खास खबरमुखपत्रसहकारिता

धारा 39 के पेंच में फंसे ‘शाह’, सहकारी बैंक का कर्ज चुकता नहीं हुआ तो ‘रिद्धि सिद्धि’ के हाथ से जा सकती है बेशकीमती जमीन

श्रीगंगानगर, 4 सितम्बर (मुखपत्र)। शहर के पुरानी आबादी क्षेत्र से चिपते चक 6 जैड में नई कॉलोनी विकसित करने के लिए रिद्धि सिद्धि होम डवल्पर्स प्राइवेट लिमिटेड द्वारा क्रय की गयी 2 हैक्टेयर जमीन कॉलोनाइजर मुकेश शाह के लिये गलफांस बन गयी है। बताते हैं कि यह जमीन पुरानी आबादी में पूर्व पार्षद एडवोकेट संजय धारीवाल के घर के पास सरकारी डिस्पेंसरी के सामने स्थित है और दो मुख्य सडक़ों के बीच आती है। इसमें एक सडक़, मियों की ढाणी से भरतनगर की ओर जाती है, तो दूसरी ओर 100 फीट चौड़ी सडक़ मास्टर प्लान में प्रस्तवित है, जिसे संभवत: यूआईटी की कुंजविहार कॉलोनी से होते हुए जस्सा सिंह मार्ग से मिलाया जाना है।

राजस्थान सहकारी सोसाइटी अधिनियम 2001 की धारा 38 और 39 में, सहकारिता विभाग के पास यह पावर है कि वो कर्जदार द्वारा सहकारी बैंक के पक्ष में रहन दर्ज करायी गयी भूमि को, कर्ज चुकता होने तक, किसी भी समय पुन: बैंक के नाम रहन दर्ज करवा सकता है, भले ही वह जमीन किसी को भी या कितनों को भी और कितनी भी रकम में क्यों नहीं बेची गयी हो। धारा 38 में यह प्रावधान है कि यदि बैंक ने रहन दर्ज नहीं करवाया है और कर्जदार ने बैंक का कर्ज चुकाये बिना ही, वह जमीन किसी और को बेच दी, तब भी बैंक, ऐसी बेची गयी जमीन की रजिस्ट्री को शून्य घोषित करवाकर, पुन: बैंक के नाम दर्ज करवाया जा सकता है।

अब बात करें, चक 6 जैड में स्थित उस नहरी कृषि भूमि की, जिसे रिद्धि सिद्धि होम डवल्पर्स प्राइवेट लिमिटेड द्वारा जरिये डायरेक्टर मुकेश शाह द्वारा 11 अगस्त 2020 में 76 लाख 40 हजार रुपये में खरीद किया गया था। चक 6 जैड, पटवार हल्का रामनगर, भू.अभि. नि. क्षेत्र रामनगर, तहसील श्रीगंगानगर में खाता संख्या 71/9 के मुरबा नम्बर 81, किला नम्बर 01, 02, 09, 10, 11, 12, 19, 20, 21, 22 में कुल रकबा 2.579 है, जिसमें से 2.007 हैक्टेयर रकबा को गंगानगर केंद्रीय सहकारी बैंक की सुखाडि़सा सर्किल ब्रांच के ऋणी जगमन सिंह और उसकी मां सर्वजीत कौर ने, बैंक का कर्ज चुकाये बिना ही, रिद्धि सिद्धि होम डवल्पर्स प्रा. लि. जरिये डायरेक्टर मुकेश शाह को बेच दिया गया था। जबकि इस भूमि को बैंक में बंधक रखकर ही, मां-बेटे ने 12 जुलाई 2017 को बैंक से 20 लाख रुपये का कर्ज लिया था। कर्ज देने से दो दिन पहले, यानी 10 जुलाई 2017 को बैंक द्वारा, यह जमीन राजस्व रिकार्ड में बैंक के पक्ष में रहन दर्ज करायी गयी। चूंकि उस समय राजस्व रिकार्ड का कम्प्यूटरीकरण नहीं हुआ था, इसलिए इसे ऑफलाइन दर्ज करवाया गया।

2019-20 के दौरान, जब राजस्व रिकार्ड का कम्प्यूटरीकरण किया गया, तब तहसीलदार कार्यालय द्वारा उपरोक्त रकबे से सम्बंधित रिकार्ड तो ऑनलाइन कर दिया, लेकिन इस पर बैंक के पक्ष में ऑनलाइन रहन दर्ज नहीं किया गया, यह नीयतन था या गलफत में, यह जांच का विषय हो सकता है।

सहकारी सोसाइटी अधिनियम 2001 की धारा 39(ड़) में स्पष्ट है कि ‘घोषणा करने वाले व्यक्ति की किसी कृषि जोत पर, खंड (क) के अधीन की गयी किसी भी घोषणा द्वारा सृजित भार के सम्बंध में प्रविष्टि, ऐसे व्यक्ति द्वारा या सहकारी सोसाइटी द्वारा, जिसके पक्ष में भार सृजित किया गया है, ऐसे घोषणा किये जाने के पश्चात किसी भी समय, तहसीलदार को सीधे या गांव के पटवारी या भू-अभिलेख निरीक्षक के मार्फत आवेदन किये जाने पर, राजस्थान भू राजस्व अधिनियम, 1956 (1956 का अधिनियम संख्या 15) के अध्याय 7 के अधीन रखे जाने वाले वार्षिक रजिस्टरों में, उस अध्याय में और उसके अधीन बनाये गये नियमों में उपबंधित रीति से की जायेगी और तत्प्रयोजनार्थ ऐसा आवेदन उस अधिनियम की धारा 133 के अधीन रिपोर्ट समझा जायेगा’ अर्थात यदि बैंक द्वारा बंधक सम्पत्ति की केवल लिखित सूचना ही तहसीलदार या पटवारी या भू=अभिलेख निरीक्षक को दे दी जाती है, तो उसे भी रहन दर्ज माना जायेगा। क्योंकि तब इसे दर्ज करने की जिम्मेदारी सम्बंधित व्यक्ति (तहसीलदार/पटवारी/भू-अभिलेख निरीक्षक) की हो जाती है।

इस मामले में बैंक की लिखित सूचना पर पटवारी द्वारा उक्त कृषि भूमि को 10 जुलाई 2017 को उप पंजीयक, श्रीगंगानगर की पुस्तक संख्या 1 जिल्द संख्या 1349 में पृष्ठ संख्या 113, क्रम संख्या 201703103103195 पर पंजीबद्ध किया गया तथा अतिरिक्त पुस्तक सख्या 1 जिल्द संख्या 8886 के पृष्ठ संख्या 89 से 92 पर चस्पा किया गया, के अनुसार बतौर रहन दर्ज किया गया।

यह तो स्पष्ट हो गया है कि चक 6 जैड में क्रय की गयी, उपरोक्त भूमि के सम्बंध में यदि गंगानगर केंद्रीय सहकारी बैंक के कर्ज का चुकारा नहीं होता है, तो राजस्थान सहकारी सोसाइटी अधिनियम की धारा 39 के तहत प्राप्त शक्तियों के आधार पर इस भूमि की रिद्धि सिद्धि होम डवल्पर्स प्राइवेट लिमिटेड के पक्ष में दर्ज रजिस्टरी को बैंक द्वारा शून्य घोषित करवाकर, पुन: बैंक के नाम रहन दर्ज करवाया जाना तय है। सहकारिता कानून के जानकार बताते हैं कि इस मामले में क्रेता का पक्ष कमजोर है, भले ही उसके साथ धोखा हुआ हो। कानूनन भी क्रेता द्वारा उसके साथ हुई धोखाधड़ी के लिए विक्रेता के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवायी जा सकती है क्योंकि रजिस्टरी करवाते समय क्रेता द्वारा यह कहा गया कि इस जमीन पर किसी प्रकार का कर्ज या रहन दर्ज नहीं है।

इस घटनाक्रम से यह तो तय हो गया कि बैंक को जल्द ही उसका कर्ज मिला जायेगा, भले ही वो जगमन सिंह व उसकी माता द्वारा चुकाया जाये या रिद्धि सिद्धि होम डवल्पर्स प्राइवेट लिमिटेड द्वारा अथवा इस जमीन में रुचि रखने वाले प्रतिस्पर्धी किन्हीं दूसरे कॉलोनाइजर द्वारा। क्योंकि वर्तमान में इस जमीन का बाजार मूल्य कई करोड़ रुपये है।

(नोट : समाचार में प्रस्तुत चित्र प्रतीकात्मक है, जो कि रिद्धि सिद्धि होम डवल्पर्स प्राइवेट लिमिटेड की कालोनी रिद्धि सिद्धि एन्क्लेव-थर्ड का है।)

error: Content is protected !!