ग्राम सेवा सहकारी समिति व्यवस्थापकों के वेतन के लिए अलग से फंड जारी करने का प्रस्ताव नहीं – आंजना
जयपुर, 16 मार्च (मुखपत्र) । सहकारिता मंत्री उदयलाल आंजना ने गुरूवार को विधानसभा में कहा कि ग्राम सेवा सहकारी समिति व्यवस्थापकों के वेतन व अन्य व्यय हेतु अलग से फंड जारी किये जाने का कोई प्रस्ताव राज्य सरकार के स्तर पर विचाराधीन नहीं है। हालांकि, उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा ग्रामसेवा सहकारी समितियों की आय बढ़ाकर उन्हें मजबूत करने के लिए हर सम्भव प्रयास किये जा रहे हैं।
श्री आंजना ने प्रश्नकाल के दौरान इस संबंध में सदस्य द्वारा पूछे गये पूरक प्रश्नों का जवाब देते हुए कहा कि राज्य सरकार द्वारा ग्राम सेवा सहकारी समितियों की आर्थिक स्थिति मजबूत करने के लिए फसली ऋण व्यवसाय पर 2 प्रतिशत ब्याज मार्जिन उपलब्ध कराया जाता है। इसके अलावा आय के अन्य विकल्प के तौर पर समितियों के माध्यम से ट्रेक्टर और अन्य आधुनिक कृषि यंत्र किराये पर देने की सुविधा वाले कस्टम हायरिंग केंद्र स्थापित किये जा रहे हैं। इन उपकरणों की खरीद के लिए केन्द्र सरकार द्वारा 60 प्रतिशत तथा राज्य सरकार द्वारा 40 प्रतिशत राशि अनुदान के रूप में दी जाती है।
सहकारिता मंत्री ने बताया कि सभी ग्राम सेवा सहकारी समितियों को फसली ऋण व्यवसाय पर 2 प्रतिशत ब्याज मार्जिन उपलब्ध कराया जाता है, जिसका उपयोग समिति अपने विविध खर्चों हेतु उपयोग कर सकती है।
उन्होंने केन्द्रीय सहकारी बैंकों एवं ग्राम सेवा सहकारी समितियों को आर्थिक रूप से मजबूत करने के लिए राज्य सरकार द्वारा उठाये गए कदमों का विवरण सदन के पटल पर रखा।
सरकारी मद की राशि में कमी नहीं आई
इससे पहले डेगाना विधायक विजयपाल मिर्धा के मूल प्रश्न के लिखित जवाब में सहकारिता मंत्री ने कहा कि केन्द्रीय सहकारी बैंकों में ऑनलाइन व्यवस्था होने के कारण सरकारी मद की राशि अन्य बैंकों में नहीं गई है। उन्होंने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी अनुसूचित बैंक की सूची में केन्द्रीय सहकारी बैंक सम्मिलित नहीं होने के कारण इन बैंकों में राजकीय मद की राशि के विनियोजन में कमी आई है। उन्होंने कहा कि केन्द्रीय सहकारी बैंकों में ऑनलाइन व्यवस्था होने से इसका कोई संबंध नहीं है।