एफआईजी पोर्टल के लिए एसएसओ लॉगिन और ओटीपी की सुविधा बंद
जयपुर, 22 जुलाई (मुखपत्र)। विभिन्न जिला केंद्रीय सहकारी बैंक की आपत्ति के आधार पर, राजस्थान सरकार के सूचना प्रौद्योगिकी एवं संचार विभाग (DoIT&C ) द्वारा एसएसओ आईडी (SSO-ID) से लॉगिन एवं ओटीपी की सुविधा बंद कर दी गयी है। अब एफआईजी (FIG) पोर्टल के लिए एसएसओ लॉगिन कर कार्य नहीं किया जा सकेगा। सूचना प्रौद्योगिकी एवं संचार विभाग के इस निर्णय का राजस्थान की 7500 से अधिक ग्राम सेवा सहकारी समितियों को पुन: एफआईजी पोर्टल पर लौटना होगा। ओटीपी की सुविधा बंद कर दिये जाने से अब एफआईजी पोर्टल पर बायोमैट्रिक सत्यापन से ही पोर्टल पर काम किया जा सकेगा। इसके लिए ओटीपी की सुविधा नहीं होगी अर्थात जिसकी आईडी होगी, उसे स्वयं उपस्थित होकर बायोमैट्रिक सत्यापन करना होगा, तभी एफआईजी पोर्टल पर कार्य किया जा सकेगा। पहले, ओटीपी की सुविधा होने से, ओटीपी शेयर करके, किसी अन्य से काम करवाया जा सकता था।
राजस्थान राज्य सहकारी बैंक लिमिटेड (अपेक्स बैंक) के कार्यवाहक प्रबंध निदेशक धन सिंह देवल की ओर से सोमवार को राज्य के समस्त केंद्रीय सहकारी बैंकों के प्रबंध निदेशकों को यह सूचना दी गयी। यूआईडीएआई की ऑडिट टीम द्वारा उठाए गए ऑडिट आपत्तियों की अनुपालना में ऑडिटर द्वारा यह निर्देश दिया गया है कि राजएसएसओ आधार सेवाओं का उपयोग अपने स्वयं के उपयोग के लिए कर सकता है, न कि किसी तीसरे पक्ष के ऐप या विभाग के लिए। इसलिए ऐसी सभी सेवाएँ तत्काल प्रभाव से समाप्त कर दी गयी हैं।
देवल के अनुसार, एसएसओ लॉगिन में बायोमेट्रिक व ओटीपी की सुविधा बंद हो गई है। केन्द्रीय सहकारी बैंकों द्वारा इस संबंध में उठाई गई आपत्तियों के दृष्टिगत एफआईजी कार्य में एसएसओ लॉगिन की सुविधा बंद करवा दी गई है। हालांकि एफआईजी पर सीधे लॉगिन की सुविधा यथावत है, जिसमें बायोमेट्रिक प्रमाणन सुविधा भी है।
प्रबंध निदेशक की ओर से कहा गया है कि यदि किसी बैंक को किसी विशिष्ट पैक्स हेतु बायोमेट्रिक प्रमाणन से कोई समस्या हो तो उक्त का जोखिम विश्लेषण किया जाकर सम्बंधित पैक्स के लिए बिना बायोमेट्रिक ओटीपी के एसएसओ आईडी के माध्यम से लॉगिन करवाये जाने की अनुशंसा, सम्बंधित केन्द्रीय सहकारी बैंक के प्रबंध निदेशक द्वारा प्रेषित की जा सकती है।
उल्लेखनीय है कि तीन साल पहले, जब ऑनलाइन फसली ऋण वितरण की व्यवस्था कायम की गयी थी, तब एफआईजी पोर्टल पर लॉगिन करके ही कार्य किया जाता था। अब ग्राम सेवा सहकारी समिति व्यवस्थापकों को फिर से उसी पैटर्न पर काम करना होगा।
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