सहकारिता

सहकार नेता ने गोपाल क्रेडिट कार्ड योजना के लिए मंत्री को दी बधाई, सहकारी बैंकों व पैक्स की चिंताओं से अवगत कराया

जयपुर, 29 अगस्त (मुखपत्र)। ऑल राजस्थान को-आपरेटिव बैंक एम्पलाइज यूनियन व ऑल राजस्थान को-आपरेटिव बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन के प्रांतीय महासचिव सूरजभान सिंह आमेरा ने राजस्थान में पशुपालकों के लिये ऐतिहासिक गोपाल क्रेडिट कार्ड ऋण योजना के ऑनलाइन पोर्टल का शुभारम्भ करने पर सहकारिता राजयमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) गौतम कुमार दक को बधाई एवं शुभकामनायें प्रेषित करते हुए सहकारी बैंक और पैक्स की चिंताओं से अवगत कराया है।

सहकार नेता आमेरा ने एक प्रेस बयान में कहा कि प्रदेश के गौ पालक किसान को डेरी से सबन्धित गतिविधियों के लिए एक लाख रुपये तक का ब्याज मुक्त ऋण उपलब्ध कराने के लिए ऑनलाइन पोर्टल का शुभारम्भ कर सरकार की बजट घोषणा को लागू करना स्वागतयोग्य कदम है। आमेरा ने गौपालक किसान की आर्थिक समृद्धि के लिए देश में पहली बार इस ऐतिहासिक निर्णय के लिए मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा व सहकारिता राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) गौतम कुमार को बधाई एवं साधुवाद दिया है।

आमेरा ने बताया कि राजस्थान सरकार की इस योजना से भारत सरकार की किसान की आय दुगनी कर बढ़ाने के लक्ष्य को हासिल करने में राज्य सरकार का यह निर्णय मील का पत्थर साबित होगा। किसान गौपालक किसान स्वावलम्बी, आत्मनिर्भर व समृद्ध होगा। प्रदेश में गौ धन बढ़ेगा, जिसका सीधा लाभ समाज व सनातन संस्कृति को मिलेगा ।

इसके साथ ही, सहकारी साख समितिया एम्पलाइज यूनियन के प्रान्तीय अध्यक्ष आमेरा ने सरकार से सभी योजनाओं को लागू करने के लिए बैंकों को समय पर ब्याज अनुदान भुगतान व कार्मिक भर्ती करने का आग्रह किया है। सहकार नेता ने मंत्री से गोपाल क्रेडिट कार्ड योजना को लागू करने के लिए सहकारी बैंकों व पैक्स को समय पर ब्याज अनुदान भुगतान के लिए पर्याप्त बजट की व्यवस्था सुनिश्चित करने और योजना की सफल क्रियान्विति के लिए सहकारी बैंकों तथा पैक्स में कार्मिक उपलब्ध करवाने के लिए पाँच वर्ष से लम्बित भर्ती करने करने की भी जरुरत बताई है। उन्होंने ब्याजमुक्त अल्पकालीन फसली ऋण का बकाया ब्याज अनुदान भी सरकार से समय पर दिलवाने की अपेक्षा की है।

आमेरा के अनुसार, सहकारी बैंकों एवं पैक्स में कर्मचारियों व अधिकारियों की भारी कमी के चलते बैंक की शाखाओं का संचालन मुश्किल हो रहा है। पैक्स में मानव संसाधन के हालात भी विकट हैं। एक-एक व्यवस्थापक को तीन से पाँच समितियों का चार्ज थोप रखा है। राज्य सरकार से समय पर 4 प्रतिशत ब्याज अनुदान नहीं मिलने से बैंकों व पैक्स की आर्थिक हालत खऱाब हो रही है और नये ऋण वितरण के लिए बैंकों के पास बजट का अभाव है।

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