गबन मामले में जिम्मेदारी तय करने में लापरवाही का आरोप, सेवानिवृत्त सहकारी अधिकारी को नोटिस जारी
श्रीगंगानगर, 6 नवम्बर। राजस्थान सहकारिता सेवा के सीनियर एडिशनल रजिस्ट्रार कैडर के अधिकारी भूपेंद्र सिंह ज्याणी (अब सेवानिवृत्त) को हनुमानगढ़ केंद्रीय सहकारी बैंक लिमिटेड की टिब्बी शाखा में हुए गबन के मामले में नोटिस जारी किया गया है। ज्याणी पर आरोप है कि उन्होंने हनुमानगढ़ केंद्रीय सहकारी बैंक में प्रबंध निदेशक के पद पर रहते हुए टिब्बी शाखा में हुई सावधि जमाओं में गड़बड़ी, अनियमितता और गबन राशि के उत्तरदायित्व निर्धारण करने में लापरवाही बरती, जिसके चलते न केवल जांच की दिशा बदल गयी, अपितु आज तक गबन की राशि की वसूली नहीं हुई और इस प्रकरण में संलिप्त रहे कार्मिक वर्तमान में भी बैंक में कार्यरत हैं।
खंडीय अतिरिक्त रजिस्ट्रार, बीकानेर के आदेश पर टिब्बी ब्रांच में हुई वित्तीय अनियमितता के मामले में उत्तरदायित्व निर्धारण के लिए राजस्थान सहकारी सोसाइटी अधिनियम 2001 की धारा 55 के तहत जांच करवायी जा रही है। जांच अधिकारी, पीथदान चारण, सचिव प्राथमिक सहकारी भूमि विकास बैंक लिमिटेड, हनुमानगढ़ द्वारा 5 नवम्बर 2024 को भूपेंद्र सिंह ज्याणी, सेवानिवृत्त सीनियर एडिशनल रजिस्ट्रार को नोटिस जारी कर, 11 नवम्बर 2024 तक व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर अथवा उचित माध्यम से अपना अभिकथन मय साक्ष्य, प्रस्तुत करने के लिए निर्देशित किया गया है।
प्रकरण के अनुसार, टिब्बी शाखा में बैंक कार्मिकों ने आईडी पासवर्ड चुराकर, 20 लाख 60 हजार 774 रुपये का गबन कर लिया गया था। इस मामले की जांच के लिए तत्कालिन प्रबंध निदेशक सुलतान सिंह बेनीवाल ने प्राथमिक जांच करवायी, जिसके उपरांत पांच कार्मिकों को दोषी माना गया। जांच रिपोर्ट प्रस्तुत किये जाने के कुछ ही दिन पश्चात, अप्रेल 2018 में राज्य सरकार ने भूपेंद्र सिंह ज्याणी को हनुमानगढ़ बैंक में प्रबंध निदेशक के पद पर लगा दिया। ज्याणी ने इस प्रकरण की सहकारी सोसाइटी एक्ट की धारा 55 की जांच और धारा 57 के तहत जांच करवाकर, वसूली हेतु कार्यवाही करने की बजाय, साधारण नोटशीट पर प्रारम्भिक जांच में दोषी पाये गये कार्मिकों से वसूली का आदेश निकाल दिया। इस आदेश पर दो कार्मिक हाईकोर्ट से स्थगनादेश ले आये। इसके बावजूद, धारा 55 की जांच नहीं करवायी गयी और आज तक वह स्टे कायम है।
जांच अधिकारी द्वारा ज्याणी को जारी 10 पेज और 11 बिन्दुओं के विस्तृत नोटिस में पूरे घटनाक्रम का ब्यौरा देते हुए धारा 55 एवं 57 के तहत जांच नहीं करवाये जाने, इस प्रकरण में संलिप्त समस्त कार्मिकों को निलम्बित नहीं किये जाने, हाईकोर्ट द्वारा अधिनियम अंतर्गत जांच के बिना ही गबन की राशि वसूल करने के प्रबंध निदेशक के दिनांक 04.07.2018 के आदेश को इनवैलिट कराने के उपरांत भी अधिनियम अंतर्गत जांच करवाकर हाईकोर्ट का स्टे वेकेंट नहीं करवाने, इस प्रकरण को तत्कालिन खंडीय अतिरिक्त रजिस्ट्रार बीकानेर के संज्ञान में नहीं लाने आदि के बारे में अपना लिखित अभिकथन साक्ष्यों सहित प्रस्तुत करने के लिए निर्देशित/आदेशित किया गया है।