सहकारिता मंत्री ने किया डॉ. सूरजसिंह नेगी की पुस्तक ‘भावेश जो कह न सका’ का विमोचन
जयपुर, 5 नवम्बर (मुखपत्र)। किशोर मन की जटिल भावनाओं और पारिवारिक-सामाजिक दबावों को केंद्र में रखकर, राजस्थान प्रशासनिक सेवा के वरिष्ठ अधिकारी एवं साहित्यकार डॉ. सूरजसिंह नेगी द्वारा रचित उपन्यास ‘भावेश जो कह न सका’ का विमोचन बुधवार को झालाना संस्थानिक क्षेत्र स्थित राजस्थान प्रौढ़ शिक्षण समिति में हुआ। ‘ग्रासरूट मीडिया फाउंडेशन’ की ओर से आयोजित कार्यक्रम में सहकारिता एवं नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) गौतमकुमार दक ने पुस्तक का विमोचन किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता लेखक और चिंतक डॉ. सुरेंद्र सोनी ने की। उपन्यास की समीक्षा लेखिका और शिक्षिका आशा शर्मा द्वारा की गई। ग्रासरूट मीडिया फाउंडेशन के संस्थापक प्रमोद शर्मा सहित कई शिक्षाविद, विद्यार्थी और साहित्यप्रेमी कार्यक्रम में उपस्थित रहे। उल्लेखनीय है कि डॉ. नेगी, सहकारिता मंत्री के विशिष्ट सहायक भी हैं।
दर्पण की भांति है पुस्तक : दक
इस अवसर पर श्री दक ने ऐसी रचनाएं समाज के उस मौन हिस्से को आवाज़ देती हैं, जो अक्सर अनसुना रह जाता है। यह उपन्यास बच्चों और अभिभावकों दोनों के लिए एक दर्पण की तरह है।
समाज को आत्ममंथन के लिए प्रेरित करती है पुस्तक की कहानी
पुस्तक लेखक डॉ. सूरजसिंह नेगी ने अपनी रचना यात्रा साझा करते हुए कहा कि यह कृति न केवल एक कहानी कहती है, बल्कि समाज को आत्ममंथन के लिए प्रेरित करती है। यह उपन्यास उन किशोरों की आवाज़ है, जो अपनी भावनाएं व्यक्तनहीं कर पाते और जिनकी चुप्पी अक्सर एक गहरे संदेश में बदल जाती है। संवेदनशील और भावुक मन किशोर जब स्वयं को माता-पिता द्वारा देखे गए सपने को पूरा करने में असमर्थ पाता है, तब भावुकता में उठाया गया कदम कितना घातक हो सकता है, उसके चित्रण का प्रयास इस उपन्यास में किया गया है।
इस अवसर पर वक्ताओं ने किशोरों पर बढ़ते सामाजिक और पारिवारिक दबावों, सफलता की परिभाषा में आए बदलाव और अभिभावकों की भूमिका जैसे मुद्दों पर सार्थक चर्चा की।

