वित्त विभाग ने किया आश्वस्त, 4 प्रतिशत ब्याज अनुदान की राशि शीघ्र जारी होगी
जयपुर, 5 अप्रेल (मुखपत्र)। राजस्थान में जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों (DCCB) द्वारा प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (ग्राम सेवा सहकारी समितियों) यानी पैक्स (PACS) के माध्यम से वितरित किये जाने वाले ब्याजमुक्त अल्पकालीन फसली ऋण के एजव में राज्य सरकार की ओर से देय ब्याज अनुदान राशि जल्द ही बैंकों को मिल जायेगी। डीसीसीबी ने पैक्स के माध्यम से वित्त वर्ष 2023-24 में लगभग 21 हजार 973 हजार करोड़ रुपये और साल 2022-23 में 19 हजार 391 करोड़ रुपये का ब्याजमुक्त फसली ऋण वितरित किया है।
मुखपत्र को जानकारी मिली है कि राजस्थान राज्य सहकारी बैंक लिमिटेड (अपेक्स बैंक) के प्रबंध निदेशक भोमाराम, सीनियर एडिशनल रजिस्ट्रार ने बकाया ब्याज अनुदान के मुद्दे को वित्त विभाग के समक्ष पुरजोर ढंग से उठाया है। बैंक प्रबंधन द्वारा सरकार तक यह मैसेज पहुंचा दिया गया है कि ब्याजमुक्त अल्पकालीन फसली ऋण वितरण की एवज में राजस्थान सरकार की ओर से देय 4 ब्याज अनुदान समय पर नहीं मिलने के कारण कई जिलों में ग्राम सेवा सहकारी समितियों के कर्मचारियों को पिछले एक साल से दो साल तक की अवधि का वेतन नहीं मिला है, ऐसी स्थिति में सोसाइटी कार्मिक असहयोगात्मक या आंदोलनात्मक कदम उठा सकते हैं।
वित्त विभाग की ओर से अपेक्स बैंक को आश्वस्त किया गया है कि अप्रेल माह के दूसरे सप्ताह में 4 प्रतिशत ब्याज अनुदान के रूप में लगभग 300 करोड़ रुपये की राशि केंद्रीय सहकारी बैंकों को उपलब्ध करा दी जायेगी। वित्त विभाग इसकी प्रशासनिक स्वीकृति पहले ही जारी कर चुका है। उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार की ओर से देय ब्याज अनुदान की आधी राशि यानी 2 प्रतिशत राशि पैक्स, लैम्पस को मिलती है, इसी राशि से सोसाइटी कार्मिकों के वेतन-भत्ते सहित अन्य खर्चों की पूर्ति होती है।
इधर, सूत्रों से जानकारी मिली है कि यदि 10 अप्रेल तक वित्त विभाग ने ब्याज अनुदान के मामले में अपेक्षित सहयोग नहीं किया तो सहकारिता विभाग द्वारा राज्य के मुख्य सचिव सुधांश पंत को इस मामले में हस्तक्षेप करने के लिए निवेदन किया जा सकता है।
ग्राम सेवा सहकारी समितियों के कार्मिकों को वेतन नहीं मिलने के कारण, धरातल पर हालात काफी खराब होते जा रहे हैं। कर्मचारियों में सरकार के खिलाफ गुस्सा है और वे ‘वेतन नहीं तो काम नहीं’ जैसा कदम उठाने की तैयारी में हैं। यदि ऐसा होता है तो नाबार्ड के नियमानुसार, हर पांच साल बाद किसानों की अधिकतम साख सीमा (एमसीएल) के नवीनीकरण का काम अवरुद्ध होने की आशंका है, जो इससे पहले 2019 में बनायी गयी थी और इस साल 30 जून तक नवीनीकरण किया जाना है। एमसीएल का नवीनीकरण नहीं होने से प्रदेश के लगभग 30 लाख किसान जुलाई माह में सहकारी साख सुविधा से वंचित हो सकते हैं। इससे राज्य सरकार को किसानों की नाराजगी का सामना करना पड़ सकता है। केंद्रीय सहकारी बैंक इस टकराव को टालने के प्रयास हैं। इसी कड़ी में गंगानगर केंद्रीय सहकारी बैंक के प्रबंध निदेशक संजय गर्ग द्वारा सहकारिता रजिस्ट्रार व अपेक्स बैंक को पत्र लिखकर व्यवस्थापकों की भावना से अवगत कराते हुए, 4 प्रतिशत ब्याज अनुदान राशि शीघ्र जारी करने के लिए आग्रह किया गया है।