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सहकारी भर्ती बोर्ड के नकारापन से पैक्स में व्यवस्थापकों के 75 प्रतिशत पद रिक्त, कैसे आयेगी ‘सहकार से समृद्धि’

अजमेर में 220 पैक्स में केवल 56 व्यवस्थापक, नसीराबाद की 35 में से 28 ग्राम सेवा सहकारी समितियों में व्यवस्थापक के पद रिक्त

अजमेर, 16 अगस्त (मुखपत्र)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘सहकार से समृद्धि’ के विजन में प्राथमिक कृषि ऋणदात्री सोसाइटी (PACS) को सबसे महत्वपूर्ण इकाई माना गया है और केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह, देशभर में पैक्स को आर्थिक रूप से मजबूत करने और बहुआयामी सेवा केंद्र बनाने के लिए अनेक नवाचार कर रहे हैं परन्तु राजस्थान में पीएम मोदी और सहकारिता मंत्री अमित शाह की भावनाओं से प्रत्यक्ष खिलवाड़ हो रहा है। इसके केंद्र में सात साल पूर्व अस्तितव में आयी एक संस्था है, जिसे राजस्थान सहकारी भर्ती बोर्ड के नाम से जाना जाता है। भर्ती बोर्ड के कर्ता-धर्ताओं की नजर में केंद्र सरकार के ‘सहकार से समृद्धि’ वाले दृष्टिकोण का कोई महत्व नहीं है। यही कारण है कि अपनी स्थापना के 7 साल बीत जाने के बावजूद, राजस्थान सहकारी भर्ती बोर्ड ने प्रदेश की एक भी पैक्स में व्यवस्थापक/सहायक व्यवस्थापक की भर्ती नहीं की है। स्टाफ की घोर कमी से पैक्स बदहाल हो रहे हैं और केंद्र सरकार प्रवर्तित पैक्स कम्प्यूटराइजेशन प्रोजेक्ट के सुर बिगड़ गये हैं। इस परियोजना को गति देने के लिए सहकारिता विभाग की शासन सचिव शुचि त्यागी को जिला कलेक्टरों को अद्र्धशासकीय पत्र लिखने पर मजबूर होना पड़ा है।

राजस्थान में ग्राम सेवा सहकारी समितियों में समिति स्तर पर व्यवस्थापक/सहायक व्यवस्थापक की भर्ती पर रोक होने एवं सोसाइटियों में व्यवस्थापकों की भर्ती में राजस्थान सहकारी भर्ती बोर्ड की घोर विफलता के चलते प्राथमिक कृषि साख समितियों (पैक्स) के हालात बद से बदतर हो रहे हैं। राज्य सरकार द्वारा विधानसभ में प्रस्तुत आंकड़ों से, सहकारिता आंदोलन की इस सबसे छोटी किन्तु सबसे महत्वपूर्ण इकाई में रिक्त पदों की भयावहता का अंदाजा लगाया जा सकता है।

राज्य विधानसभा में बजट सत्र के दौरान सहकारिता राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) गौतम कुमार दक की ओर से नसीराबाद विधायक रामस्वरूप लाम्बा के एक प्रश्न के जवाब में बताया गया कि नसीराबाद विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत 35 ग्राम सेवा सहकारी समितियां कार्यरत हैं, जिनमें से 28 समितियों में व्यवस्थापक का पद रिक्त है और रिक्त पदों वाली सोसाइटियों में अन्य व्यवस्थापकों को अतिरिक्त प्रभार दिया जा कर समितियां संचालित की जा रही हैं।

मंत्री द्वारा प्रस्तुत आंकड़ों से समितियों में स्टाफ की जबरदस्त कमी का जीवंत प्रमाण हैं। राज्य के सबसे पुराने सहकारी बैंक, अजमेर सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक के कार्यक्षेत्र में आने वाली नसीराबाद विधानसभा क्षेत्र में बैंक की चार शाखाएं – नसीराबाद, पीसांगन, भिनाय और काशीर कार्यरत हैं, जिनमें नवगठित जीएसएसएस को मिलाकर कुल 39 प्राथमिक सोसाइटीज हैं। नसीराबाद विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत पहले से कार्यरत 35 समितियों में केवल 8 व्यवस्थापक ही कार्यरत हैं यानी एक व्यवस्थापक के पास कम से कम चार से पांच समितियों का चार्ज है। चूंकि भर्ती बोर्ड के गठन के बाद से समिति स्तर पर भर्ती पर रोक है और सहकारी भर्ती बोर्ड की इन सोसाइटीज में भर्ती की कोई योजना नहीं है, इसलिए पिछले तीन से चार साल में बनी नयी पैक्स में भी अतिरिक्त चार्ज से ही काम चलाया जा रहा है। सोसाइटियों में स्टाफ की अत्यंत कमी के कारण बैंकों द्वारा इन समितियों से कैसे काम लिया जा रहा होगा और उस काम की गुणवत्ता एवं विश्वसनीयता कितनी होगी, यह समझा जा सकता है। दूसरी ओर, सहज अनुमान लगाया जा सकता है कि व्यवस्थापकों पर काम का कितना बोझ है और ऐसे बोझ के साथ वे अपने काम में गुणवत्ता के साथ और सरकार की योजनाओं के साथ कैसे न्याय कर पा रहे होंगे।

परिपत्र की कैसे हो पालना

रजिस्ट्रार, सहकारी समितियां द्वारा स्पष्ट रूप से परिपत्र के माध्यम से यह निर्देश है कि एक व्यवस्थापक को मूल समिति के अलाव अधिकतम एक और समिति का ही अतिरिक्त चार्ज दिया जा सकता है। जबकि अजमेर जिले का ही उदाहरण लें तो अजमेर सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक के कार्यक्षेत्र में वर्तमान में 220 समितियां कार्यरत हैं, जिनमें केवल 56 व्यवस्थापक/सहायक व्यवस्थापक कार्यरत हैं। यानी यहां औसतन एक व्यवस्थापक के पास मूल समिति के अलावा तीन अन्य समितियों का अतिरिक्त चार्ज है। हालांकि, कुछ व्यवस्थापक तो ऐसे भी हैं, जिनके पास छह से सात समितियों का अतिरिक्त चार्ज है। पैक्स कम्प्यूटराइजेशन प्रोजेक्ट में अजमेर जिले के पिछडऩे का सबसे बड़ा कारण भी यही है।

2017 में विकेंद्रीकरण की भावना का गला घोंटा गया था

 

अजयसिंह किलक

यहां उल्लेखनीय है कि साल 2017 में तत्कालिन सहकारिता मंत्री और वर्तमान में डेगाना से विधायक अजय सिंह किलक के मंत्रीत्व काल में, सहकारिता की विकेंद्रीकरण की मूल भावना का गला घोंटते हुए, राजस्थान सहकारी भर्ती बोर्ड का गठन कर, भर्तियों का केंद्रीयकरण कर दिया गया था। भर्ती बोर्ड के पास प्रदेश की समस्त सहकारी संस्थाओं में स्टाफ की भर्ती का जिम्मा है। सहकारी भर्ती बोर्ड ने पिछले सात साल में एक भी ग्राम सेवा सहकारी समिति लिमिटेड (पैक्स एवं लैम्पस) में मुख्य कार्यकारी (व्यवस्थापक/सहायक व्यवस्थापक) के पद पर भर्ती नहीं की है। चूंकि सरकार ने, सहकारी भर्ती बोर्ड के गठन के साथ ही, जुलाई-2017 में सोसाइटी स्तर पर व्यवस्थापक/सहायक व्यवस्थापक की भर्ती पर रोक लगा दी थी, इसलिए सोसाइटियों से यह पावर छिन गया, जबकि सहकारी आंदोलन के अस्तित्व में आने के बाद से, राजस्थान में, सहकारी संस्थाएं ही अपने स्तर पर कर्मचारियों की भर्ती करती आ रही थी।

सहकारी भर्ती बोर्ड के गठन के समय लगभग एक हजार सोसाइटियों में मुख्य कार्यकारी के पद रिक्त थे। उसके पश्चात, हर ग्राम पंचायत पर प्राथमिक कृषि साख समिति (पैक्स) के गठन की राज्य सरकार की घोषणा के चलते, लगभग 1500 से अधिक नयी सोसाइटियों का गठन हो चुका है जबकि 2017 से अब तक इतने ही व्यवस्थापक सेवानिवृत्त हो चुके हैं। सरकार ने स्वयं स्वीकार किया है कि वर्तमान में प्रदेश में आधे से अधिक ग्राम सेवा सहकारी समितियों में मुख्य कार्यकारी के पद रिक्त हैं।
कमोबेश यही हालत, पूरे राजस्थान के हैं। कहीं आधे तो कहीं एक तिहाई सोसाइटियों में मुख्य कार्यकारी के पद रिक्त चले आ रहे हैं।

न स्थायी कार्यालय, न स्थायी अध्यक्ष, न स्थायी स्टाफ

यहां यह बताना भी युक्तिसंगत होगा कि अपने गठन के सात साल बाद तक, राजस्थान सहकारी भर्ती बोर्ड के पास न तो कोई स्थायी कार्यालय है, न ही स्थायी अध्यक्ष या सदस्य। यहां तक कि सहकारी भर्ती बोर्ड के लिए स्थायी कर्मचारियों की भर्ती ही नहीं की गयी। भर्ती बोर्ड के कार्यालय का संचालन, सहकारी शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (राइसेम) परिसर से किया जा रहा है। राइसेम के स्टाफ को ही अतिरिक्त वेतन (भत्ता) देकर, उनसे सहकारी भर्ती बोर्ड का काम लिया जा रहा है। जयपुर में नेहरू सहकार भवन में संचालित प्रधान कार्यालय (रजिस्ट्रार सहकारी समितियां) में पदस्थ अतिरिक्त रजिस्ट्रार-प्रथम ही भर्ती बोर्ड के पदेन अध्यक्ष हैं। वर्तमान में इस पद पर पिछले अढाई साल से सीनियर एडिशनल रजिस्ट्रार राजीव लोचन शर्मा कार्यरत हैं। राइसेम के निदेशक भर्ती बोर्ड के पदेन सचिव हैं, जिसकी जिम्मेदारी कुछ ही माह पूर्व एडिशनल रजिस्ट्रार जितेंद्र प्रसाद शर्मा को मिली है। एक अन्य सदस्य, रजिस्ट्रार सहकारी समितियां के प्रतिनिधि के रूप में सीनियर एडिशनल रजिस्ट्रार श्रीमती शोभिता शर्मा मनोनीत हैं, जो वर्तमान में अतिरिक्त रजिस्ट्रार-द्वितीय के पद पर कार्यरत हैं, हालांकि बोर्ड में उनकी नियुक्ति एमओ, आईसीडीपी के रूप में हुई थी, जो पद अब समाप्त हो चुका है। भर्ती बोर्ड के अध्यक्ष, सचिव एवं सदस्य सहित भर्ती बोर्ड का काम करने वाले प्रत्येक कार्मिक को उनके वेतन का 10 प्रतिशत अतिरिक्त मासिक भत्ता मिलता है। भर्ती बोर्ड पिछले सात साल में पैक्स में तथा पिछले पांच साल में सहकारी बैंकों में भी रिक्त पदों पर भर्ती नहीं कर पाया है।

 

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