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सहकार जीवन सुरक्षा बीमा योजना के टेंडर में लापरवाही, राज्य सहकारी बैंक का महाप्रबंधक निलम्बित

सहकारिता विभाग के वित्तीय सलाहकार से स्पष्टीकरण लिया जायेगा

जयपुर, 14 सितम्बर (मुखपत्र)। राजस्थान राज्य सहकारी बैंक लिमिटेड (RStCB) के महाप्रबंधक प्रमोद कुमार (पी.के.) नाग को निलम्बित कर दिया गया है। सहकार जीवन सुरक्षा बीमा योजना में किसानों से 54.65 करोड़ रुपये की जीएसटी वसूल करने में बड़ी चूक को लेकर अपेक्स बैंक प्रबंधन द्वारा यह कार्यवाही की गयी।अपेक्स बैंक के प्रबंध निदेशक संजय पाठक ने 10 सितम्बर 2025 को पी.के. नाग का निलम्बन आदेश जारी किया।

सरकार की ओर से बीमा योजना के टेंडर में हुई कोताही, जिसके चलते किसानों से 54 करोड़ रुपये अतिरिक्त वसूल किये गये, की जिम्मेदारी तय करते हुए महाप्रबंधक नाग के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही के लिए बैंक प्रबंधन को निर्देशित किया गया था। सहकारिता विभाग की प्रमुख शासन सचिव मंजू राजपाल अपेक्स बैंक की प्रशासक हैं। सरकार के आदेश की पालना में प्रबंध निदेशक की ओर से प्रशासक को पत्रावली प्रेषित कर, अनुशासनात्मक कार्यवाही के लिए तीन विकल्प सुझाये गये थे, जिसमें सबसे कठोर विकल्प के रूप में निलम्बन और सीसीए रूल्स 16 के तहत आरोप पत्र दिये जाने के विकल्प को प्रशासक द्वारा स्वीकृति दिये जाने के उपरांत, नाग को निलम्बित कर, आरोप पत्र देने की प्रक्रिया शुरू की गयी है।

25 लाख किसानों का बीमा

ग्राम सेवा सहकारी समितियां (पैक्स, लैम्पस) के माध्यम से जिला केंद्रीय सहकारी बैंक (DCCB) से अल्पकालीन फसली ऋण (Short Term Loan) लेने वाले 25 लाख से अधिक किसानों के लिए दो बीमा योजनाएं अनियार्य रूप से लागू हैं। इनमें एक राज सहकार दुर्घटना बीमा योजना है, जिसमें ऋणी कृषक का 10 लाख रुपये का रिस्क कवर होता है। दूसरी योजना सहकार जीवन सुरक्षा बीमा योजना है, जिसमें केंद्रीय सहकारी बैंक द्वारा दिये जाने वाले अल्पकालीन ऋण की राशि की सुरक्षा की जाती है। इससे ऋणी काश्तकार की मृत्यु होने पर, बीमा कम्पनी द्वारा ऋण की राशि का भुगतान सम्बंधित बैंक को करना होता है। प्रदेश के समस्त 29 केंद्रीय सहकारी बैंकों के लिए दोनों योजनाओं की टेंडर प्रक्रिया अपेक्स बैंक, जयपुर के स्तर पर सम्पन्न होती है।

इस प्रकरण की उच्चस्तरीय जांच कमेटी की जांच रिपोर्ट के आधार पर राज्य सरकार द्वारा सहकार जीवन सुरक्षा बीमा योजना के लिये निविदाएं आमंत्रित किये जाने हेतु गठित टेंडर कमेटी के सदस्य सचिव पी.के. नाग के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही करने और सहकारिता विभाग के तत्कालिन वित्त सलाहकार सुरेश कुुमार से स्पष्टीकरण लिये जाने के लिए निर्देशित किये जाने के उपरांत यह कार्यवाही की गयी।

मंत्री के निर्देश पर हुई जांच

सहकारिता राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) गौतमकुमार दक के निर्देश पर सहकारिता विभाग द्वारा वर्ष 2023-24 में सहकार जीवन सुरक्षा बीमा योजना के लिए बीमा कम्पनी के चयन को लेकर अपनायी गयी प्रक्रिया की जांच और साल 2024-25 में सम्पन्न टेंडर प्रक्रिया का तुलनात्मक अध्ययन कर निष्कर्ष प्रस्तुत किये जाने के लिए एक पांच सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया था। अतिरिक्त रजिस्ट्रार शिल्पी पांडे की अध्यक्षता वाली जांच कमेटी में वित्तीय सलाहकार कुसुम धारवाल सदस्य सचिव थी जबकि अपेक्स बैंक के प्रबंध निदेशक संजय पाठक, संयुक्त रजिस्ट्रार (नियम) अजय उपाध्याय और अतिरिक्त रजिस्ट्रार (प्रोसेसिंग) गोपाल कृष्ण सदस्य बनाये गये थे।

कमेटी की रिपोर्ट में महत्वूपर्ण निष्कर्ष

1. साल 2024-25 की तुलना में साल 2023-24 में किसानों से 166 करोड़ 67 लाख रुपये अधिक प्रीमियम वसूल किया गया।

2. साल 2023-24 में  बीमा योजनाओं की क्रियान्विति के लिए खुली निविदाएं आमंत्रित नहीं की गयीं।

3. खुली निविदांए आमंत्रित नहीं करके वित्तीय नियमों की अवहेलना की गयी।

4. वर्ष 2024-25 में दो लाख रुपये तक के ऋण पर जीएसटी पर प्रभावित नहीं किया गया जबकि 2023-24 में जीएसटी वसूल किया गया। इससे किसानों को बीमा जीएसटी के रूप में 54 करोड़ 82 लाख रुपये अतिरिक्त चुकाने पड़े।

5. वर्ष 2023-24 के दौरान आयु वर्ग 18 से 59 के अंतर्गत 116 करोड़ 53 लाख रुपये एवं आयु वर्ग 60 से 79 के अंतर्गत 188 करोड़ 04 लाख रुपये बतौर प्रीमियम किसानों से वसूल कर बीमा कम्पनी को चुकाया गया जबकि कम्पनी द्वारा आयु वर्ग 18 से 59 के लिए 32 करोड़ 27 लाख रुपये एवं आयु वर्ग 60 से 79 के लिये 95 करोड़ 36 लाख रुपये का क्लेम दिया गया।

जीएसटी प्रभार के तथ्य छुपाये गये!

उक्त जांच रिपोर्ट के उपरांत प्रमुख शासन सचिव एवं रजिस्ट्रार, सहकारी समितियां द्वारा संबंधित जिम्मेदार अधिकारियों का पक्ष सुना गया, जिसमें यह तथ्य उभर कर आया कि सदस्य सचिव द्वारा जीएसटी के प्रभार को लेकर, टेंडर कमेटी के सदस्यों को एक बार भी तथ्यों से अवगत नहीं कराया गया। बीमा योजना की यह पत्रावली सहकारिता विभाग के बैंकिंग अनुभाग, वित्त सलाहकार से होती हुई रजिस्ट्रार, सहकारी समितियां तक पहुंची और रजिस्ट्रार कार्यालय के अनुमोदन के उपरांत ही योजना को लागू किया गया।

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