सहकारी मिनी बैंक में 9 करोड़ रुपये के गबन में सोसाइटी कार्मिकों, दो अध्यक्षों और 10 बैंक अधिकारियों के खिलाफ प्रकरण दर्ज
श्रीगंगानगर, 21 नवम्बर (मुखपत्र)। गंगानगर केंद्रीय सहकारी बैंक लिमिटेड की जैतसर शाखा अंतर्गत 2 जीबी-ए ग्राम सेवा सहकारी समिति लि. द्वारा संचालित मिनी बैंक 3 जीबी में हुए 8 करोड़ 94 लाख रुपये के गबन के मामले में राजस्थान सहकारी सोसाइटी अधिनियम 2001 के तहत वसूली की कार्यवाही आरम्भ हो गयी है। अधिनियम की धारा 55(5) एवं (6) में जांच जारी परिणाम की अनुशंसा के आधार पर कार्यालय, उप रजिस्ट्रार सहकारी समितियां, अनूपगढ़ द्वारा धारा 57(1) में प्रकरण दर्ज कर दोषियों के आचरण की जांच के लिये, सुरेश कुमार सहकारी निरीक्षक, अनूपगढ़ को जांच अधिकारी नियुक्त किया है।
उप रजिस्ट्रार जयपाल गोदारा के अनुसार, 2 जीबीए ग्राम सेवा सहकारी समिति लि., 3 जीबी (मिनी बैंक) में जमा अमानतों एवं भुगतान योग्य अमानतों तथा समिति के पास उपलब्ध फण्ड्स में भारी अन्तर व अनियमितता/गबन प्रकरण में बैंक स्तर से राजस्थान सहकारी सोसायटी अधिनियम 2001 की धारा 55 के अन्तर्गत जांच करवाई गई। तत्पश्चात प्रबन्ध निदेशक संजय गर्ग द्वारा 18 नवम्बर 2024 को राजस्थान सहकारी सोसायटी अधिनियम 2001 की धारा 55(5) एवं (6) के अन्तर्गत जांच परिणाम एवं निर्देश जारी किये गये। इस संदर्भ में दोषी कार्मिकों के विरुद्ध वित्तीय उत्तरदायित्व निर्धारण करने के लिए सहकारी सोसायटी अधिनियम 2001 नियम 2003 धारा 57 में प्रकरण दर्ज किया गया है।
गबन के मामले में सोसाइटी के पूर्व व्यवस्थापक सुमेर सिंह, पूर्व सहायक व्यवस्थापक ओमप्रकाश चुघ, वर्तमान व्यवस्थापक बिशनपाल सिंह, सोसाइटी के पूर्व अध्यक्ष कुलदीप सिंह, वर्तमान अध्यक्ष परवेज सिंह के अलावा समिति का निरीक्षण करने वाले बैंक कार्मिकों – भगवानदास भूतना (सेवानिवृत्त सहायक अधिशासी अधिकारी), घड़सीराम (सेवानिवृत्त ऋण पर्यवेक्षक), उमाराम सहारण (सहायक अधिशासी अधिकारी), स्व. मान सिंह (ऋण पर्यवेक्षक), हरकेश मीणा एवं साहिल कुमार के परिवाद दर्ज किया गया है। इनके अलावा, वर्ष 2014-15 से वर्ष 2023-24 तक, जैतसर शाखा प्रबंधक रहे 5 अधिकारियों – कुन्दनलाल स्वामी (वर्तमान में सूरतगढ़ शाखा प्रबंधक), जगराम मीणा (सेवानिवृत्त प्रबंधक), भगवान दास भूतना (सेवानिवृत्त सहायक अधिशासी अधिकारी), शक्ति सिंह देवड़ा (वर्तमान में अनूपगढ़ शाखा प्रबंधक) और हरकेश मीणा (वर्तमान में जैतसर शाखा प्रबंधक) को भी प्रकरण में नमजद किया गया है। सुमेर सिंह का साल 2020 में निधन हो गया।
वर्ष दर वर्ष ऐसे हुआ घोटाला
2014-15 में 1 करोड़ 40 लाख 71 हजार 37 रुपये
2015-16 में 1 करोड़ 59 लाख 10 हजार 596 रुपये
2016-17 में 1 करोड़ 05 लाख 10 हजार 52 रुपये
2017-18 में 1 करोड़ 06 लाख 92 हजार 522 रुपये
2018-19 में 1 करोड़ 74 लाख 65 हजार 738 रुपये
2019-20 में 1 करोड़ 22 लाख 04 हजार 668 रुपये
2020-21 में 1 लाख 74 हजार 882 रुपये
2021-22 में 34 लाख 26 हजार 175 रुपये
2022-23 में 16 लाख 31 हजार 498 रुपये
2023-24 में 33 लाख 16 हजार 616 रुपये
कुल राशि – 8 करोड़ 94 लाख 1 हजार 784 रुपये
कौन-कौन दोषी
धारा 55(5) एवं (6) में जारी जांच परिणाम में 8 करोड़ 94 लाख 1 हजार 784 रुपये के गबन प्रकरण में वर्ष 2014-15 एवं 2015-16 में हुए गबन के लिए तत्कालिन व्यवस्थापक सुमेर सिंह और सहायक व्यवस्थापक ओमप्रकाश चुघ को, वर्ष 2016-17 से 2020-21 तक के लिए निवर्तमान व्यवस्थापक एवं सेवानिवृत्ति उपरांत संविदा पर कार्यरत सुमेर सिंह, व्यवस्थापक बिशनपाल सिंह और सहायक व्यवस्थापक ओमप्रकाश चुघ को तथा वर्ष 2021-22 से 2023-24 तक की अवधि में हुए गबन के लिए व्यवस्थापक बिशनपाल सिंह और सहायक व्यवस्थापक ओमप्रकाश चुघ को दोषी माना गया है। इनके अलावा गबन की अवधि के दौरान वाले सभी निरीक्षणकर्ताओं एवं शाखा प्रबंधकों को भी दोषी करार दिया गया है।