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ट्रांसफर-पोस्टिंग के लिए शासन सचिव को फ्री हैंड?

अधिकतम ठहराव और ‘फिट एंड प्रोपर’ क्राइटेरिया भी ट्रांसफर का आधार बनेंगे

जयपुर, 16 फरवरी (मुखपत्र)। भजनलाल शर्मा सरकार के कार्यकाल में सहकारिता सेवा के अधिकारियों की पहली स्थानांतरण एवं पदस्थापन सूची का सहकारिता विभाग में बेसब्री से इंतजार हो रहा है। बताया जा रहा है कि सहकारिता राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) गौतम कुमार दक ने अधिकारियों के चयन में अपनी प्राथमिकता बताते हुए शासन सचिव श्रीमती शुचि त्यागी को फ्री हैंड दे दिया है। यही कारण रहा कि श्री दक शुक्रवार को अपने निर्वाचन क्षेत्र में रहे और उन्होंने ‘विकसित भारत – विकसित राजस्थान’ पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण को लाइव सुना जबकि शासन सचिव के यहां तबादला सूचियों पर काम होता रहा।

फिलहाल मुख्य रूप से प्रधान कार्यालय में हैड ऑफ डिपार्टमेंट, केंद्रीय सहकारी बैंक और खंडीय कार्यालयों पर फोकस किया जा रहा है। इसमें अनुभव, अधिकतम ठहराव, शिकायतों, लम्बित प्रकरण और ट्रैक रिकार्ड को खंगाला जा रहा है। शुक्रवार को आरबीआई व नाबार्ड के ‘फिट एंड प्रोपर’ क्राइटेरिया को लेकर भी केंद्रीय सहकारी बैंकों से सूचना एकत्र की गयी। इसी सूची से यह जानकारी सामने आयी कि वर्तमान में जो अधिकारी प्रबंध निदेशक के रूप में डीसीसीबी में कार्यरत हैं, उनमें से कितने के पास न्यूनतम आठ वर्ष के बैंकिंग सहकारिता का अनुभव है। यानी वे नाबार्ड के ‘फिट एंड प्रोपट’ क्राइटेरिया में आते हैं या नहीं? यदि क्राइटेरिया में आ रहे हैं और तीन साल का अधिकतम ठहराव पूर्ण कर चुके हैं, तो उन्हें किस बैंक में लगाया जाये? इसके अलावा जो अन्य अधिकारी हैं, जिनके पास आठ वर्ष का बैंकिंग सहकारिता का अनुभव नहीं है, उनकी बैंकों के अलावा किस सीट पर उपयोगिता सार्थक हो सकती है?

स्थानांतरण/पदस्थापन सूची की आपाधापी से दूर, सहकारिता मंत्री गौतम कुमार दक, शुक्रवार को अपने निर्वाचन क्षेत्र बड़ी सादड़ी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का लाइव भाषण सुनते हुए।

सूत्र बताते हैं कि शासन सचिव के यहां पूरी तन्मयता और पारदर्शिता केे साथ स्थानांतरण/पदस्थापन सूची पर मंथन हो रहा है। एक सीट पर ठहराव के साथ-साथ एक शहर में ठहराव पर भी व्यापक चर्चा हुई बताया गया। एक ऐसी ही सूची ‘मुखपत्र’ को मिली है, जिसमें वर्तमान में केंद्रीय सहकारी बैंकों में प्रबंध निदेशक के पद पर कार्यरत अधिकारियों के कार्यकाल का ब्यौरा है, जिससे उनके ठहराव की समय सीमा का आंकलन किया गया। इसके अनुसार, उदयपुर, बीकानेर, जोधपुर, कोटा व भीलवाड़ा केंद्रीय सहकारी बैंकों में वर्तमान में पदस्थ प्रबंध निदेशक अधिकतम ठहराव वाली श्रेणी में आ रहे हैं।

रणवीर सिंह का बीकानेर डीसीसीबी में ठहराव दस वर्ष से अधिक हो चुका है, वे 2012 के बाद से बीकानेर सीसीबी में ही अधिशासी अधिकारी/प्रबंध निदेशक रहे हैं। साल 2018-19 में उन्हें गंगानगर केंद्रीय सहकारी बैंक का एमडी बनाया गया था, लेकिन वे वहां पांच महीने ही रहे। जैसलमेर के बाद, बीकानेर केंद्रीय सहकारी बैंक ही आज के समय में सबसे अधिक नाजुक परिस्थिति से गुजर रहा है। इस बैंक के दो महाघोटाले कागजों में दफन हैं। उदयपुर सेेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक के मैनेजिंग डायरेक्टर आलोक चौधरी पिछले दस साल से अधिक समय से लगातार प्रबंध निदेशक के रूप में ही कार्यरत हैं। उनका उदयपुर से पहले भीलवाड़ा सीसीबी और चित्तौडग़ढ़ सीसीबी में भी लम्बा कार्यकाल रहा है। एक सरकार के कार्यकाल में एक ही बैंक में लम्बे समय तक टिके रहने का उनमें खास हुनर है।

इनके अलावा चित्तौडग़ढ़ और चूरू में 2020 से तथा दौसा में 2021 से एक ही एमडी कार्यरत हैं जबकि अलवर, बांसवाड़ा, बाड़मेर, भरतपुर, हनुमानगढ़, जयपुर, झालावाड़, झुंझुनूं, पाली और सीकर सीसीबी में 2022 में जो एमडी लगाये गये थे, वे ही कार्यरत हैं। इसके अलावा, अजमेर, बारां, बूंदी, डूंगरपुर, जालोर, नागौर, सवाईमाधोपुर, सिरोही, गंगानगर, जैसलमेर और टोंक में 2023 में ही एमडी लगाये गये या प्रबंध निदेशक पद का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा गया। जैसलमेर में जगदीश कुमार सुथार (अभी निलम्बित) को भी 2023 में ही एमडी लगाया गया था, हालांकि वे पहले भी इसी बैंक में एमडी रह चुके हैं।

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