सहकारिता का ‘फेस’ बदलने की तैयारी!
जयपुर, 15 फरवरी (मुखपत्र)। आगामी सप्ताह में राजस्थान के जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों के प्रबंधन में आमूलचूल परिवर्तन देखने को मिल सकता है। ऐसी चर्चा है कि सहकारिता मंत्री गौतम कुमार दक, हाईकोर्ट के निर्णय की पालना में कैडर के अनुरूप पदस्थापन की नीति की सख्ती से पालना कराने का मन बना चुके हैं, यदि इसे धरातल पर उतारा गया तो केवल बैंकिंग सहकारिता के क्षेत्र में ही, अतिरिक्त चार्ज में चल रहे 12 केंद्रीय सहकारी बैंकों के साथ-साथ, लम्बी अवधि के आधार पर डीसीसीबी में प्रबंध निदेशक व अधिशासी अधिकारी के रूप में कार्यरत 30 से अधिकारियों का स्थानांतरण सम्भव है।
सहकारिता सेवा में ज्वाइंट रजिस्ट्रार का 55 का कैडर है। सितम्बर, 2023 में 51 ज्वाइंट रजिस्ट्रार उपलब्ध थे, जिसमें से दो अधिकारी – आशुतोष भट्ट और संजय पाठक एडिशनल रजिस्ट्रार बन गये हैं तथा एक, कुमार विवेकानंद यादव सेवानिवृत्त हो चुके हैं। वर्तमान में 22 अधिकारी जयपुर में प्रधान कार्यालय व जयपुर की विभिन्न सहकारी संस्थाओं – अपेक्स बैंक, एसएलडीबी, सहकारी मुद्रणालय, राइसेम, सहकारी निर्वाचन प्राधिकरण में कार्यरत हैं।
क्षेत्रीय अंकेक्षण अधिकारी का पद भी संयुक्त रजिस्ट्रार कैडर का है, इसलिए सात संभाग में आरएओ के लिए सात ज्वाइंट रजिस्ट्रार की नियुक्ति की जा सकती है। 3 ज्वाइंट रजिस्ट्रार – कृष्णानंद शर्मा, नवीन शर्मा और दिव्या खंडेलवाल दूसरे विभागों में प्रतिनियुक्ति पर कार्यरत हैं, जबकि तीन अन्य ज्वाइंट रजिस्ट्रार – देवेंद्र अमरावत, फतेह सिंह राजपुरोहित और बिजेंद्र शर्मा, क्रमश: नागरिक सहकारी बैंक जोधपुर, पाली और कोटा में प्रबंध निदेशक के रूप में कार्यरत हैं। अनिमेश पुरोहित, भूपाल हाउसिंग सोसाइटी में समापक पद पर कार्यरत हैं। नरेंद्र सिंह बिष्ट, सुनील बिश्नोई, सुनील व्यास, ओमपाल सिंह, संजीव कुमार, किशन लाल मीणा प्रमोशन के बाद भी, अपने कैडर से कमतर पदों पर कार्यरत हैं। क्योंकि इन्हें भी पिछली सरकार में प्रमोशन के बाद, यथावत रख दिया गया था।
शेष बचे अधिकारियों में से आरबीआई व नाबार्ड के फिट एंड प्रोपर क्राइटेरिया के अनुरूप, पात्र संयुक्त पंजीयकों को जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों की जिम्मेदारी दी जानी है। प्रधान कार्यालय में कार्यरत कुछ ज्वाइंट रजिस्ट्रार फिर से केंद्रीय सहकारी बैंकों की कमान सम्भाल सकते हैं। इसके बावजूद, उपयुक्त अधिकारियों की कमी के कारण, सभी केंद्रीय सहकारी बैंकों में प्रबंध निदेशक के पद पर ज्वाइंट रजिस्ट्रारों की नियुक्ति मुश्किल प्रतीत हो रही है। इसलिए कुछ सीनियर अथवा सहकारी बैंकों के अनुभवी उप रजिस्ट्रारों को जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों में प्रबंध निदेशक पद पर लगाया जा सकता है या फिर अधिक ठहराव वाले अनुभवी उप रजिस्ट्रारों को स्थानांतरित कर दूसरे बैंकों में एमडी पद की जिम्मेदारी दी जा सकती है।
जिस प्रकार से सहकारिता मंत्री गौतम कुमार दक की अब तक की परफोरमेंस रही है एवं जो उन्होंने जो डेकोरम बनाया है, उससे एक संदेश स्पष्ट है कि दागी और खराब ट्रैक रिकार्ड वाले अफसरों को संस्थाओं, विशेषकर सहकारी बैंकों से दूर रखा जा सकता है। राजस्थान में केंद्रीय सहकारी बैंकों को सहकारिता का फेस माना जाता है। राज्य के 29 डीसीसीबी, एक वित्त वर्ष में लगभग 20 हजार करोड़ रुपये का अल्पकालीन फसली ऋण वितरण करते हैं, इसलिए सबसे अधिक पब्लिक डिलिंग यहीं होती है।
वर्तमान में केवल, केवल 8 केंद्रीय सहकारी बैंकों में ज्वाइंट रजिस्ट्रार कैडर के अधिकारी हैं, जो प्रबंध निदेशक के रूप में कार्यरत हैं। इनमें उदयपुर में आलोक चौधरी, चित्तौडग़ढ़ में नानाराम चावला, बीकानेर में रणवीर सिंह, भीलवाड़ा में अनिल काबरा, कोटा में बलविन्दर सिंह गिल, जयपुर में मदन लाल गुर्जर, टोंक में रोहित सिंह और अजमेर में भंवर सुरेंद्र सिंह हैं जबकि श्रीगंगानगर में संजय गर्ग के पास प्रबंध निदेशक पद का अतिरिक्त चार्ज है। जोधपुर सीसीबी में एमडी सुरेंद्र सिंह राठौड़ एडिशनल रजिस्ट्रार कैडर केे अधिकारी हैं। शेष 19 केंद्रीय सहकारी बैंकों में, उप रजिस्ट्रार या सहायक रजिस्ट्रार ही प्रबंध निदेशक/अधिशासी अधिकारी के रूप में पदस्थ हैं।
इनके अलावा प्रदेश के कई केंद्रीय सहकारी बैंकों में प्रबंध निदेशक/अधिशासी अधिकारी के पद रिक्त हैं। जबकि कुछेक बैंकों में प्रबंध निदेशक और अधिशासी अधिकारी के साथ सहायक रजिस्ट्रार के रूप में अतिरिक्त अधिशासी अधिकारी भी कार्यरत हैं। इनमें अधिकांश अधिकारी वर्षों से एक ही संस्था या एक ही पद पद लगे हुये हैं।