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सहकारी बैंकों में प्रबंध निदेशक की नियुक्ति के लिए अब आरबीआई की मंजूरी जरूरी

जयपुर, 4 जुलाई (मुखपत्र)। राजस्थान सहित देश के अन्य राज्यों में अब राज्य सरकार (सहकारिता विभाग) अपनी इच्छा से सहकारी बैंकों में प्रबंध निदेशक की नियुक्ति या उसे पद से नहीं हटा सकेंगे। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा सहकारी बैंक में प्रबंध निदेशक(MD)/मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) के पद पर नियुक्ति को लेकर नये दिशा-निर्देश जारी किये हैं, जिसके अनुसार, अब राजस्थान सहित देश के किसी भी राज्य में राज्य सहकारी बैंक (StCB) और जिला केंद्रीय सहकारी बैंक (DCCB) में प्रबंध निदेशक/मुख्य कार्यकारी अधिकारी की नियुक्ति के लिए आरबीआई की मंजूरी अनिवार्य कर दी गयी है। यह अनिवार्यता प्रबंध निदेशक/मुख्य कार्यकारी अधिकारी की पुनर्नियुक्ति अथवा पद से हटाये जाने यानी नियुक्ति समाप्त किये जाने के मामले में भी लागू होगी।

राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (NABARD) की ओर से 2 जुलाई 2024 को देश में सभी राज्य सहकारी बैंकों एवं जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों को पत्र द्वारा सूचित किया गया है कि बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 35 बी(आई)(बी) के तहत राज्य सहकारी बैंक और जिला केंद्रीय सहकारी बैंक में प्रबंध निदेशक/मुख्य कार्यकारी अधिकारी की नियुक्ति/पुनर्नियुक्ति/नियुक्ति की समाप्ति के लिए प्रबंधन को आरबीआई की पूर्व स्वीकृति आवश्यक रूप से लेनी होगी।

नाबार्ड के पत्र के अनुसार, बैंकिंग विनियमन (संशोधन) अधिनियम, 2020 के अधिनियमन के साथ, बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 35बी (धारा 56 के साथ पढ़ें) में निहित प्रावधान, 23 दिसंबर, 2020 की राजपत्र अधिसूचना के तहत 1 अप्रैल, 2021 से राज्य सहकारी बैंकों और केंद्रीय सहकारी बैंकों पर लागू हो गए हैं। इसलिए, राज्य सहकारी बैंकों और केंद्रीय सहकारी बैंकों को एमडी/सीईओ की नियुक्ति/पुनर्नियुक्ति/नियुक्ति की समाप्ति के लिए आरबीआई की पूर्व मंजूरी प्राप्त करना आवश्यक है।

नाबार्ड द्वारा पत्र में समस्त राज्य सहकारी बैंकों/जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों को सूचित किया गया है कि आरबीआई ने बीआर एक्ट, 1949 की धारा 35बी(1)(बी) के तहत अनुमोदन मांगने वाले सहकारी बैंकों से प्राप्त आवेदनों को प्रोसेस करना शुरू कर दिया है। नाबार्ड ने आरबीआई की ओर से एक प्रपत्र एवं आवेदन प्रारूप संलग्न कर, समस्त सहकारी बैंकों को प्रेषित किया है, जिसमें एमडी/सीईओ की नियुक्ति/पुनर्नियुक्ति/नियुक्ति की समाप्ति के लिए पूर्व स्वीकृति प्राप्त करनी होगी।

इस प्रपत्र में एमडी/सीईओ, जिसकी नियुक्ति/पुनर्नियुक्ति के लिए आवेदन किया गया है, के बारे में पूरा ब्यौरा, यथा-एकेडमिक क्वालिफिकेशन, प्रोफैशनल एक्सपीरियंस (संस्थान एवं अवधि सहित), नियुक्ति/पुनर्नियुक्ति की शर्तें आदि का ब्यौरा देते हुए यह भी बताना होगा कि प्रस्तावित नियुक्ति या पुनर्नियुक्ति, बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 (एएसीएस) की धारा 10(1)(b)(i), 10(1)(b)(ii), 10(1)(c) और धारा 10(b)(4) के प्रावधानों के अनुपालन में है या नहीं। इसके अलावा सम्बंधित व्यक्ति/अधिकारी ने, पिछले दस में कहां-कहां, कितनी अवधि के लिए कार्य किया, यह जानकारी भी देनी होगी। सम्बंधित व्यक्ति, जिसके लिए मंजूरी चाही गयी है, उसने यदि आरबीआई द्वारा रेगुलेट किसी अन्य संस्थान में कार्य किया है अथवा वह पेशे से चार्टेड एकाउंटेंट है, आदि जानकारी भी प्रपत्र में उपलब्ध करानी होगी।

आमेरा ने किया आरबीआई की पहल का स्वागत

सहकार नेता सूरजभान सिंह आमेरा

AIBEA द्वारा सहकारी बैंकों में दोहरे नियंत्रण को समाप्त करने, एक वित्तीय एवं बैंकिंग संस्थान के लिए योग्य, पेशेवर बैंकिंग अभिरुचि रखने वाले स्वच्छ छवि के अधिकारी को मुख्य कार्यकारी के रूप में प्रबंध निदेशक पद पर लगाये जाने की माँग हम लम्बे समय से की जा रही है। सहकारी बैंकों की आर्थिक सुदृढ़ता व सक्षमता के साथ भारतीय रिजर्व बैंक के आर्थिक मानदंडों की पालना के लिए यह समय की सबसे बड़ी जरूरत है। रिजर्व बैंक का बी.आर.एक्ट के तहत सहकारी बैंकों पर प्रशासनिक नियंत्रण एक स्वागत योग्य एवं आवश्यक कदम है, जिससे सहकारी बैंक, बैंकिंग संस्थान की तरह संचालित हो सकेंगे।
– सूरजभान सिंह आमेरा, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, ऑल इण्डिया को-ऑपरेटिव बैंक एम्प्लॉइज फेडरेशन (AICBEF)

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