सहकारिता रजिस्ट्रार मंजू राजपाल का गृह निर्माण सहकारी समितियां के कार्यों में पारदर्शिता एवं निष्पक्षता की ओर एक ठोस कदम
आर्बिटेशन के प्रकरणों की सुनवाई के लिए 50 सहकारी अधिकारियों का पैनल गठित
जयपुर, 14 दिसम्बर (मुखपत्र)। राजकार्य में कठोर अनुशासन और प्रकरणों के त्वरित निपटारे के लिए विशेष पहचान रखने वाली भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) की वरिष्ठ अधिकारी मंजू राजपाल, रजिस्ट्रार, सहकारी समितियां ने जयपुर क्षेत्र की गृह निर्माण सहकारी समितियां से संबंधित प्रकरणों में अनुशासन स्थापित करने की ओर सकारात्मक कदम उठाते हुए एक अभिवन शुरूआत की है। पहली बार, राज्य सहकारिता सेवा के अधिकारियों एवं निरीक्षकों का एक पैनल गठित किया गय है, जो कोऑपरेटिव हाउसिंग सोसाइटीज के मध्यस्थता (Arbitration) के प्रकरणों की सुनवाई करेगा। इस पैनल में कार्यालय उप रजिस्ट्रार, सहकारी समितियां जयपुर (शहर) एवं कार्यालय उप रजिस्ट्रार, सहकारी समितियां, जयपुर (ग्रामीण) में कार्यरत सहकारी अधिकारियों, निरीक्षकों के साथ-साथ जयपुर में सहकारिता विभाग के विभिन्न कार्यालयों एवं सहकारी संस्थाओं में पदस्थ सहकारी अधिकारियों को आर्बिटेशन का दायित्व सौंपे जाने का साहसिक निर्णय लिया गया है।
गृह निर्माण सहकारी समितियां से संबंधित मध्यस्थता प्रकरणों में पारदर्शिता, निष्पक्षता कायम करने और प्रकरणों के समयबद्ध निस्तारण के लिए रजिस्ट्रार, सहकारी समितियां मंजू राजपाल ने आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किये हैं, साथ ही इस संबंध में 50 सहकारी अधिकारियों, निरीक्षकों का एक पैनल बनाया है, जो राजस्थान सहकारी सोसाइटी अधिनियम, 2001 की धारा 58 से संबंधित प्रकरणों में आर्बिटेशन (मध्यस्थता) की सुनवाई कर, निर्णय दे सकेंगे।
अनियमितताओं की शिकायतों पर अंकुश का प्रयास
रजिस्ट्रार के अनुसार, जयपुर जिले की गृह निर्माण सहकारी समितियों के संबंध में मध्यस्थता से संबंधित प्रकरण बहुत अधिक संख्या में प्राप्त होने के कारण, कई बार उनके अधिनियमान्तर्गत निस्तारण में अत्यधिक विलम्ब होता है। साथ ही, एक ही अधिकारी/कर्मचारी के स्तर पर काफी अधिक संख्या में ऐसे प्रकरण लम्बित रहने के कारण प्रकरणों के निस्तारण में अधिनियम एवं नियमों के प्रावधानों की अनदेखी करने एवं ऐसे प्रकरणों में कतिपय अनियमितताएं होने संबंधी शिकायतें भी प्राप्त होती रही हैं।
एक साल के लिए पैनल गठित
अधिनियम एवं नियमों के प्रावधानों की पूर्ण पालना नहीं होने के कारण ऐसे मामलों में पारित निर्णयों के विरूद्ध अपील संबंधी प्रकरणों में भी वृद्धि देखी गई है। इन कठिनाईयों के निराकरण एवं अधिनियमान्तर्गत प्राप्त होने वाले प्रकरणों के गुणवत्तापूर्ण, निष्पक्ष, पारदर्शी एवं समयबद्ध निष्पादन की दृष्टि से दिशा निर्देश जारी किये गये हैं एवं 50 अधिकारियों, निरीक्षकों का एक पैनल बनाया गया है, जो एक वर्ष केलिए मान्य होगा। पैनल में राज्य सहकारिता सेवा के 25 अधिकारी (1 संयुक्त रजिस्ट्रार, 9 उप रजिस्ट्रार, 15 सहायक रजिस्ट्रार) एवं 25 सहकारी निरीक्षक सम्मिलित किये गये हैं।
(संबंधित आदेश एवं पैनल, सहकार गौरव के 16 दिसम्बर 2025 के अंक में पृष्ठ संख्या 3 पर पढ़ें।)
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