जानिये, सहकारिता सेवा के अधिकारी की स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति की स्वीकृति का आदेश सरकार ने वापिस क्यों लिया
जयपुर, 29 नवम्बर (मुखपत्र)। राजस्थान सरकार ने सहकारिता विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी की स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) की स्वीकृति को वापिस ले लिया है। राज्य सहकारिता सेवा के अतिरिक्त रजिस्ट्रार कैडर के अधिकारी पृथ्वीपाल सिंह (पी.पी. सिंह) आज शुक्रवार के राजकीय सेवा से कार्यमुक्त होने वाले थे, लेकिन इससे एक दिन पहले ही राज्य सरकार ने स्वीकृति आदेश वापिस ले लिया।
पीपी सिंह का सेवानिवृत्ति आवेदन 30 नवम्बर 2024 से स्वीकार किया गया था। माह के अंतिम कार्यदिवस पर अवकाश के कारण, उन्हें आज 29 नवम्बर को राजकीय सेवा से कार्यमुक्त किया जाना था, परन्तु इससे ठीक एक दिन पहले, 28 नवम्बर को सरकार ने एक आदेश जारी कर पीपी सिंह की स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के आवेदन को प्रत्याहरित कर दिया अर्थात वापिस ले लिया। इस सम्बंध में सहकारिता विभाग के संयुक्त शासन सचिव दिनेश कुमार जांगिड़ के आदेश क्रमांक प.18(6)सह/88-00800 दिनांक 28.11.2024 की पालना में, अतिरिक्त रजिस्ट्रार (मानव संसाधन विकास), कार्यालय रजिस्ट्रार, सहकारी समितियां की ओर से प्रत्याहरित आदेश जारी किया गया।
पी.पी. सिंह स्वास्थ्य कारणों से कई महीनों से वीआरएस लेने के लिए प्रयासरत थे। पूर्व में विभागीय जांच के विचाराधीन होने की टिप्पणी के कारणर, उनका वीआरएस आवेदन स्वीकार नहीं किया गया। इसके पश्चात, नये सिरे से आवेदन करने पर एवं उनके पक्ष में सकारात्मक टिप्पणी के उपरांत, सरकार ने पी.पी. सिंह का वीआरएस आवेदन स्वीकार किया गया। राज्य सरकार की ओर से सहकारिता विभाग के संयुक्त शासन सचिव द्वारा 5 नवम्बर 2024 को, एक आदेश जारी कर, पी.पी. सिंह का 30 नवम्बर 2024 से वीआरएस स्वीकृत किया गया। रजिस्ट्रार कार्यालय की ओर से, 26 नवम्बर को, अतिरिक्त रजिस्ट्रार (अपील्स), जोधपुर के पद पर कार्यरत पीपी सिंह को राजकीय सेवा से कार्यमुक्त करने का पत्र भी जारी कर दिया गया था, जिसे अब वापिस ले लिया गया है।
उपरोक्त आदेश में पीपी सिंह के वीआरएस स्वीकृति आदेश को वापिस लेने के पीछे कोई कारण नहीं बताया गया, लेकिन सूत्र बताते हैं कि सिंह की अनुकम्पा नियुक्ति को लेकर कोई विवाद है, जिससे सम्बंधित शिकायत की जांच में तथ्य सिंह के खिलाफ हैं। यह जांच रिपोर्ट देने वाले वरिष्ठ अफसर कुछ माह पूर्व सेवानिवृत्त हो गये। इस जांच रिपोर्ट को कई महीने तक रजिस्ट्रार कार्यालय के दो बड़े अफसरों ने दबाये रखा, जिनमें से एक आधिवार्षिकी आयु पूर्ण कर सेवानिवृत्त हो गया और दूसरे ने वीआरएस ले लिया। कोशिश यही थी कि जांच रिपोर्ट को पीपी सिंह को वीआरएस के आधार पर राजकीय सेवा से कार्यमुक्त होने तक दबाए रखा जाये।
जब तक सम्बंधित ऑफिसर सीट पर थे, तब तक वे इसमें कामयाब भी रहे, लेकिन उनके जाते ही स्थितियां बदल गयीं। नये अफसरों के हाथ में कमान आते ही, यह बात सामने आयी कि पीपी सिंह से सम्बंधित जांच रिपोर्ट को महीनों से दबा कर रखा गया है। इस पर फाइल एवं जांच रिपोर्ट को तलाश कर, बड़े अफसरों व मंत्री को प्रकरण से अवगत कराया गया। अब इस प्रकरण को दबाने में मुख्य भूमिका निभाने वाले अफसरों के खिलाफ भी जांच बैठाये जाने की चर्चा है।