एक और सहकारी सोसायटी में 1 करोड़ रुपये से अधिक का गबन, सोसायटी के अध्यक्ष व तीन कर्मचारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज
जयपुर, 21 जून (मुखपत्र)। राजस्थान की एक और ग्राम सेवा सहकारी समिति में एक करोड़ रुपये के अधिक राशि के गबन का मामला प्रकाश में आया है। राजस्थान सहकारी सोसाइटी अधिनियम अंतर्गत जांच रिपोर्ट एवं जांच परिणाम जारी किये जाने के पश्चात, बैंक प्रबंधन की ओर से गंगानगर जिले के सूरतगढ़ क्षेत्र की जानकीदासवाला ग्राम सेवा सहकारी समिति में लगभग 1 करोड़ 34 लाख रुपये के गबन, वित्तीय अनियमितता और अमातन में खयानत का मुकदमा दर्ज कराया गया है।
गंगानगर केंद्रीय सहकारी बैंक के प्रबंध निदेशक द्वारा अधिकृत किये जाने के उपरांत बैंक की सूरतगढ़ शाखा के वरिष्ठ प्रबंधक कुंदन लाल स्वामी की ओर से प्रस्तुत लिखित सूचना के आधार पर सूरतगढ़ सदरथाना में जानकीदासवाला ग्राम सेवा सहकारी समिति लिमिटेड, जानकीदासवाला के कार्यवाहक व्यवस्थापक महावीर प्रसाद, पूर्व व्यवस्थापक भंवरलाल स्वामी, भंवरलाल के पुत्र एवं सहायक व्यवस्थापक पवन कुमार स्वामी तथा सोसाइटी के पूर्व अध्यक्ष हिम्मताराम पर षडयन्त्र रचकर रिकार्ड में हेराफेरी, कूटरचित दस्तावेज तैयार करने, कूटरचित दस्तावेजों का असल के रूप में दुरूपयोग करने, नियम विरूद्ध नियुक्ति करने एवं वेतनमान स्वीकृत करने, वेतन प्राप्त करने, स्टॉक रजिस्टर व स्टॉक में गड़बड़ी करने, समिति सदस्यों प्राप्त अमानतों व ऋण राशि का गबन करने, मिथ्या एवं कूटरचित दस्तावेज तैयार कर सोसाइटी को हानि पहुंचाने, सोसाइटी एवं ग्राहकों की अमानतों के रूप में जमा राशि में से लगभग एक करोड़ 34 लाख रुपये की धनराशि हड़पने के आरोप में धारा 409, 420, 467, 468, 471, 120बी आईपीसी के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है।
सोसाइटी में गड़बड़ी, वित्तीय अनियमितता एवं पद के दुरूपयोग की सूचना के पश्चात बैंक द्वारा राजस्थान सहकारी सोसाइटी अधिनियम की धारा 55 के तहत करवायी गयी जांच एवं प्रबंध निदेशक द्वारा धारा 57 के तहत जारी जांच परिणाम में, सहायक व्यवस्थापक पवन स्वामी की नियुक्ति, उसके नियमितिकरण व उसे दिये गये वेतन की वसूली के लिए अध्यक्ष हिम्मताराम, व्यवस्थापक भंवरलाल को दोषी मानते हुए वसूली करने, स्टॉक के गबन के लिए कार्यवाहक व्यवस्थापक महावीर प्रसाद से 28 लाख 30 हजार रुपये की वसूली करने, मिनी बैंक में अमानतों व बहीखातों में फर्जी प्रविष्ठियां दर्ज कर 40 लाख 46 हजार रुपये का गबन करने के लिए महावीर प्रसाद को दोषी मानते हुए राशि वसूल करने, ऋण वितरण एवं वसूली में अनियमितता के लिए 10 लाख 19 हजार रुपये व्यवस्थापक भंवरलाल स्वामी, कार्यवाहक व्यवस्थापक हिम्मताराम एवं सहायक व्यवस्थापक पवन स्वामी को दोषी मानते हुए बकाया ऋण की राशि वसूल करने, रोकड़ पोते एवं ऋण राशि में हेरफेर कर 16 लाख 50 हजार रुपये का गबन करने, बीज बिक्री के 5 लाख 18 हजार रुपये हड़पने और रोकड़ पोते बाकी 32 लाख 71 हजार रुपये हड़प लेेने के आरोप प्रमाणित मानते हुए सम्बंधित से कुल लगभग 1 करोड़ 34 लाख रुपये की वसूली करने और इन सबके विरुद्ध कानूनी कार्यवाही करने की अनुशंसा की गयी। सोसाइटी के गबन-घोटालों की अधिनियम अंतर्गत जांच बैंक के अधिशासी अधिकारी भैंरूसिंह पालावत द्वारा की गयी।
नियुक्ति और स्क्रीनिंग पर उठे सवाल
पवन कुमार स्वामी पुत्र भंवरलाल स्वामी को दिनांक 14.10.2013 को आमसभा की बैठक में 3000 रुपये मासिक पर सहायक व्यवस्थापक के पद पर नियुक्ति दी गयी, जबकि व्यवस्थापकीय सेवानियम अथवा संस्था के उपनियमों में आमसभा को किसी कार्मिक की नियुक्ति का अधिकार ही नहीं है क्योंकि इस प्रकार की नियुक्ति के लिए किसी पारदर्शी प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया। फिर, संचालक मंडल की अनुशंसा पर जिला स्तरीय स्क्रीनिंग कमेटी द्वारा 10.08.2016 को पवन कुमार की सहायक व्यवस्थापक के पद पर स्क्रीनिंग की अनुशंसा की गयी। स्क्रीनिंग कमेटी की अनुशंसा को स्वीकार करते हुए 17.08.2016 को संचालक मंडल द्वारा पवन कुमार का सहायक व्यवस्थापक के पद पर स्थिरिकरण किया गया। जबकि स्क्रीनिंग कमेटी को सहायक व्यवस्थापक के पद पर नियमितिकरण की अनुशंसा किये जाने का अधिकार नहीं था।
हैरानी है कि जिस समय पवन कुमार स्वामी को सहायक व्यवस्थापक के पद पर नियुक्ति दी गयी और जब जिला स्तरीय स्क्रीनिंग कमेटी द्वारा पवन स्वामी के नियमितिकरण की अनुशंसा की गयी, तब पवन के पिता भंवर लाल स्वामी, जानकीदासवाला ग्राम सेवा सहकारी समिति लिमिटेड में मुख्य कार्यकारी थे, इसलिए पवन स्वामी की नियुक्ति और नियमितिकरण की अनुशंसा, दोनों ही नियम विरुद्ध थे। पवन ने 26.02.2023 तक सोसाइटी में सहायक व्यवस्थापक के पद पर कार्य किया और 27.02.2023 से बिना सूचना दिये अनुपस्थित रहने के कारण, सोसाइटी के संचालक मंडल द्वारा 28.08.2023 को पवन स्वामी की सेवाएं समाप्त कर दी गयीं।