लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा के ‘भजन’ में खलल, राजस्थान सरकार के एक मंत्री पर भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी के आरोप तय
जयपुर, 17 मार्च। लोकसभा चुनाव की आदर्श आचार संहिता प्रभावी होते ही प्रदेश की भजनलाल शर्मा सरकार को तगड़ा झटका लगा है। जयपुर महानगर द्वितीय एसीबी कोर्ट ने 18 साल पुराने मामले में श्रीमाधोपुर पंचायत समिति के तत्कालीन प्रधान झाबर सिंह खर्रा समेत पांच जनों पर भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी के चार्ज तय किए हैं। खर्रा, श्रीमाधोपुर से भाजपा के विधायक हैं और वर्तमान राजस्थान सरकार में नगरीय विकास विभाग (UDH) और स्थानीय निकाय विभाग के राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) हैं।
यह प्रकरण जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग (PHED) के पाइप खरीद के 14.14 लाख रुपए के 18 साल पुराने घोटाले से जुड़ा है। इसमें झाबर सिंह खर्रा, तत्कालीन विकास अधिकारी उम्मेद सिंह राव, पंचायत समिति के तत्कालीन जेईएन कृष्ण कुमार गुप्ता, तत्कालीन कनिष्ठ लेखाकार नेहरू लाल व बधाला कन्स्ट्रक्शन कंपनी के मालिक राम का नाम है। झाबर सिंह खर्रा वर्तमान में राजस्थान सरकार में यूडीएच मंत्री हैं। आरोप है कि मिलीभगत करके भैरूराम को टेंडर दिलाया और उस काम का ज्यादा भुगतान जारी किया।
अनुभवहीन को टेण्डर दिया
आदेश में एसीबी कोर्ट के जज बृजेश कुमार ने कहा -तत्कालीन प्रधान झाबर सिंह खर्रा ने सह आरोपी कृष्ण कुमार गुप्ता व नेहरूतान के साथ मिलकर 8 मार्च 2006 को आपराधिक षडयंत्र के तहत पेयजल आपूर्ति के प्रस्ताव के लिए पंचायत समिति की एक बैठक की। इसके बाद उन्होंने टेंडर में भाग लेने वाले भैरूराम से आपराधिक षड्यंत्र के तहत मिलीभगत व अपने लोक सेवक पद का दुरुपयोग करते हुए टेंडर प्रक्रिया में फर्जीवाड़ा किया था। समिति ने गैरूराग के पीवीसी पाइप का अधिकृत ठेकेदार नहीं होने और इस काम का उसे कोई अनुभव नहीं होने के बाद भी उसे सफल बोलीदाता घोषित कर टेंडर जारी कर दिया।
भुगतान में भी फर्जीवाड़ा
कोर्ट ने अपने आदेश ने कहा कि सेम को पंचायत समिति ने पाइप खरीद के 27 लाख 38 हजार 477 रुपए का भुगतान किया, जबकि जांच से यह प्रथन दृष्टया साबित होता है कि भैरूराम ने गोयल पाइप उद्योग से 13 लाख 24 हजार 399 रुपये में पाइप खरीदी थी। ऐसे में इन सब ने मिलकर राजकोष को 14 लाख 14 हजार 78 रुपए का नुकसान पहुंचाया। इनका यह कृत्य पीसी एक्ट और आईपीसी की धारा 120 के तहत अपराध माना जाएगा। वहीं, टेंडर देने में फर्जी दस्तावेज का भी उपयोग किया है। यह धोखाधड़ी के तहत अपराध की श्रेणी में आता है। भैरूराम ने 6 केजी क्षमता के पाइप सप्लाई करने की बजाय गोयल पाइप उद्योग से 4 केजी प्रेशर क्षमता के पाइप खरीदे थे, जिसका सत्यापन भी गलत तरीके से इन लोगों ने किया थ।
आरोप तय, ट्रायल चलेगा
चार्ज तय होने के बाद अब मंत्री खर्रा सहित अन्य पांच लोगों पर भ्रष्टाचार व धोखाधड़ी का ट्रायल चल सकेगा। ट्रायल खत्म होने के बाद कोर्ट अपना फैसला सुनायेगी। आरोपियों के पास अभी हाईकोर्ट में जाने का विकल्प मौजूद है, जहां वे एसीबी कोर्ट द्वारा आरोप तय करने के आदेश को चुनौती दे सकते हैं।