सहकारी परियोजना में 100 करोड़ रुपये के घोटाले का मास्टरमाइंट गिरफ्तार
चंडीगढ़, 3 अप्रेल। हरियाणा में समग्र सहकारी विकास परियोजना (आईसीडीपी) में लगभग एक सौ करोड़ रुपये के घोटाले के मुख्य आरोपी नरेश गोयल को बुधवार को एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) ने गिरफ्तार कर लिया गया। इस मामले में यह 21 वीं गिरफ्तारी है। गोयल हरियाणा सहकारिता सेवा का ज्वाइंट रजिस्ट्रार कैडर का अधिकारी है और हरको बैंक का प्रबंध निदेशक होने के साथ-साथ आईसीडीपी का स्टेट नोडल अधिकारी भी था। वह लम्बे समय से फरार था। उसे पंचकूला से गिरफ्तार किया गया। हाईकोर्ट उसकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर चुका है। इससे पहले, इस मामले की एक अन्य मुख्य अभियुक्त और गोयल की सहयोगी, सहकारिता सेवा की सहायक रजिस्ट्रार अनु कौशिक सहित सहकारी विभाग के 10 अधिकारियों तथा 10 निजी व्यक्तियों को एसीबी गिरफ्तार कर चुकी है।
गोयल के विदेश भाग जाने की आशंका केे चलते एसीबी एलर्ट मोड पर कार्य रह रही थी। पिछले 7 दिन में ब्यूरो की टीम उसके पंचकूला और चंडीगढ़ के संभावित ठिकानों पर दबिश दी, लेकिन वह एसीबी की पहुंच से दूर था। अब गोयल सहित इस प्रकरण में ऑडिट ऑफिसर बलविंद्र, डिप्टी चीफ ऑडिटर योगेंद्र अग्रवाल, करनाल के जिला रजिस्ट्रार रोहित गुप्ता, सहायक रजिस्ट्रार अनु कौशिक, रामकुमार, जितेंद्र कौशिक, कृष्ण बेनीवाल, आईसीडीपी रेवाड़ी के लेखाकार सुमित अग्रवाल, डेवलपमेंट अधिकारी नितिन शर्मा तथा विजय सिंह शामिल हैं। एसीबी का कहना है कि मुख्य अभियुक्तों में से एक, अनु कौशिक ने घोटाले की रकम से गुरुग्राम, करनाल, कैथल और अम्बाला में करोड़ों रुपये की प्रोपर्टी बनायी।
एसीबी द्वारा गुरुग्राम में दर्ज एफआईआर में सहकारिता विभाग की असिस्टेंट रजिस्ट्रार अनु कौशिश सहित अन्य लोगों के खिलाफ कई संगीन धाराओं में केस दर्ज किया गया है। एसीबी इस 100 करोड़ रुपये के घोटाले में नरेश गोयल के अलावा असिस्टेंट रजिस्ट्रार अनु कौशिश और बिजनेसमैन स्टालिनजीत सिंह को आरोपी बता रही है। इन्होंने ही फेक बिल और फर्जी कंपनियों के नाम पर सरकारी पैसे को ठिकाने लगाया। साथ ही, अपने बैंक अकाउंट का पैसा हवाला के जरिए दुबई और कनाडा तक पहुंचाया। ये दोनों भी विदेश भागने की फिराक में थे, लेकिन एसीबी को इसकी भनक लग गई और दोनों को गिरफ्तार कर लिया था। सहायक रजिस्ट्रार सहकारी समिति, जिला रजिस्ट्रार सहकारी समिति द्वारा ऑडिटर की मिलीभगत से सरकारी खाते में जमा राशि से अपने निजी हित में फ्लैट तथा जमीन आदि खरीदी जा रही थी। इन अधिकारियों द्वारा सरकारी रिकॉर्ड, बैंक खातों संबंधी विवरण भी सरकारी रिकॉर्ड में जाली लगाया गया था।
घोटाले ने ली मंत्रीपद की बलि
सहकारिता विभाग में इस 100 करोड़ रुपये के घोटाले के कारण डॉ. बनवारी लाल से सहकारिता विभाग वापस ले लिया गया है। प्रदेश में मुख्यमंत्री बदले जाने के बाद मंत्रिमंडल का पुनर्गठन किया गया। तब नये मुख्यमंत्री नायब सैनी ने सहकारिता विभाग का जिम्मा महिपाल ढांडा को दिया। इससे पहले मनोहर लाल खट्टर सरकार में सहकारिता विभाग के मंत्री डॉ. बनवारी लाल थे। विभाग में घोटाले का खुलासा होने के बाद सरकार की खूब किरकिरी हुई थी। विधानसभा के बजट सत्र में भी विपक्ष ने इस घोटाले को लेकर सरकार पर जमकर सवाल उठाए थे।
स्पेशल ऑडिट हो रही
फरवरी में घोटाला सामने आने के बाद से सरकार ने विशेष ऑडिट का आदेश दिया। अब आईसीडीपी में 1995 से लेकर अब तक के कार्यों की स्पेशल ऑडिट करायी जा रही है। आरोप है कि अम्बाल और करनाल रेंज के सहकारी अफसरों ने फर्जी बिल व रिकार्ड तैयार कर एकीकृत सहकारी विकास परियोजना के लिए आये सरकारी फंड को हड़प लिया और धरातल पर कोई काम नहीं हुआ। ऑडिट भी फर्जी की गयी। (फोटो एवं इनपुट : भास्कर)