सहकारिता

आउटसोर्स कार्मिकों से पैक्स कम्प्यूटराइजेशन करवाने पर कोई वित्तीय सहायता नहीं मिलेगी – शाह

प्राथमिक सहकारी समितियों का कम्प्यूटरीकरण एवं सुदृढ़ीकरण

नई दिल्ली, 6 दिसम्बर। केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने स्पष्ट किया है कि भारत सरकार प्रायोजित पैक्स कम्प्यूटराइजेशन प्रोजेक्ट में, परियोजना के दिशानिर्देशों के अनुसार, पैक्स द्वारा आउटसोर्स कर्मचारियों को काम पर रखने के लिए वित्तीय सहायता का कोई प्रावधान नहीं है।

लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में शाह ने बताया कि भारत सरकार ने प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों (PACS) को मजबूत करने के लिए, 2022-23 से 2026-27 तक पांच साल की अवधि में केंद्र प्रायोजित पैक्स कम्प्यूटरीकृत परियोजना शुरू की है, जिसकी समाप्ति तिथि 31 मार्च 2027 है। कुल 2516 करोड़ रुपये के वित्तीय परिव्यय की इस परियोजना में सभी कार्यात्मक पैक्स को ईआरपी (उद्यम संसाधन योजना) आधारित सामान्य राष्ट्रीय सॉफ्टवेयर पर लाना शामिल है, जो उन्हें राज्य सहकारी बैंकों (StCB) और जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों (DCCB) के माध्यम से राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (NABARD) से जोड़ेगा। ईआरपी (एंटरप्राइज रिसोर्स प्लानिंग) आधारित सामान्य राष्ट्रीय सॉफ्टवेयर कॉमन अकाउंटिंग सिस्टम (CAS) और मैनेजमेंट इंफॉर्मेशन सिस्टम (MIS) के माध्यम से पीएसीएस के प्रदर्शन में दक्षता लाता है।

कम्प्यूटरीकरण के लिए 67,930 पैक्स के प्रस्तावों को मंजूरी

अब तक 30 राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों से 67,930 पैक्स के कम्प्यूटरीकरण के लिए प्रस्ताव स्वीकृत किए गए हैं, जिसके लिए सम्बंधित राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों को कुल 865.81 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं, जिसमें सम्बंधित राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों को भारत सरकार का हिस्सा 699.89 करोड़ रुपये और कार्यान्वयन एजेंसी नाबार्ड को 165.925 करोड़ रुपये शामिल हैं, जो समय-समय पर वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार है। ईआरपी पर प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले पैक्स अधिकारियों/कर्मचारियों की संख्या 26,882 है।

परियोजना की समीक्षा के लिए निगरानी समितियां

विशेष रूप से पैक्स कम्प्यूटरीकरण परियोजना की समीक्षा के लिए राष्ट्रीय स्तर की निगरानी और कार्यान्वयन समिति, राज्य और जिला स्तरीय कार्यान्वयन और निगरानी समितियां बनाई गई हैं। इसके अलावा, सहकारिता मंत्रालय की पैक्स कम्प्यूटरीकरण सहित सभी पहलों के प्रभावी कार्यान्वयन और निगरानी को सुनिश्चित करने के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में राज्य स्तर पर राज्य सहकारी विकास समिति और जिला कलेक्टरों की अध्यक्षता में जिला स्तर पर जिला सहकारी विकास समिति का गठन किया गया है।

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