मुखपत्र

सहकारिताओं में आधुनिक तकनीक को अपना कर सदस्यों को अधिकतम सेवाएं और सुविधाएं उपलब्ध करायी जा सकती हैैं

72वें अखिल भारतीय सहकार सप्ताह के उपलक्ष्य में गंगानगर केंद्रीय सहकारी बैंक में सहकार गोष्ठी का आयोजन

श्रीगंगानगर, 14 नवम्बर (मुखपत्र)। 72वें अखिल भारतीय सहकार सप्ताह के शुभारम्भ पर शुक्रवार को गंगानगर केंद्रीय सहकारी बैंक लिमिटेड के प्रधान कार्यालय में ‘परिचालन दक्षता, जवाबदेही और पारदर्शिता बढ़ाने के लिए डिजिटलीकरण को बढ़ावा देना’ विषय पर सहकार संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस वर्ष के सहकार सप्ताह की थीम ‘सहकारिता के माध्यम से आत्मनिर्भर भारत’ रखी गयी है। उप रजिस्ट्रार, सहकारी समितियां दीपक कुक्कड़ की अध्यक्षता में आयोजित सहकार संगोष्ठी में सहकारी समितियों के कार्मिकों सहित 50 से अधिक हितधारक शामिल हुए।

उप रजिस्ट्रार दीपक कुक्कड़ ने कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए सर्वप्रथम उपस्थिति सहकारजनों को अखिल भारतीय सहकार सप्ताह की शुभकामनायें दी और सहकार सप्ताह की पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालते हुए बताया कि हर वर्ष 14 नवम्बर से 20 नवम्बर के मध्य अखिल भारतीय सहकार सप्ताह का आयोजन किया जाता है। इसी क्रम में इस वर्ष 72वां अखिल भारतीय सहकार सप्ताह आयोजित किया जा रहा है। उन्होंने सहकारी शिक्षा एवं प्रशिक्षण मेंं सहकारविद् वैकुंठभाई मेहता के अहम योगदान का स्मरण किया।

संगोष्ठी के विषय पर प्रकाश डालते हुए श्री कुक्कड़ ने कहा कि सहकारी समितियों में डिजिटलीकरण से कार्य में पारदर्शिता आई है और परिश्रम एवं समय की बहुत बचत होने लगी है। कार्य दक्षता और शुद्धता में बढोतरी हुई है, गल्तियों की गुंजाइश कम हो गयी है, अप्रोच बढ़ी है और जवाबदेही सुनिश्चित हुई है। काम को निपटाने में समय की बहुत बचत होने लगी है। उन्होंने सहकारी समिति कार्मिकों को रूटीन वर्क में आधुनिक तकनीक का उपयोग करने, व्यवसाय विविधिकरण पर फोकस करने और पैक्स कम्प्यूटराइजेशन प्रोजेक्ट में गति लाने के लिए प्रेरित किया, ताकि सदस्यों को अधिकाधिक सुविधाएं और सेवाएं उपलब्ध करायी जा सकें।

श्रीगंगानगर। सहकार गोष्ठी में उपस्थित (बायें से दायेें) वरिष्ठ प्रबंधक पवनकुमार शर्मा, उप रजिस्ट्रार दीपक कुक्कड़, वरिष्ठ प्रबंधक शिप्रा बहल और प्रबंधक दर्शन वर्मा।

कार्य में एक्यूरेसी, ट्रांसपेरेंसी और अकाउंटीबिलिटी आई

गोष्ठी को सम्बोधित करते हुए वरिष्ठ प्रबंधक पवन कुमार शर्मा ने कहा कि सहकारी संस्थाओं में 2019 में डिजिटलीकरण की शुरूआत हुई, जब एफआईजी पोर्टल के माध्यम से फसली ऋण वितरण आरंभ किया गया। इससे ऋण वितरण कार्य एवं रिकार्ड मेंटेन करना अपेक्षाकृत सरलीकृत हो गया। डिजिटलीकरण के कारण ही एक क्लिक पर सारा डेटा उपलब्ध हो जाता है। रिकार्ड के गुम होने या नष्ट होने की संभावना न्यूनतम हो गयी है।

उन्होंने कहा कि डिजिटलीकरण होने से वे सब खामियां दूर करने में मदद मिली हैं, जो मेनुअली सिस्टम की देन थी। इससे समितियों की कार्यप्रणाली में पारदर्शिता आयी और जवाबदेही सुनिश्चित हुई। डिजिटलीकरण होने से निर्धारित प्रक्रिया का पालन करके ही कार्य को पूर्ण किया जा सकता है। डिजिटलाइजेशन का सबसे बड़ा लाभ यही है कि प्रत्येक कार्य में एक्यूरेसी, ट्रांसपेरेंसी और अकाउंटीबिलिटी आई है।

व्यवस्थापक राजकुमार वर्मा ने भी अपने विचार व्यक्त किये। कार्यक्रम के दौरान वरिष्ठ प्रबंधक शिप्रा बहल, प्रबंधक दर्शन वर्मा भी उपस्थित रहे।

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