केंद्र सरकार का आरबीआई से अनुरोध, सहकारी बैंकों को डिजिटल सेवाओं के विस्तार के लिए पात्रता मानदंडों में छूट दी जाये
नई दिल्ली, 30 नवम्बर। केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल बैंकिंग सेवाओं के विस्तार के लिए, आरबीआई से आरआरबी द्वारा लागू संशोधित मानदंडों की तर्ज पर राज्य सहकारी बैंकों (StCB) और जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों (DCCB) के लिए पात्रता मानदंडों में छूट देने का अनुरोध किया गया है।
शाह ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल बैंकिंग को बढ़ावा देने और एसटीसीबी/डीसीसीबी के व्यापक नेटवर्क के माध्यम से इंटरनेट बैंकिंग सुविधाओं का विस्तार करने की आवश्यकता को देखते हुए, आरबीआई से पात्रता मानदंडों की समीक्षा का आग्रह किया गया है।
उन्होंने कहा कि वर्तमान में 34 में से केवल 4 राज्य सहकारी बैंक इंटरनेट बैंकिंग के जरिए लेनदेन की सुविधा प्रदान करते हैं जबकि 21 मोबाइल बैंकिंग सेवाएं उपलब्ध कराते हैं। इसी प्रकार, 351 जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों में से केवल 8 बैंक इंटरनेट बैंकिंग लेनदेन की सुविधा देते हैं जबकि 113 मोबाइल बैंकिंग सेवाएं प्रदान करते हैं।
उल्लेखनीय है कि 2015 तक राज्य सहकारी बैंक लिमिटेड और जिला केंद्रीय सहकारी बैंक लिमिटेड को अपने ग्राहकों को इंटरनेट बैंकिंग की सुविधा प्रदान करने की अनुमति नहीं थी। डिजिटल बैंकिंग सेवाओं को बढ़ावा देने के उद्देश्य से, आरबीआई ने 5 नवंबर 2015 की अधिसूचना के माध्यम से एसटीसीबी और डीसीसीबी को इंटरनेट बैंकिंग सुविधा प्रदान करने हेतु लाइसेंस प्राप्त करने की अनुमति दी। इसके लिए उन्हें कुुछ नियामक पात्रता मानदंडों को पूरा करना आवश्यक था। साथ ही, पात्रता मानदंडों को पूरा करने वाले एसटीसीबी और डीसीसीबी को 8 अक्टूबर 2008 से मोबाइल बैंकिंग सेवाएं प्रदान करने की अनुमति दी गई।
नाबार्ड ने सभी ग्रामीण सहकारी बैंकों (आरसीबी) को कोर बैंकिंग सॉल्यूशन (सीबीएस) प्लेटफॉर्म पर लाने के लिए एक विशेष पहल की। इसके तहत 16 राज्यों और 3 केंद्र शासित प्रदेशों की 6,953 शाखाओं वाले 201 आरसीबी (14 एसटीसीबी और 187 डीसीसीबी) को सहकारिता में सीबीएस परियोजना में शामिल किया गया। इस परियोजना को क्लाउड-आधारित एप्लिकेशन सेवा प्रदाता (एएसपी) मॉडल के माध्यम से लागू किया गया।