सहकारिता सेवा के तेज-तर्रार ज्वाइंट रजिस्ट्रार सहित दो सहकारी अफसर एपीओ
जयपुर, 24 सितम्बर (मुखपत्र)। राज्य सरकार ने मंगलवार को एक आदेश जारी कर, राजस्थान सहकारिता सेवा के दो अधिकारियों को आदेशों की प्रतीक्षा में रख दिया यानी एपीओ कर दिया। इनमें ज्वाइंट रजिस्ट्रार कैडर के अधिकारी आलोक चौधरी शामिल हैं, जो गत 6 साल से उदयपुर सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक में प्रबंध निदेशक के पद पर कार्यरत हैं। दूसरे अधिकारी, सहायक रजिस्ट्रार विनोद कुमार कोठारी हैं, जो उदयपुर में ही विशेष लेखा परीक्षक के पद पर कार्यरत हैं। सहकारिता विभाग के संयुक्त शासन सचिव दिनेश कुमार जांगिड़ ने 24 सितम्बर को दोनों अधिकारियों को एपीओ करने का आदेश जारी किया। आदेशों की प्रतीक्षा अवधि में दोनों अधिकारियों का मुख्यालय, कार्यालय रजिस्ट्रार, सहकारी समितियां जयपुर रखा गया है।
आलोक कुमार चौधरी को सहकारिता सेवा का सबसे तेज-तर्रार और मुखर अधिकारी माना जाता है। उनको एपीओ किया जाना, सहकारिता विभाग में अचरज से देखा जा रहा है क्योंकि चौधरी ने अपने अब तक के सेवाकाल में, कांग्रेस और भाजपा, दोनों के ही शासनकाल में, सहकारिता मंत्रियों के साथ मधुर सम्बंध बनाये रखे और उनकी छत्रछाया में, बड़ी सहजता के साथ एक ही पद पर लम्बी-लम्बी पारी खेली है।
चौधरी पिछले लगभग 12 साल से अलग-अलग जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों में प्रबंध निदेशक के पद की ही जिम्मेदारी उठाते आये हैं। प्रदेश में किसी भी राजनीतिक दल की सरकार हो, चौधरी को कभी सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक के प्रबंध निदेशक पद से विमुख नहीं कर पायी। सहकारिता मंत्री के रूप में कांग्रेस राज में परसादीलाल मीणा के कार्यकाल में चौधरी ने भीलवाड़ा सीसीबी में लम्बा अरसा बताया। फिर भाजपा राज में अजय सिंह किलक के कार्यकाल मेें चित्तौडग़ढ़ डीसीसीबी में लम्बी अवधि तक एम.डी. रहे। इस दौरान चित्तौडग़ढ़ सीसीबी में पहले चंद्रभान सिंह आक्या के नेतृत्व वाले बोर्ड के साथ और फिर आक्या के विश्वस्त लक्ष्मण सिंह खोर के बोर्ड के साथ शानदार तालमेल रहा। इसके उपरांत कांग्रेस राज में उदयलाल आंजना के सहकारिता मंत्री रहते हुए, आलोक चौधरी ने उदयपुर सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक की कमान संभाली और भाजपा सरकार के शासन में आने के बावजूद 24 सितम्बर की शाम तक, इसी पद पर कार्यरत रहे।
आलोक चौधरी को, केंद्रीय सहकारी बैंक में पंचवर्षीय एग्रीमेंट के तहत एमडी शिप करने वाले एक मात्र अधिकारी के रूप में जाना जाता है। वे मंत्री, शासन सचिव और रजिस्ट्रार, सहकारी समितियां की बैठक में मुखरता से अपनी बात रखने वाले गिने-चुने अफसरों में एक हैं। उदयपुर जोन में ऐसी चर्चा है कि आंजना के मंत्री रहते हुए आलोक चौधरी ही जोनल एडिशनल रजिस्ट्रार कार्यालय के क्रियाकलापों का संचालन करते थे। चौधरी के रुतबे की पुष्टि एक घटनाक्रम से होती है, जिसके अनुसार, आईएएस मुक्तानंद अग्रवाल के रजिस्ट्रार रहते हुए, आलोक चौधरी की नाराजगी से बचने के लिए तत्कालिन जोनल एडिशनल रजिस्ट्रार ने, उदयपुर जोन के एक चर्चित उप-रजिस्ट्रार की 16 सीसीए की चार्जशीट बनाकर भेजने के साफ इंकार कर दिया था। क्योंकि वे दोनों (चौधरी और चार्जशीट वाले अफसर) घनिष्ठ मित्र हैं।
चौधरी को एपीओ किये जाने के कारणों की पुष्टि नहीं हो पायी है, लेकिन सहकारिता विभाग में ऐसी चर्चा है कि सेलूम्बर विधायक अमृतलाल मीणा (अब स्वर्गीय) की लिखित शिकायत और विधानसभा में कुछ प्रकरण उठाये जाने के बाद से, आलोक चौधरी को उदयपुर से हटाये जाने की प्रक्रिया आरंभ हो गयी थी। हालांकि, जोनल ऑफिस द्वारा इस शिकायत की जंाच करके, जांच रिपोर्ट, रजिस्ट्रार कार्यालय को भेज दी गयी थी। इसी शिकायत में, विशेष लेखा परीक्षक विनोद कुमार कोठारी सहित कुछ अन्य सहकारी अफसरों का भी नाम था। माना जा रहा है कि सेलूम्बर विधानसभा क्षेत्र में उप चुनाव के मद्देनजर सरकार ने शिकायत वाले अफसरों को हटाये जाने निर्णय लिया है।