सहकारिता

सहकारी बैंकों में कर्मचारियों के एक हजार से अधिक पद रिक्त, सहकारी भर्ती बोर्ड तीन साल से टाल रहा है भर्ती प्रक्रिया

राज्य भूमि विकास बैंक में 17 साल से और पीएलडीबी में 11 साल से नई भर्ती का इंतजार

जयपुर, 8 जुलाई (मुखपत्र)। सहकार नेता सूरजभान सिंह आमेरा ने सहकारी बैंकों में बड़ी संख्या में रिक्त पदों पर लम्बे समय से भर्ती नहीं होने पर गंभीर चिंता जताते हुए सहकारिता राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) गौतम कुमार दक, सहकारिता विभाग की शासन सचिव शुचि त्यागी और रजिस्ट्रार, सहकारी समितियां अर्चना सिंह को पत्र लिखकर, सहकारी बैंकों में विभिन्न संवर्ग के रिक्त पदों पर अतिशीघ्र भर्ती प्रक्रिया आरम्भ करने की मांग की है।

सहकार नेता सूरजभान सिंह आमेरा

आमेरा ने बताया कि बड़ी संख्या में रिक्त पदों के चलते बैंकिंग कारोबार प्रभावित हो रही है। कार्मिक तनावभरे माहौल में काम कर रहे हैं। इन सबके बावजूद राज्य सहकारी भर्ती बोर्ड द्वारा, पिछले तीन साल से किसी न किसी बहाने से भर्ती को टाला जा रहा है। भर्ती बोर्ड द्वारा कभी सहकारी बैंकों से रिक्त पदों की बार बार सूचना के आधार पर, कभी रोस्टर को लेकर, कभी एक्स-सर्विस मेन के आरक्षण प्रावधान को लेकर, कभी आयु को लेकर, और अब परीक्षा शुल्क को लेकर नई भर्ती को टाला जा रहा है। राज्य सहकारी भर्ती बोर्ड के गठन के उपरांत पिछले लम्बे समय से सहकारी बैंकों में भर्ती की प्रक्रिया को लम्बित एवं बाधित किया जा रहा है, जो सर्वथा चिंताजनक है। कार्मिकों की कमी के चलते मानसिक तनाव की स्थिति में कार्यरत कर्मचारियों में व्यवस्था के प्रति असंतोष व्याप्त है।

आमेरा ने बताया कि राज्य के राज्य सहकारी बैंक एवं 29 जिला केंद्रीय सहकारी सहकारी बैंक में पिछले 3 वर्ष से नई भर्ती नहीं हुई है। सहकारी बैंकों में भर्ती नही होने तथा हर माह सेवानिवृत्ति का क्रम जारी रहने से कर्मचारियों एवं अधिकारियों की भारी कमी के चलते वर्तमान में लगभग 1000 पद रिक्त हैं। जबकि राज्य सहकारी भूमि विकास बैंक में 17 साल से तथा प्राथमिक सहकारी भूमि विकास बैंकों में 11 साल से नई भर्ती नहीं हुई। बैंकों में कर्मचारियों व अधिकारियों की भर्ती नहीं होने तथा सेवानिवृति जारी रहने से कार्मिकों की भारी कमी के चलते बैंकिंग व्यवसाय, ग्राहक सेवाएं, सहकारी साख सुविधा, ऋण वितरण एवं वसूली बाधित एवं नकारात्मक रूप से पूरी तरह प्रभावित हो रही है। पर्याप्त स्टाफ के अभाव में सहकारी बैंकों के अल्प संख्या में कार्यरत कार्मिक तनावपूर्ण असुरक्षित माहौल में कार्य कर रहे हैं।

आमेरा के अनुसार, सहकारी बैंकों में कार्मिक पदों की स्वीकृत संख्या के पेटे मात्र 25 से 30 उपलब्ध स्टॉफ द्वारा बैंकिंग व्यवसाय, ऋण वितरण, वसूली, सरकार की विभिन्न बजट घोषणा एवं सहकारी विभाग की विभिन्न प्राथमिकता प्राप्त योजनाओं का जोखिम एवं तनावपूर्ण वातावरण में जैसे-तैसे क्रियान्वयन किया जा रहा है।

विशेषत: केंद्रीय सहकारी बैंकों में बैंकिंग शाखाओं का संचालन दुभर हो रहा है। सीसीबी की शाखाओं में टीसीएस सॉफ्टवेयर के तहत बैंकिंग संचालन के लिए न्यूनतम अपेक्षित स्टॉफ, मेकर एवं चेकर भी उपलब्ध नहीं हैं। जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों में रिटायर्ड स्टॉफ एवं संविदा कार्मिकों से काम चलाया जा रहा है, जिसमें भारी जोखिम निहित है। भूमि विकास बैंको में ऋण वितरण एवं वसूली के प्राथमिक कार्य के लिए न्यूनतम स्टॉफ भी उपलब्ध नहीं है।

सहकार नेता ने बताया कि राजस्थान में भाजपा नीत सरकार के गठन के साथ ही मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा द्वारा राज्य में त्वरित विकास एवं अधिकाधिक बेरोजगार नवयुवकों को रोजगार देने की बनाई गई 100 दिवसीय कार्य योजना में बेरोजगारों को अधिकाधिक रोजगार प्रदान करना सर्वोच्य प्राथमिकता में है। सहकारी बैंकों में नई भर्ती के पेटे नियोजित कार्मिकों को वेतन भत्ते भुगतान को लेकर राज्य सरकार के राजकोष पर कोई आर्थिक भार नहीं आने वाला है।

आमेरा ने मंंत्री, शासन सचिव एवं रजिस्ट्रार से आग्रह किया है कि वे व्यक्तिगत संज्ञान लेकर राज्य के सहकारी बैंकों में यथा -राजस्थान राज्य सहकारी बैंक लिमिटेड (APEX BANK), जिला केंद्रीय सहकारी बैंक (DCCB), राज्य सहकारी भूमि विकास बैंक लिमिटेड (SLDB), प्राथमिक सहकारी भूमि विकास बैंकों (PLDB) में रिक्त पदों पर यथा शीघ्र भर्ती प्रक्रिया शुरु करवायें।

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