नाबार्ड का राजस्थान में अगले वित्त वर्ष के लिए 3.62 लाख करोड़ रुपये के प्राथमिकता क्षेत्र ऋण वितरण की सम्भावना का अनुमान
जयपुर, 5 मार्च (मुखपत्र)। राजस्थान में एकीकृत और सतत ग्रामीण समृद्धि सुनिश्चित करने के उद्देश्य से, राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए 3.62 लाख करोड़ रुपये के प्राथमिकता क्षेत्र ऋण सम्भाव्यता का अनुमान लगाया है। ऋण की संभावित राशि पिछले वर्ष के अनुमान की तुलना में 32 प्रतिशत अधिक है।
नाबार्ड द्वारा दि ललित होटल में आयोजित स्टेट क्रेडिट सेमिनार के दौरान वित्त वर्ष 2024-25 के लिए तैयार किए गए स्टेट फोकस पेपर (एसएफपी) का विमोचन किया गया, जो राजस्थान राज्य में भौतिक और वित्तीय, दोनों संदर्भ में, दोहन योग्य जिलावार यथार्थवादी ऋण वितरण की संभाव्यता का समेकित दस्तावेज भी है।
राजस्थान सरकार के अतिरिक्त मुख्य सचिव (वित्त) अखिल अरोड़ा के मुख्य आतिथ्य में द्वारा नाबार्ड स्टेट फोकस पेपर का विमोचन किया गया। इस अवसर पर शासन सचिव सचिव (बजट एवं व्यय) नरेश कुमार ठकराल, भारतीय रिजर्व बैंक के क्षेत्रीय निदेशक नवीन नाम्बियार, नाबार्ड राजस्थान के मुख्य महाप्रबंधक डॉ. राजीव सीवच और राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति के संयोजक हर्षदकुमार टी. सोलंकी भी उपस्थित थे।
युवाओं, स्टार्टअप्स के लिए भी पॉलिसी बने
एसीएस अखिल अरोड़ा ने अपने संबोधन में कहा कि नाबार्ड और बैंकिंग क्षेत्र न केवल विकास के भागीदार हैं बल्कि विकास के इकोसिस्टम का एक अभिन्न हिस्सा हैं। उन्होंने कृषि और एमएसएमई क्षेत्रों को मजबूत बनाने के साथ साथ युवाओं को सशक्त बनाने और उनके लिए स्टार्टअप इकोसिस्टम को विकसित करके उनकी क्षमताओं का उपयोग करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने विकसित भारत-2024 मिशन की तर्ज पर विकसित राजस्थान-2047 की दिशा में काम करने के लिए सरकार और बैंकिंग क्षेत्र के समन्वय का आग्रह किया।
कृषि क्षेत्र के लिए आधे से अधिक ऋण सम्भावना का अनुमान
नाबार्ड के मुख्य महाप्रबंधक डॉ. राजीव सिवाच ने स्टेट फोकस पेपर के बारे में बताते हुए कहा कि कुल अनुमानित ऋण संभाव्यता में से 1.89 लाख करोड़ रुपये यानी 52 प्रतिशत कृषि और सम्बद्ध गतिविधियों के लिए आंकलित किया गया है। एमएसएमई क्षेत्र के लिए 1.41 लाख करोड़ रुपये यानी 39 प्रतिशत और अन्य प्राथमिकता वाले क्षेत्रों जैसे कि आवास, शिक्षा आदि के लिए 32 हजार करोड़ यानी 9 प्रतिशत आंकलित किया गया है। एसएफपी में आकलित ऋण संभाव्यता का उपयोग वर्ष 2024-25 के लिए वार्षिक ऋण योजना तैयार करने के लिए एक आधार दस्तावेज के रूप में किया जाएगा।
ऋण की मांग एवं उपलब्धता पर विचार-विमर्श
डॉ. सिवाच ने बताया कि सेमीनार में विभिन्न क्षेत्रों में नाबार्ड, राज्य एवं केंद्र सरकार द्वारा प्रायोजित योजनाओं और कार्यक्रमों के मद्देनजर ऋण की मांग एवं उपलब्धता पर विचार-विमर्श किया गया। उन्होंने कहा कि कृषि बुनियादी ढांचे में निवेश में वृद्धि, कृषि उपज के सामूहीकरण, मूल्य सम्वर्धन और किसानों को किसान उत्पादक संगठनों में संगठित करके कृषि की उत्पादकता बढाई जा सकती है। उन्होंने किसानों को बेहतर ऋण प्रवाह के लिए प्राथमिक सहकारी कृषि समितियों के कम्प्यूटरीकरण के माध्यम से सहकारी समितियों को पुनर्जीवित करने के लिए केंद्र एवं राज्य सरकार द्वारा हाल ही में किए गए संयुक्त प्रयास की भी जानकारी दी।
लॉन्ग टर्म पर फोकस करने की जरूरत
आरबीआई के क्षेत्रीय निदेशक नवीन नाम्बियार ने कहा कि प्रदेश की जीडीपी में कृषि, उद्योग और सेवा क्षेत्र का योगदान क्रमश: 30, 30 और 40 प्रतिशत है। प्रदेश की भौगोलिक एवं जनसंख्या आधारित असमानता का उल्लेख करते हुए कहा कि यदि प्रति व्यक्ति आय को वर्तमान 1.60 लाख रुपये से बढाकर 2 लाख रुपये तक ले जाने में सफलता मिले, तो नाबार्ड का ऋण संभावना अनुमान दोगुना हो सकता है। उन्होंने शॉर्ट टर्म की अपेक्षा लॉन्ग टर्म पर अधिक ध्यान देने और प्राथमिकता वाले क्षेत्र में निवेश बढाने की आवश्यकता पर बल दिया।
केसीसी की भांति जीसीसी
नरेश कुमार ठकराल, शासन सचिव, वित्त एवं व्यय ने कहा कि किसानों की आय को दोगुना करने के लिए राजस्थान में पशुपालन की महत्ती भूमिका हो सकती है। राज्य में पशुपालन को कृषि क्षेत्र के अनुरूप महत्व दिये जाने की जरूरत है। राजस्थान में बहुतायत में पशुधन है, जिसे समझते हुए किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) की भांति गोपाल क्रेडिट कार्ड (जीसीसी) योजना लायी जा रही है। इसमें सहकारी बैंकों के माध्यम से पशुपालक किसानों को एक लाख रुपये तक का लोन उपलब्ध कराया जायेगा। गुजरात और महाराष्ट्र में यह योजना काफी सफल रही है।
अपेक्स बैंक का नाबार्ड से पर्याप्त पुनवित्त का आग्रह
सेमीनार के दौरान, राजस्थान राज्य सहकारी बैंक के प्रबंध निदेशक भोमाराम ने, अल्पकालीन फसली ऋण के लिए, नाबार्ड से 40 प्रतिशत की अपेक्षा केवल 23 प्रतिशत ही पुनर्वित्त मिलने और इससे केंद्रीय सहकारी बैंकों में पर्याप्त मात्रा में फंड नहीं होने के कारण, सरकार की मंशा के अनुरूप अल्पकालीन फसली ऋण नहीं हो पाने की ओर ध्यान आकर्षित किया। घमूड़वाली ग्राम सेवा सहकारी समिति के अध्यक्ष चंद्रभान गोदारा ने पैक्स को पीडीएस लाइसेंस और गेहूं की सरकारी खरीद के लिए अधिकृत करने का आग्रह किया।
एफपीओ और पैक्स का सम्मान
कार्यक्रम के अंत में राज्य में सर्वश्रेष्ठ कार्य करने वाले किसान उत्पादक संगठनों – भरतपुर के स्वार्थसिद्धि एफपीओ, अलवर के युवा जागृति मिल्क एफपीओ और अलवर के कठूमर फार्मर कम्पनी एफपीओ को, राजस्थान में पैक्स कम्प्यूटरीकरण के तहत सबसे पहले गो-लाइव होने वाली हनुमानगढ़ जिले की 45 एनआरडी ग्राम सेवा सहकारी समिति और सहकारी क्षेत्र में विश्व की सबसे बड़ी अन्न भंडारण योजना को अंगीकार कर, परियोजना को पूर्ण करने वाली वाली राजस्थान की एक मात्र समिति घमूड़वाली ग्राम सेवा सहकारी समिति, जिसका हाल ही में पीएम नरेंद्र मोदी ने उद्घाटन किया है, को सम्मानित किया।