वित्त विभाग ने दी 290 करोड़ रुपये की स्वीकृति, ग्राम सेवा सहकारी समिति कार्मिकों को जल्द मिलेगा वेतन
जयपुर, 17 फरवरी (मुखपत्र/सहकार गौरव)। कई महीनों से वेतन की बाट जोह रहे ग्राम सेवा सहकारी समिति कार्मिकों के लिए राहत भरी खबर आई है। राजस्थान की भजनलाल शर्मा सरकार ने अल्पकालीन फसली ऋण वितरण के केंद्रीय सहकारी बैंकों को दिये जाने वाले ब्याज अनुदान के रूप में लगभग 290 करोड़ रुपये की प्रशासनिक स्वीकृति जारी कर दी है। इसके अलावा, ऋण वितरण के लिए मार्जिन अनुदान के रूप में बैंकों को अलग से दी जाने वाली 1 प्रतिशत राशि की भी प्रशासनिक स्वीकृति मिल गयी है।
रजिस्ट्रार कार्यालय और अपेक्स बैंक से प्राप्त आधिकारिक जानकारी के अनुसार, 4 प्रतिशत राशि के रूप में कुल 290 करोड़ रुपये के दो बिलों को वित्त विभाग ने प्रशासनिक स्वीकृति प्रदान कर दी है। केंद्रीय सहकारी बैंकों द्वारा ब्याज अनुदान क्लेम पहले ही भेजे जा चुके हैं। इस बार यह राशि 1 अप्रेल 2023 से बकाया है। अब अपेक्स बैंक के स्तर से बैंकवार ब्याज अनुदान की राशि का बिल बनाकर वित्त विभाग को भेजा जायेगा। इसके बाद, राज्य सरकार द्वारा अनुदान की राशि अपेक्स बैंक के खाते में जमा करवा दी जायेगी, जहां ये बैंकों को उनके क्लेम के अनुपात में राशि ट्रांसफर की जायेगी। इसी राशि में से 2 प्रतिशत राशि बैंकों द्वारा ग्राम सेवा सहकारी समितियों (पैक्स और लैम्पस) को अग्रेषित की जायेगी, जिसमें से समिति कार्मिकों के वेतन-भत्ते, समिति के अन्य खर्चों का भुगतान किया जाता है। उम्मीद की जा रही है कि आगामी लोकसभा चुनावों की आचार संहिता लागू होने से पूर्व, यह राशि समितियों को मिल जायेगी। मार्च माह के पहले या दूसरे सप्ताह में लोकसभा चुनाव की घोषणा हो सकती है।
उल्लेखनीय है कि ब्याज मुक्त अल्पकालीन फसली ऋण वितरण की एजव में ब्याज अनुदान के रूप में केंद्रीय सहकारी बैंकों को 7 प्रतिशत राशि मिलती है। इसमें से केंद्र सरकार द्वारा 3 प्रतिशत एवं राज्य सरकार द्वारा 4 प्रतिशत राशि उपलब्ध करायी जाती है। पिछली कांग्रेस सरकार द्वारा 4 प्रतिशत ब्याज अनुदान राशि का भुगतान नहीं किये जाने के कारण, राज्य में 90 फीसदी से अधिक समिति कार्मिकों को पिछले एक साल से वेतन नहीं मिल पाया है। इससे निराशा का वातावरण बना हुआ है और वे चाहकर भी केंद्र सरकार की योजनाओं को अंगीकार नहीं कर पा रहे हैं। हालांकि, केंद्र सरकार की ओर ब्याज अनुदान पेटे दी जाने वाली वाली राशि भी दो साल से बैंकों को नहीं मिली है।