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सहकारी बैंकों में योग्य, उचित एवं कुशल प्रबन्धन की आवश्यकता – आमेरा

भरतपुर, 22 जून (मुखपत्र)। राजस्थान के सहकार नेता सूरजभानसिंह आमेरा ने सहकारी बैंकों की आर्थिक सुदृढ़ता, सक्षमता एवं प्रशासकीय कुशलता के लिए भारतीय रिजर्व बैंक के फिट एंड प्रोपर क्राइटेरिया की बात फिर दोहरायी है।

भरतपुर में मीडिया से वार्ता करते हुए आमेरा ने कहा कि आरबीआई द्वारा केन्द्रीय सहकारी बैंकों में प्रबन्ध निदेशक नियुक्त किये जाने के लिए योग्य एवं उचित मानदण्ड के साथ पात्रता निर्धारित करने की गई है। सहकारी बैंकों को वाणिज्यिक, ग्रामीण एवं निजी बैंकों की प्रतिस्पर्धा में बनाये रखने व कारोबार विस्तार के लिए मुख्य कार्यकारी अधिकारी के रूप में प्रबन्ध निदेशक के पद पर बैंकिंग व वित्तीय पेशेवर ज्ञान रखने वाले योग्य एवं उचित अधिकारी लगा कर जवाबदेही एवं जिम्मेदारी निर्धारित किये जाने की आवश्यकता है।

यूनियन ने सरकार व सहकारी विभाग से राज्य के किसानों एवं सहकारी बैंकों के हित में रिजर्व बैंक के उचित एवं योग्य मानदण्ड के आधार पर स्वच्छ छवि के अधिकारी प्रबन्ध निदेशक पद पर लगाये जाने की मांग की है।

सरकार सहकारी बैंकों को 767 करोड़ रुपये जारी करे

उन्होंने बताया कि पूर्ववर्ती राज्य सरकारों द्वारा वर्ष 2018 एवं 2019 में की गई सहकारी ऋण माफी के पेटे 767 करोड़ रुपये बकाया ब्याज भुगतान राज्य सरकार द्वारा सहकारी बैंकों को किया जाना लम्बित है। भरतपुर केन्द्रीय सहकारी बैंक को राज्य सरकार से बकाया ऋण माफी ब्याज के 11.43 करोड़ रुपये सरकार से लेने है। आरबीआई द्वारा राज्य सरकार की तरफ बकाया अप्राप्य ब्याज को शत-प्रतिशत जोखिम भारित मानते हुए सहकारी बैंकों को पुस्तकों में शत-प्रतिशत डूबत ऋण प्रावधान करने के आदेश जारी किये गये। उक्तप्रावधान से सहकारी बैंकों की आर्थिक स्थिति कमजोर होकर अधिकांश सीसीबी हानि में आ गये हैं। नाबार्ड से अल्पकालीन पुनर्वित की पात्रता के लिए निर्धारित 9 प्रतिशत सीआरएआर भी घटकर 4 प्रतिशत तक आ गया है।

सहकार नेता आमेरा ने राज्य सरकार से किसानों के हित में सहकारी बैंकों के ऋण माफी पेटे बकाया ब्याज के 765 करोड़ रुपये एवं भरतपुर सीसीबी के 11.43 करोड़ रुपये का शीघ्र भुगतान किये जाने की मांग दोहरायी, ताकि बकाया राशि से किसानों को बजट घोषणा के तहत फसली ऋण उपलब्ध करवाया जा सके।

टू-टीयर व्यवस्था लागू की जाये

आमेरा ने राज्य सरकार से सहकारी बैंकों व पैक्स की आर्थिक मजबूती के लिए साथ ही किसानों को पर्याप्त एवं सस्ती ब्याज दर पर फसली ऋण उपलब्ध करवाने के लिए राज्य में टू-टीयर सहकारी बैंकिंग व्यवस्था लागू किया जाना समय की मांग एवं आवश्यकता बताई। उन्होंने कहा कि ग्रामीण बैंकों की तर्ज पर राज्य में एक मजबूत व बड़ा सहकारी बैंक बनाने के लिए जिले के सभी केन्द्रीय सहकारी बैंकों को राज्य सहकारी बैंक (अपेक्स बैंक) में विलय कर ‘एक राज्य एक सहकारी बैंक’ बनाये जाने की आवश्यकता है।

सहकारी बैंकों के विलय से आर्थिक साधनों, संसाधनों का अपव्यय रोकने, प्रशासकीय खर्च कम होने एवं ब्याज मार्जिन की एक लेयर खत्म होने से सीधा-सीधा किसानों की आय दोगुनी करने में मदद मिलेगी। रिजर्व बैंक व नाबार्ड ने भी टू-टीयर सहकारी बैंकिंग व्यवस्था लागू करने के लिए केन्द्रीय सहकारी बैंकों को राज्य सहकारी बैंक में मर्जर किये जाने की सहमति एवं राज्य सरकारों को सलाह जारी की गई है।

नाबार्ड पुनर्भरण की दर बढायी जाये

सहकार नेता ने बताया कि पिछले कुछ वर्ष से नाबार्ड द्वारा रियायती ब्याज दर पर देय अल्पकालीन फसली ऋण नीति (एस.टी. लोन पॉलिसी) जारी करने में अत्यधिक विलम्ब किया जा रहा है। फसली चक्र शुरू होने के साथ ही नाबार्ड द्वारा वित्त वर्ष के शुरूआत में अप्रेल माह में ही अल्पकालीन फसली ऋण नीति जारी कर रियायती ब्याज दर पर किसानों के लिए पुनर्वित सुविधा दी जाने की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि सहकारी बैंकों को अल्पकालीन फसली ऋण आवश्यकता का न्यूनतम 40 प्रतिशत पुनर्वित सुविधा को निरंतर कम करते हुए नाबार्ड द्वारा 15 प्रतिशत तक कर दिया गया है।

किसानों को राज्य सरकार की बजट घोषणा के 25000 हजार करोड़ रुपये फसली ऋण वितरण के लिए सहकारी बैंकों के पास पर्याप्त फंड की कमी हो गई है। सहकारी बैंकों को नाबार्ड द्वारा महंगी ब्याज दर पुनर्वित उपलब्ध कराने की परिस्थिति पैदा कर सहकारी बैंकों को आर्थिक रूप से कमजोर किया जा रहा है। आमेरा ने नाबार्ड से किसानों के हित में अप्रेल माह से ही रियायती ब्याज दर पर न्यूनतम 50 प्रतिशत पुनर्वित ऋण सुविधा उपलब्ध करवाये जाने की मांग की।

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