एक क्लिक पर उपलब्ध होगी भारत की समस्त सहकारी गतिविधियों की जानकारी, जानिये कैसे
नई दिल्ली, 8 मार्च। केंद्रीय सहकारिता मंत्री (co-operative minister) अमित शाह (Amit Shah) ने कहा कि राष्ट्रीय सहकारी डेटाबेस (NCD) अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी का उपयोग कर बनाया गया एक डायनेमिक वेब आधारित प्लेटफार्म है और इसकी मदद से देशभर की पंजीकृत सहकारी समितियों (co-operative societies) की सारी जानकारी एक क्लिक से उपलब्ध होगी। नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) सरकार द्वारा पूरे सरकारी दृष्टिकोण के साथ शुरू किए गए सहकारिता के विस्तार के अभियान में यह डेटाबेस मार्ग प्रशस्त करने का काम करेगा। यह डेटाबेस भारत की पूरी सहकारिता गतिविधियों की जन्मकुंडली है।
वे 8 मार्च को नई दिल्ली में राष्ट्रीय सहकारी डेटाबेस के लोकार्पण और ‘राष्ट्रीय सहकारी डेटाबेस 2023: एक रिपोर्ट’ के विमोचन के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित कर रहे थे। इस अवसर पर केन्द्रीय सहकारिता राज्यमंत्री बीएल वर्मा और सहकारिता मंत्रालय के सचिव डॉ. आशीष कुमार भूटानी सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
उन्होंने कहा कि इस को-ऑपरेटिव डेटाबेस से सहकारिता का विस्तार, डिजिटल माध्यम से डेवलपमेंट और डेटाबेस से डिलीवरी का काम होगा। डेटा, डेवलपमेंट को सही दिशा देने का काम करता है और गैप का एनालिसिस करने में ये बहुत कारगर सिद्ध होगा। उन्होंने कहा कि इस काल में हम एक नए ट्रेंड का अनुभव कर रहे हैं – डेटा गवर्नेंस, प्रोएक्टिव गवर्नेंस और एंटिसिपेटरी गवर्नेंस और इन तीनों के सामंजस्य से विकास का एक नया मॉडल खड़ा होता है।
अमित शाह ने कहा कि राष्ट्रीय सहकारी डेटाबेस में तीन चरणों में काम हुआ है। पहले चरण में, तीन क्षेत्रों यानी पैक्स, डेयरी और मत्स्यिकी की लगभग 2.64 लाख समितियों की मैपिंग पूरी की गई। दूसरे चरण में विभिन्न राष्ट्रीय संघों, राज्य संघों, राज्य सहकारी बैंक (SCB), जिला केंद्रीय सहकारी बैंक (DCCB), शहरी सहकारी बैंक (UCB), राज्य सहकारी कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (SCARDB), प्राथमिक कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (PCARDB), सहकारी चीनी मिलों, जिला यूनियनों और बहुराज्य सहकारी समितियों (MSCS) के आंकड़े एकत्रित कर मैप किए गए।
तीसरे चरण में अन्य बाकी क्षेत्रों में 5.3 लाख से अधिक प्राथमिक सहकारी समितियों के डेटा की राज्य (RCS) एवं संघ राज्य क्षेत्र (DRCS) कार्यालयों के माध्यम से मैपिंग की गई। इसके बाद हमें पता चला कि देश में 8 लाख से अधिक समितिया पंजीकृत हैं और 30 करोड़ से अधिक नागरिक इनसे जुड़े हैं। डेटाबेस में पैक्स से एपैक्स, गांव से शहर, मंडी से ग्लोबल मार्केट औऱ स्टेट से अंतरराष्ट्रीय डेटाबेस तक जोडऩे की पूरी संभावना मौजूद है।
शाह ने कहा कि ये सहकारिता डेटाबेस, पॉलिसी मेकर्स, रिसर्चर्स और स्टेकहोल्डर के लिए अमूल्य संसाधन का काम करेगा। इस डेटाबेस के आंकड़ों की प्रामाणिकता और उन्हें अपडेट करने के लिए पूरी साइंटिफिक व्यवस्था की गई है। सहकारिता मंत्रालय सुनिश्चित करेगा कि इस डेटाबेस पर सत्यापित डाटा ही नियमित रूप से अपलोड हो।