यूरिया एवं डीएपी के साथ अन्य उत्पादों की टैगिंग नहीं की जाये
अनुदानित उर्वरकों की आपूर्ति एवं वितरण को लेकर कृषि विभाग का निर्देश
श्रीगंगानगर, 10 सितम्बर (मुखपत्र)। रबी वर्ष 2025-26 में फसलों की बुवाई प्रारंभ होने वाली है। जिले में उर्वरकों के वित्तरण का प्रभावी प्रबन्धन करने एवं मांग अनुसार समय पर उर्वरकों की उपलब्धता सुनिश्चित कराया जाना आवश्यक है। जिले में कृषकों को अनुदानित उर्वरक (UREA, DAP) की आपूर्ति, वितरण तथा संतुलित उपयोग हेतु हेतु कृषि आयुक्तालय द्वारा निर्देश जारी किये गये हैं। इसी क्रम में कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. सतीश शर्मा ने जिला/उपजिला स्तरीय उर्वरक निरिक्षकों को निर्देशित किया है कि उर्वरकों का प्रभावी प्रवन्धन एवं सतत निगरानी किया जाना सुनिश्चित करें।
उन्होंने बताया कि कृषकों का विभागीय अनुशंसा के अनुसार उर्वरकों के संतुलित उपयोग हेतु विभाग के द्वारा जारी बैनर/फ्लैक्स दर्शनीय स्थल पर खाद विक्रेताओं के प्रतिष्ठानों पर चस्पा करवाये जायें। प्रत्येक खुदरा उर्वरक विक्रेता की परिसरों पर मूल्य सूची, प्राधिकार पत्र, उपलब्ध स्टॉक का आवश्यक रूप प्रदर्शित करवाया जाये। विभाग के प्रसंज्ञान में आया है कि कुछ आपूर्तिकर्ता/विनिर्माता कम्पनियों द्वारा यूरिया एवं डीएपी उर्वरकों के साथ अन्य उत्पाद यथा सल्फर, हर्बीसाईड, पेस्टिसाइड, सूक्ष्म तत्व मिश्रण बायोफर्टिलाईजर आदि उत्पादों की टैगिंग कर यूरिया व डीएपी की आपूर्ति की जा रही है, जो सर्वथा अनुचित है एवं एफसीओ, 1985 एवं उर्वरक संचलन आदेश एवं आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 का स्पष्ट उल्लंघन है। यूरिया एवं डीएपी के साथ अन्य उत्पादों की टैगिंग नहीं किया जाना सुनिश्चित करें। यदि इस सम्बंध में कोई शिकायत प्राप्त होती है, तो एफसीओ, 1985 एवं उर्वरक संचलन आदेश एवं आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 के तहत कार्रवाई की जाएगी।
पीओएस मशीन से शत-प्रतिशत विक्रय हो
यूरिया/डीएपी के अधिक उपयोग की निगरानी तथा निर्धारित मूल्य पर ही उर्वरकों का विक्रय शत-प्रतिशत पीओएस मशीन के माध्यम से ही करवाया जाये तथा पीओएस स्टॉक एवं वास्तविक स्टॉक समान हो। उर्वरकों के गैर कृषि कार्यों में उपयोग से उर्वरकों की कृषि कार्य हेतु उपलब्धता में कमी होती है व उर्वरकों पर देय अनुदान राशि का दुरुपयोग होता है, जो सर्वथा अनुचित एवं गैरकानूनी है। सीमावर्ती राज्यों में चैकपोस्ट स्थापित कर नियमित निगरानी करना व संबंधित क्षेत्र के अधिकारियों, कार्मिकों के माध्यम से जमाखोरी, कालाबाजारी, टैगिंग, अवैध भण्डारण, परिगमन एवं अनुदानित उर्वरकों का गैर कृषि कार्यों में उपयोग पर पूर्णतया निगरानी रखी जाकर रोक लगाना सुनिश्चित करें।