राष्ट्रीयसहकारिता

भारतीय रिजर्व बैंक ने एक और सहकारी बैंक का लाइसेंस रद्द किया

नई दिल्ली, 19 जून। भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने पर्याप्त पूंजी और आय की संभावना नहीं होने के आधार पर एक और सहकारी बैंक का लाइसेंस रद्द कर दिया है।
भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा 19 जून 2024 के आदेश द्वारा दि सिटी को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, मुम्बई का लाइसेंस रद्द कर दिया गया है। परिणामस्वरूप बैंक 19 जून 2024 को कारोबार की समाप्ति से बैंकिंग कारोबार नहीं कर सकता है। आरबीआई ने सहकारिता आयुक्त एवं सहकारी समितियों के रजिस्ट्रार, महाराष्ट्र से अनुरोध किया है कि वे बैंक का समापन करने और बैंक के लिए एक परिसमापक नियुक्त करने का आदेश जारी करें।

आरबीआई के अनुसार, लाइसेंस रद्द होने के परिणामस्वरूप दि सिटी को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड को तत्काल प्रभाव से बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 56 के साथ पठित धारा 5(बी) में यथापरिभाषित बैंकिंग कारोबार, जिसमें अन्य बातों के साथ-साथ जमाराशियों को स्वीकार करने और जमाराशियों का चुकारा करना शामिल हैं, करने से प्रतिबंधित किया गया है।

87 प्रतिशत ग्राहक पूरी जमा राशि प्राप्त करने के अधिकारी

परिसमापन के बाद, प्रत्येक जमाकर्ता, डीआईसीजीसी अधिनियम 1961 के प्रावधानों के अंतर्गत, निक्षेप बीमा और प्रत्यय गारंटी निगम से 5 लाख रुपये की मौद्रिक सीमा तक अपने जमाराशि के संबंध में जमा बीमा दावा राशि प्राप्त करने का हकदार होगा। बैंक द्वारा प्रस्तुत आंकड़ों के अनुसार, लगभग 87 प्रतिशत जमाकर्ता डीआईसीजीसी से उनकी पूरी जमाराशि प्राप्त करने के हकदार हैं। 14 जून 2024 तक डीआईसीजीसी ने बैंक के संबंधित जमाकर्ताओं से प्राप्त सहमति के आधार पर डीआईसीजीसी अधिनियम 1961 की धारा 18ए के प्रावधानों के अंतर्गत कुल बीमाकृत जमाराशि के 230 करोड़ 99 लाख रुपये का भुगतान पहले ही कर दिया है।

इन कारणों से निरस्तर किया गया लाइसेंस

शीर्ष बैंक की प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, आरबीआई ने निम्न कारणों से बैंक का लाइसेंस रद्द किया है : –

1. बैंक के पास पर्याप्त पूंजी और आय की सम्भावना नहीं हैं। यह बैंककारी विनियमन अधिनियम 1949 की धारा 56 के साथ पठित धारा 11(1)और धारा 22(3)(डी) के प्रावधानों का अनुपालन नहीं करता है।

2. बैंक, बैंककारी विनियमन अधिनियम 1949 की धारा 56 के साथ पठित धाराओं 22(3)(ए), 22(3)(बी), 22(3)(सी), 22(3)(डी) और 22(3)(ई) की अपेक्षाओं के अनुपालन में विफल रहा है।

3. बैंक का बने रहना उसके जमाकर्ताओं के हितों के प्रतिकूल है।

4. बैंक अपनी वर्तमान वित्तीय स्थिति के साथ अपने वर्तमान जमाकर्ताओं को पूर्ण भुगतान करने में असमर्थ हो गया तथा यदि बैंक को अपने बैंकिंग कारोबार को जारी रखने की अनुमति दी जाती है तो जनहित प्रतिकूल रूप से प्रभावित होगा।

 

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