सहकारी सोसाइटियों में अनियमितताओं पर सहकारिता मंत्री ने फिर दिखाये तीखे तेवर, अविलम्ब सम्पत्ति अटैच करने का दिया निर्देश, मिनी बैंक की जमाओं का सत्यापन होगा
जयपुर, 7 अक्टूबर (मुखपत्र)। सहकारिता राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार)गौतम कुमार दक ने राजस्थान सहकारी सोसाइटी अधिनियम के अंतर्गत दर्ज प्रकरणों की लम्बित जांचों को लेकर एक बार फिर कड़े तेवर दिखाये हैं। धारा 55 के लम्बित प्रकरणों की समीक्षा करते हुए श्री दक ने गअधिकारियों को निर्देश दिए की ऐसे प्रकरण सामने आते ही दोषियों के प्रति बिना सहानुभूति रखते हुए अविलम्ब कार्यवाही सुनिश्चित की जाए। उन्होंने कहा कि सहकारी समितियों में अनियमितताओं और फर्जीवाड़ा के प्रकरणों से आमजन में सहकारिता के प्रति विश्वास कम होता है।
सहकारिता मंत्री ने सोमवार को अपेक्स बैंक सभागार में राजस्थान सहकारी सोसायटी अधिनियम – 2001 की धारा 55, 57 (1) और 57 (2) के तहत लम्बित प्रकरणों की समीक्षा की। इसमें राज्य के वे समस्त अधिकारी, बैंक कार्मिक उपस्थित हुए, जिनके पास उपरोक्त धाराओं के प्रकरण लम्बित हैं। मैराथन बैठक में लम्बे समय से पेंडिंग चल रहे करीब 300 प्रकरणों की खण्डवार और प्रकरणवार विस्तार से समीक्षा की गई। सहकारिता मंत्री ने प्रकरणों की जांच में देरी पर नाराजगी व्यक्त करते हुए समयबद्ध कार्यवाही सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। उन्होंने लम्बित जांच प्रकरणों में जांच अधिकारियों के लिए समय सीमा भी निर्धारित की। श्री दक ने कहा कि अनियमितताओं के प्रकरणों में होने वाली कार्यवाही नजीर बननी चाहिए। इसके लिए जांच अधिकारी ऐसे प्रकरणों में लीपापोती करने के बजाय पूरी ईमानदारी से अपना काम करें।
एजीएम में राजकीय प्रतिनिधि उपस्थित हों
श्री दक ने निर्देश दिए कि सहकारी समितियों की वार्षिक आमसभा (एजीएम) में राजकीय प्रतिनिधि की उपस्थिति सुनिश्चित की जाए। इससे फर्जीवाड़े के प्रकरणों पर काफी हद तक लगाम लगेगी। उन्होंने कहा कि यदि समिति में फर्जीवाड़ा साबित होता है, तो आरोपियों के विरुद्ध तत्काल प्राथमिकी दर्ज करवाई जाए। सहकारिता मंत्री ने देरी वाले प्रकरणों में जांच अधिकारी बदलने एवं जांच की समय सीमा निर्धारित करने के भी निर्देश दिए। उन्होंने अधिकारियों को निर्देशित किया कि किसी भी समिति में अनियमितता पाए जाने पर सम्पत्ति का अटैचमेंट बिफोर अवार्ड तुरन्त किया जाए, जिससे सम्पत्ति को खुर्द-बुर्द नहीं किया जा सके।
तत्काल जांच परिणाम जारी करें
सहकारिता मंत्री ने कहा कि रिपोर्ट आने के बाद तत्काल जांच परिणाम जारी होना चाहिए। साथ ही, जांच परिणाम आने के बाद वरिष्ठ अधिकारी तथ्यों की अच्छी तरह जांच-परख कर लें। उन्होंने कहा कि अनियमितता करने वाले पदाधिकारियों द्वारा केवल राशि जमा करवा देने से ही अपराध समाप्त नहीं होता, बल्कि ऐसे लोगों के विरुद्ध नियमानुसार कार्यवाही की जाए। श्री दक ने कहा कि यदि कोई अधिकारी दोषी व्यक्तियों को बचाने का प्रयास करते हैं, तो उनके विरुद्ध भी सख्त कार्यवाही होगी।
नोटिस-नोटिस का खेल नहीं हो
सहकारिता विभाग की शासन सचिव एवं रजिस्ट्रार, सहकारी समितियां श्रीमती मंजू राजपाल ने निर्देश दिए कि अनियमिताओं के मामलों में ढिलाई नहीं बरती जाए। बार-बार केवल नोटिस देकर प्रकरण को लम्बित नहीं रखा जाना चाहिए। वरिष्ठ अधिकारी भी यह ध्यान रखें कि पर्यवेक्षणीय लापरवाही नहीं हो। जांच अगर पूरी हो चुकी है तो रिपोर्ट तत्काल सबमिट की जाए। पुराने प्रकरणों पर खास फोकस रखते हुए उनका शीघ्र निस्तारण किया जाए।
जानबूझकर जांच में देरी करने वालों पर कार्यवाही होगी
श्रीमती राजपाल ने कहा कि अधिकारी अपने कामकाज के तरीके में बदलाव लाकर प्रकरणों का शीघ्र निस्तारण सुनिश्चित करें। यदि कोई अधिकारी बिना किसी वजह के जांच में विलम्ब करते हैं, तो उन्हें भी नोटिस दिए जाएं। उन्होंने कहा कि जांच अधिकारी प्रकरणों की गंभीरता को समझते हुए समय सीमा का विशेष तौर पर ध्यान रखें।
मिनी बैंकों की जमाओं का सत्यापन कराया जाये
अतिरिक्त रजिस्ट्रार (बैंकिंग) राजीव लोचन ने कहा कि जिन समितियों में मिनी बैंक हैं, उनमें जमाओं का सत्यापन करवाया जाए। उन्होंने कहा कि अधिकारियों को जांच प्रकरणों को गंभीरता से लेना चाहिए। साथ ही, उन्होंने विश्वास दिलाया कि सभी अधिकारी अपना कार्य नियत समय में पूरा करेंगे। बैठक में अपेक्स बैंक के प्रबंध निदेशक संजय पाठक सहित प्रदेश भर से 250 से अधिक जांच अधिकारी एवं सम्बंधित अधिकारी उपस्थित रहे।