इसबगोल, खसखस, हल्दी, अदरक, कलौंजी, सोया आदि शामिल हैं। इनके अलावा बाजरा, मक्का, ज्वार, मूंगफली का भी उत्पादन होता है। सीकर का प्याज और हाड़ोती का गेहूं भी अपना विशेष स्थान रखते हैं। ये सभी उत्पाद राष्ट्रीय सहकार मसाला मेला में एक ही छत के नीचे उपलब्ध कराये जाते हैं। (File Photo)
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