राष्ट्रीयसहकारिता

सहकारी क्षेत्र में महिला सशक्तिकरण की शुरूआत, सहकारी संस्थाओं में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण मिलेगा

देश में लोकतंत्र की शीर्ष संस्थाओं- लोकसभा और राज्यसभा सहित राज्यों की विधानसभा और विधानमंडल में भले ही अब तक महिलाओं को एक तिहाई आरक्षण नहीं मिल पाया हो, लेकिन सरकारी नौकरी सहित ऐसे कई क्षेत्र हैं, जिनमें महिलाओं की भागीदारी पहले से अधिक हो गयी है। अब सहकारी क्षेत्र में भी महिला सशक्तिकरण को बढावा देने के लिए महिला आरक्षण की शुरूआत हो गयी है। भाजपा शासित उत्तराखंड ऐसा पहला राज्य बन गया है, जहां सहकारी सोसाइटियों में एक तिहाई संचालक मंडल की बागडोर महिलाओं के हाथ में सौंपने का निर्णय लिया गया है।

हिन्दुस्तान की खबर के अनुसार, लोकसभा चुनावों की आदर्श चुनाव आचार संहिता समाप्त होने के पश्चात उत्तराखंड की पुष्कर धामी सरकार की केबिनेट की बैठक में सहकारी संस्थाओं के प्रबंधन में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने का महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया। राज्य में सहकारी सोसाइटियों के संचालक मंडल में सदस्यों की संख्या 7 से 21 तक हो सकती है, परंतु महिला आरक्षण की स्पष्ट व्याख्या नहीं होने के कारण, अब तक संचालक मंडल में महिलाओं के लिए 2 ही पद आरक्षित थे और अध्यक्ष पद के लिए महिला आरक्षण की व्यवस्था नहीं थी।

मुख्यमंत्री के सचिव शैलेश बगोली के अनुसार, केबिनेट के निर्णय के पश्चात, महिलाओं के लिए आरक्षण लागू होने से पैक्स से लेकर अपेक्स यानी प्राथमिक से शीर्ष सहकारी संस्थाओं में महिलाओं को पर्याप्त प्रतिनिधित्व मिल सकेगा। संचालक मंडल के साथ-साथ संस्था के अध्यक्ष पद के लिए आरक्षण की व्यवस्था होगी, जिसे लागू करने के लिए रोस्टर प्रणाली अपनायी जायेगी। एक तिहाई सहकारी संस्थाओं की कमान महिलाओं को मिलेगी।

उत्तराखंड राज्य में 10 जिला केंद्रीय सहकारी बैंक संचालित हैं, जिनमें से तीन बैंकों में अब महिला अध्यक्ष होंगी। कब-कब, किस-किस बैंक में महिला अध्यक्ष बन सकेगी, इसके लिए आरक्षण रोस्टर लागू होगा। इसके अलावा राज्य में राज्य सहकारी बैंक लिमिटेड, आवासन संघ, आवास एवं निर्माण सहकारी संघ, उपभोक्ता सहकारी संघ, रेशम फैडरेशन, को-ऑपरेटिव डेयरी फैडरेशन, मत्स्य सहकारी संघ सहित 12 शीर्ष संस्थाएं कार्यरत हैं। (photo by Alamy)

 

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