ऑपरेशनल रिस्क मैनेजमेंट पर आरबीआई का नया गाइडेंस नोट, सहकारी बैंक भी दायरे में आये
नई दिल्ली, 30 अप्रेल। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने मंगलवार को वित्तीय क्षेत्र के लिए ऑपरेशनल रिस्क मैनेजमेंट पर अपने गाइडेंस नोट को लगभग दो दशक के उपरांत अपडेट करते हुए, इसका दायरा सहकारी बैंकों, आवास वित्त कंपनियों सहित नॉन बैंकिंग फायनेंशियल कम्पनी (NBFC) तक भी बढ़ा दिया। 2005 के ऑपरेशनल रिस्क मैनेजमेंट पर गाइडेंस नोट में केवल कॉमर्शियल बैंक शामिल थे।
आरबीआई ने कहा कि परिचालन संबंधी व्यवधान किसी भी रेगुलेटेड एंटिटी (आरई) के वजूद को खतरे में डाल सकता है। उसके ग्राहकों और अन्य बाजार सहभागियों को प्रभावित कर सकता है। आखिर में उसका वित्तीय स्थिरता पर काफी बुरा असर पड़ता है।
इन गड़बडय़िों से मुकाबला
परिचालन से जुड़ी गड़बड़ी का कारण कुछ भी हो सकता है। जैसे कि कोई मानवीय त्रुटि, आईटी से जुड़े खतरे, भू-राजनीतिक संघर्ष, व्यापार में व्यवधान, आंतरिक या बाहरी धोखाधड़ी, थर्ड पार्टी पर निर्भरता या फिर कोई प्राकृतिक कारण। आरबीआई के गाइडेंस नोट का उद्देश्य किसी भी रेगुलेटेड संस्था में रिस्क मैनेजमेंट को बेहतर करना है, ताकि ऐसी समस्याओं का संस्था और ग्राहकों पर कम से कम असर हो। जैसे कि यदि कोई रेगुलेटेड संस्था किसी थर्ड पार्टी पर आवश्यकता से अधिक निर्भर है, तो यह उसके लिए सही नहीं है। यदि थर्ड पार्टी के साथ कोई भी विवाद होता है, तो इससे रेगुलेटेड एंटिटी का भी कामकाज पड़ सकता है। इस तरह की स्थितियों से कैसे निपटा जाए, यह गाइडेंस नोट में बताया गया है।
गाइडेंस नोट में बदलाव
अपडेट गाइडेंस नोट के मुख्य बदलावों में से एक यह भी है कि अब इसका दायरा वाणिज्यिक बैंकों के साथ ही सभी एनबीएफसी, आवास वित्त कंपनियों, सहकारी बैंकों, सभी अखिल भारतीय वित्तीय संस्थान (एक्जिम बैंक, नाबार्ड, एनएचबी, सिडबी, नैब्फिड) तक बढ़ा गया है। सहकारी बैंकों में, शहरी सहकारी बैंक (यूसीबी), राज्य सहकारी बैंक (एससीबी) और जिला केंद्रीय सहकारी बैंक (डीसीसीबी) शामिल हैं।
केंद्रीय बैंक ने 14 अक्टूबर 2005 के गाइडेंस नोट को निरस्त कर दिया है, जो केवल कॉमर्शियल बैंकों पर लागू था। नए नोट के सेफ्टी मॉडल में चरण हैं, जिनसे वित्तीय संस्थान में गड़बड़ी के जोखिम को कम किया जाएगा।