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सहकारी बैंकों एवं राजफैड में भर्ती पर नया पेंच, सहकारी भर्ती बोर्ड ने परीक्षा शुल्क के लिए गेंद फिर से राज्य सरकार के पाले में डाली

जयपुर, 16 मार्च (मुखपत्र)। राजस्थान में सहकारी बैंकों और राजफैड में विभिन्न पदों पर भर्ती की प्रक्रिया अब लोकसभा चुनाव की आदर्श आचार संहिता समाप्त होने के बाद ही आरम्भ की जायेगी। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि सहकारी भर्ती बोर्ड ने राज्य सरकार द्वारा पूर्व में आवंटित राशि से भर्ती परीक्षा करवाए जाने में असमर्थता व्यक्त की है, साथ ही, सरकार को प्रकरण पुन: प्रेषित कर, अभ्यर्थियों से परीक्षा शुल्क वसूल करने की स्वीकृति मांगी है।

यह भी बताया गया है कि पूर्व में भर्ती की विज्ञप्ति में 1 अप्रेल 2023 की रिक्तियों के अनुरूप रिक्त पदों की गणना की गयी थी, परन्तु संसदीय आमचुनाव के पश्चात जारी की जाने वाली संशोधित भर्ती विज्ञप्ति में 1 अप्रेल 2024 की रिक्तियों के अनुरूप आवेदन आमंत्रित किये जाएंगे। इससे सहकारी बैंकों (राजस्थान राज्य सहकारी बैंक लिमिटेड जयपुर एवं 29 केंद्रीय सहकारी बैंक) तथा राजफैड में रिक्तियों की संख्या में बढोतरी होने की संभावना है।

आईबीपीएस से होगी भर्ती परीक्षा

सूत्रों ने बताया कि भर्ती बोर्ड द्वारा राज्य की दो एजेंसियों से परीक्षा का आयोजन कराने के लिए सम्पर्क किया गया था, लेकिन दोनों ही एजेंसियों ने सहकारी बैंकों एवं राजफैड में, विभिन्न श्रेणी के पदों के लिए अलग-अलग तकनीकी व शैक्षणिक योग्यता होने के कारण, एक ही भर्ती के लिए, कैडर वाइज परीक्षा के आयोजन में असमर्थता व्यक्त कर दी, जिसके चलते अब बैंकिंग कार्मिक चयन संस्थान (आईबीपीएस) द्वारा ही भर्ती परीक्षा का आयोजन कराने का निर्णय लिया गया है।

13 करोड़ मिले, भर्ती बोर्ड ने 90 करोड़ रुपये मांगे

उल्लेखनीय है कि निवर्तमान कांग्रेस सरकार द्वारा वनटाइम रजिस्ट्रेशन फीस के अधार पर युवाओं को किसी भी परीक्षा में भाग लेने की छूट प्रदान की गयी थी। इसके आधार पर भर्ती बोर्ड द्वारा सहकारी बैंकों में भर्ती के लिए पूर्व में 15 से 16 करोड़ रुपये की डिमांड की गयी थी, जिसमें से वित्त विभाग द्वारा 13 करोड़ रुपये की स्वीकृति जारी की गयी। बाद में, राज्य सरकार के विभिन्न विभागों में भर्ती के लिए आयोजित परीक्षाओं में अभ्यर्थियों के भाग लिये जाने के अनुभव को देखते हुए सहकारी भर्ती बोर्ड द्वारा प्रकरण को पुन: वित्त विभाग को प्रेषित कर, परीक्षा के आयोजन में 90 करोड़ रुपये से अधिक राशि के व्यय होने की संभावना जतायी गयी। तब से भर्ती प्रक्रिया अधर में है। अब सहकारिता विभाग के उच्चाधिकारियों के निर्देश पर, भर्ती सम्बंधी फाइल को पुन: वित्त विभाग को प्रेषित करते हुए, अभ्यर्थियों से परीक्षा शुल्क वसूल करने की स्वीकृति देने का आग्रह किया है।

 

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